भीष्म- परशुराम- युद्ध के पीछे असली वजह और इसका परिणाम

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

  भगवान परशुराम विष्णु के छठे अवतार थे, जिन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी से हैहय वंश के क्षत्रियों का नाश किया था। उन्होंने महाभारत के तीन महान योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य तथा कर्ण को शिक्षा प्रदान की थी। लेकिन एक दिन उनका अपने ही शिष्य भीष्म से भयंकर युद्ध भी हुआ था इसके कारण अम्बा ही थी।

   दरअसल बात ये है कि अंत में जब अम्बा ने भीष्म के साथ शादी नहीं कर पाई, क्रोध और अपमान के कारण भीष्म से बदला लेने के लिए वह भगवान परशुराम के पास जाकर उन्हें सारी घटना बताई। भगवान परशुराम अंबा की यह व्यथा सुनकर अत्यधिक क्रोधित हो गए और उन्होंने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा। भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण अंबा से विवाह करने को मना कर दिया। इस पर परशुराम ने भीष्म को स्वयं से युद्ध करने को कहा।

   दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जो कई दिनों तक चला। चूँकि परशुराम भगवान विष्णु का रूप थे तथा भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिये इस युद्ध में कोई भी पराजित नही हो सका। अंत में देवताओं के द्वारा दोनों के बीच युद्ध को शांत करवाया गया। तब परशुराम ने अंबा से कहा कि वे अपनी संपूर्ण शक्ति लगा चुके हैं, लेकिन भीष्म को पराजित करने में वे असमर्थ हैं। इसलिये अब वे उसकी सहायता नहीं कर सकते।

   निराश अंबा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की तथा उनसे वरदान माँगा कि भविष्य में वह भीष्म की मृत्यु का कारण बने। भगवान शिव के वरदान से अंबा अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्मी तथा महाभारत के युद्ध में इच्छामृत्यु बर प्राप्त तथा आजीवन ब्रह्मचारी पितामह भीष्म की मृत्यु का कारण बनी।

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!