मन्त्र 9 (केन उपनिषद)

Sooraj Krishna Shastri
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मन्त्र 9 (केन उपनिषद) । यह रहा उच्च गुणवत्ता वाला चित्र, जिसमें केन उपनिषद के प्रश्नोत्तर दृश्य को दर्शाया गया है। ऋषि अपने शिष्य को ब्रह्म के गूढ़ तत्व समझा रहे हैं। यह दृश्य दिव्यता और गहन आध्यात्मिकता को दर्शाता है।

मन्त्र 9(केन उपनिषद) । यह रहा उच्च गुणवत्ता वाला चित्र, जिसमें केन उपनिषद के प्रश्नोत्तर दृश्य को दर्शाया गया है। ऋषि अपने शिष्य को ब्रह्म के गूढ़ तत्व समझा रहे हैं। यह दृश्य दिव्यता और गहन आध्यात्मिकता को दर्शाता है। 


मन्त्र 9 (केन उपनिषद)


मूल पाठ:
यत्प्राणेन न प्राणिति येन प्राणः प्रणीयते।
तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते॥


शब्दार्थ:

  1. यत् प्राणेन न प्राणिति: जो प्राणों से प्राण नहीं लेता।
  2. येन प्राणः प्रणीयते: लेकिन जिसके द्वारा प्राण (जीवन-शक्ति) संचालित होते हैं।
  3. तत् एव ब्रह्म त्वं विद्धि: वही ब्रह्म है, इसे जानो।
  4. न इदं यत् इदम् उपासते: यह नहीं, जिसकी बाहरी रूप में उपासना की जाती है।

अनुवाद:

जो प्राणों के माध्यम से प्राण नहीं लेता, लेकिन जो प्राण को उसकी शक्ति प्रदान करता है, वही ब्रह्म है। इसे जानो। वह ब्रह्म नहीं है जिसकी उपासना बाहरी रूप में की जाती है।


व्याख्या:

1. प्राण और ब्रह्म का संबंध:

  • यह मन्त्र स्पष्ट करता है कि ब्रह्म प्राणों से परे है।
  • ब्रह्म स्वयं प्राण नहीं है, लेकिन यह प्राणों को उनकी शक्ति और जीवन प्रदान करता है।

2. प्राण की शक्ति का स्रोत:

  • प्राण (सांस और जीवन शक्ति) हमारे भौतिक शरीर और मानसिक प्रक्रियाओं को सक्रिय करता है।
  • लेकिन प्राणों की इस शक्ति का स्रोत ब्रह्म है, जो अदृश्य और अज्ञेय है।

3. इंद्रियों और प्राणों से परे:

  • ब्रह्म न केवल इंद्रियों से परे है, बल्कि जीवन-शक्ति (प्राण) से भी परे है।
  • इसे जानने के लिए साधक को आत्मज्ञान और ध्यान का सहारा लेना होगा।

4. बाहरी उपासना का खंडन:

  • "न इदं यदिदम् उपासते" का अर्थ है कि ब्रह्म बाहरी मूर्तियों, प्रतीकों, और कर्मकांडों से परे है।
  • ब्रह्म निराकार और अनुभवजन्य है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

  1. जीवन की ऊर्जा:

    • आधुनिक विज्ञान भी स्वीकार करता है कि जीवन-शक्ति (ऊर्जा) का स्रोत अभी भी पूरी तरह ज्ञात नहीं है।
    • यह मन्त्र उस अज्ञेय ऊर्जा (ब्रह्म) की ओर इशारा करता है जो प्राणों को शक्ति प्रदान करती है।
  2. प्राण और चेतना:

    • विज्ञान में चेतना और प्राण (जीवनी शक्ति) का गहरा अध्ययन हो रहा है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इनका स्रोत क्या है।
  3. ऊर्जा का संचालन:

    • यह मन्त्र "ब्रह्म" को ऊर्जा का संचालक मानता है, जो विज्ञान में "यूनिवर्सल फोर्स" या "डार्क एनर्जी" जैसा है।

आध्यात्मिक संदेश:

  1. प्राणों से परे सत्य:

    • ब्रह्म वह शक्ति है जो प्राणों को संचालित करती है। इसे जानने के लिए हमें प्राणों से परे आत्मा की ओर देखना होगा।
  2. जीवन की वास्तविकता:

    • जीवन और उसकी ऊर्जा का स्रोत भौतिक नहीं है; यह ब्रह्म की दिव्यता में निहित है।
  3. आत्मा की खोज:

    • ब्रह्म को जानने के लिए हमें बाहरी रूपों और प्रतीकों से परे आत्मा के अनुभव की ओर बढ़ना होगा।

आधुनिक संदर्भ में उपयोग:

  1. जीवन का गहराई से अध्ययन:

    • यह मन्त्र हमें सिखाता है कि हमें जीवन के गहरे स्रोत (चेतना) को समझने का प्रयास करना चाहिए।
  2. ध्यान और आत्मज्ञान:

    • ब्रह्म को जानने के लिए ध्यान और आत्मचिंतन आवश्यक है।
  3. ऊर्जा का संतुलन:

    • प्राण (जीवन शक्ति) का संतुलन बनाए रखने के लिए योग और ध्यान जैसे साधनों का सहारा लिया जा सकता है।

निष्कर्ष:

मन्त्र 9 यह स्पष्ट करता है कि ब्रह्म प्राणों का स्रोत है, लेकिन स्वयं प्राण नहीं है। इसे जानने के लिए बाहरी प्रतीकों और इंद्रियों से परे आत्मा और चेतना का अनुभव करना आवश्यक है।

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