महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती: क्यों और कब मनाई जाती है ?

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महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती
महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती


 महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती

महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती भारत में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो आर्य समाज के संस्थापक और महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती की स्मृति में मनाया जाता है। यह जयंती फाल्गुन कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को आती है।

महर्षि दयानंद सरस्वती का जीवन परिचय

  • जन्म: 12 फरवरी 1824 (टंकारा, मोरबी, गुजरात)
  • मृत्यु: 30 अक्टूबर 1883 (अजमेर, राजस्थान)
  • मूल नाम: मूलशंकर
  • संस्थापक: आर्य समाज (1875)
  • प्रसिद्ध नारा: “वेदों की ओर लौटो”

महर्षि दयानंद सरस्वती के प्रमुख कार्य

1. आर्य समाज की स्थापना (1875):

  • उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की, जो हिंदू धर्म में सुधार लाने के लिए समर्पित था।
  • मूर्तिपूजा, अंधविश्वास, जातिवाद और रूढ़ियों का विरोध किया।

2. वेदों का प्रचार और पुनरुद्धार:

वे मानते थे कि वेद ज्ञान का सर्वोच्च स्रोत हैं और उन्होंने समाज को वेदों की शिक्षाओं के अनुसार चलने की प्रेरणा दी।

3. सामाजिक सुधार:

  • स्त्री शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।
  • जातिवाद और छुआछूत का कड़ा विरोध किया।

4. स्वराज और स्वतंत्रता संग्राम पर प्रभाव:

  • उनके विचारों ने स्वामी विवेकानंद, लाला लाजपत राय, भगत सिंह और महात्मा गांधी जैसे क्रांतिकारियों को प्रभावित किया।
  • उन्होंने "स्वराज (स्व-शासन)" का आह्वान किया, जिसे बाद में स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य विचार बनाया गया।

5. सत्यार्थ प्रकाश (1875):

  • यह उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसमें उन्होंने हिंदू धर्म की वास्तविक शिक्षाओं को बताया और समाज में फैली बुराइयों का विरोध किया।

महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती का महत्व

  • इस दिन भारत और विश्वभर में आर्य समाज के अनुयायी उनके विचारों को याद करते हैं।
  • यज्ञ, हवन, प्रवचन, भजन-कीर्तन और विभिन्न सामाजिक कार्यों का आयोजन किया जाता है।
  • उनके सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष कार्यक्रम होते हैं।
  • 2025 में महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती कब है?
  • 25 फरवरी 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।

निष्कर्ष

महर्षि दयानंद सरस्वती का योगदान केवल धार्मिक सुधारों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को सही दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

आप इस जयंती पर कोई विशेष आयोजन कर रहे हैं या इससे जुड़ी और कोई जानकारी चाहते हैं?


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