***************** आँखों का नमन *************
मुस्कराये आप हैं , लें मेरी आँखों का नमन ।
दो भुजाओं में समेटे आप हैं नीला गगन ।।
क्या हुनर है ? आपकी सांसों को छूकर आ रही ।
प्रीति चंदन घोलती है ये महकती सी पवन ।।
थरथराते इन लबों में काँपतीं गजलें नई ।
फूट पडने को रहें बेताब ; ये शेरो सुखन ।।
आपकी भोंहों की दो शमसीर जब मुझ पर चलीं ।
जिन्दगी तो लूट ही ली दे गईं ठंडी जलन ।।
शोख ये बादे सबा लाई दुपट्टा आपका ।
कब्र तक ओढे रहूँगा यार ! मलमल का कफन ।।
इस धडकते दिल पे जब तूने रखा अपना ये सर ।
बिन कहे मैं ने दिये थे वो निभाऊंगा वचन ।।
मैं रहूँ या बीत जाऊँ तू सदा जिन्दा रहे ।
ऐ ! गजल मेरी सदा आबाद हो तेरा चमन ।।
"प्रणव"
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