कंजूस सेठ

Sooraj Krishna Shastri
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  एक दिन एक बहुत बड़े कजूंस सेठ के घर में कोई मेहमान आया!!

कजूंस ने अपने बेटे से कहा..आधा किलो बेहतरीन मिठाई ले आओ मेहमान के लिए ।

 बेटा बाहर गया और कई घंटों बाद वापस आया।

कंजूस बाप ने पूछा, मिठाई कहाँ है...

 बेटे ने कहना शुरू किया-" अरे पिताजी, मैं मिठाई की दुकान पर गया और हलवाई से बोला कि सबसे अच्छी मिठाई दे दो। तो हलवाई ने कहा कि ऐसी मिठाई दूँगा जो बिल्कुल मक्खन जैसी होगी ।

 फिर मैंने सोचा कि क्यों न मक्खन ही ले लूं। मैं मक्खन लेने दुकान गया और बोला कि सबसे बढ़िया मक्खन दो। दुकान वाला बोला कि ऐसा मक्खन दूँगा बिल्कुल शहद जैसा।

  तब मैने बहुत गंभीरता सोचा कि क्यों न शहद ही ले लूं। मै फिर गया शहद वाले के पास और उससे कहा कि सबसे मस्त वाला शहद चाहिए। वो बोला ऐसा शहद दूँगा जो बिल्कुल पानी जैसा साफ होगा ।

  तो पिताजी फिर मैंने सोचा कि पानी तो अपने घर पर ही है और मैं चला आया खाली हाथ क्योंकि पानी ख़रीदने में पैसे क्यों बर्बाद करना । 

 तो पिताजी,क्यों न हम मेहमान को बिलकुल स्वच्छ पानी ही पिला दें...बेटा बोला..!!

 कंजूस बहुत खुश हुआ और अपने बेटे को शाबासी दी। लेकिन तभी उसके मन में कुछ गंभीर शंका उत्पन्न हुई और उसने बहुत व्याकुलता से अपने पुत्र से पूछा...

"लेकिन बेटे तू इतनी देर तक घूम कर आया , तेरी चप्पल तो जरुर घिस गयी होंगी।"

"पिताजी ये तो उस मेहमान की चप्पल हैं जो घर पर आया है...मैं इतना भी नादान नहीं हूँ ।"

बाप की आंखों मे खुशी के आँसू आ गए और उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया........!!

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