भारत के विभिन्न शिक्षा आयोगों का इतिहास, पृष्ठभूमि, उद्देश्य, संरचना, कार्य, अनुशंसाएँ और प्रभाव
आज हम "भारत के विभिन्न शिक्षा आयोगों" का इतिहास, पृष्ठभूमि, उद्देश्य, संरचना, कार्य, अनुशंसाएँ और प्रभाव सहित विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत कर रहे हैं।
भारत के विभिन्न शिक्षा आयोगों ने देश की शिक्षा-व्यवस्था के सुधार, पुनर्रचना एवं नीतिगत दिशा-निर्देशों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये आयोग समय-समय पर बदलती सामाजिक, आर्थिक एवं तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार गठित किए गए हैं। नीचे भारत के प्रमुख शिक्षा आयोगों की सूची, उनके गठन का वर्ष, अध्यक्ष, उद्देश्य एवं प्रमुख अनुशंसाओं का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
🔷 1. वुड्स डिस्पैच (Wood's Despatch) – 1854
▶️ पृष्ठभूमि:
ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल में भारत की शिक्षा नीति को लेकर ब्रिटेन की संसद में गंभीर विचार हुआ। इस संदर्भ में चार्ल्स वुड ने 1854 में "India Despatch" तैयार किया।
▶️ उद्देश्य:
- भारत में एक सुनियोजित शिक्षा व्यवस्था की नींव रखना।
- अंग्रेज़ी शिक्षा के माध्यम से प्रशासनिक अधिकारियों की आपूर्ति।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- तीन स्तरीय शिक्षा प्रणाली (प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च)।
- प्रत्येक प्रांत में विश्वविद्यालयों की स्थापना (बॉम्बे, मद्रास, कलकत्ता)।
- निजी संस्थाओं को सरकारी सहायता (Grant-in-aid)।
- शिक्षकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था।
▶️ प्रभाव:
- यह भारत की आधुनिक शिक्षा नीति का प्रारंभिक दस्तावेज़ माना जाता है।
- "भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा की Magna Carta" कहलाया।
🔷 2. हंटर आयोग (Hunter Commission) – 1882
▶️ पृष्ठभूमि:
वुड्स डिस्पैच के बाद शिक्षा का प्रसार हुआ, लेकिन ग्रामीण और प्राथमिक शिक्षा की स्थिति दयनीय बनी रही।
▶️ उद्देश्य:
- विशेष रूप से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति की समीक्षा।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- स्थानीय निकायों को प्राथमिक शिक्षा का दायित्व सौंपा जाए।
- स्त्री शिक्षा को प्रोत्साहन।
- माध्यमिक शिक्षा को व्यावसायिक बनाया जाए।
- निजी संस्थानों को अनुदान जारी रखने की सिफारिश।
▶️ प्रभाव:
- प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में स्थानीय स्वायत्तता बढ़ी।
🔷 3. सैडलर आयोग (Sadler Commission) – 1917–19
▶️ पृष्ठभूमि:
कलकत्ता विश्वविद्यालय की गिरती शैक्षणिक गुणवत्ता और परीक्षाओं में भारी बोझ के कारण यह आयोग गठित हुआ।
▶️ उद्देश्य:
- कलकत्ता विश्वविद्यालय की समीक्षा, परन्तु अनुशंसाएँ पूरे देश पर प्रभावी रहीं।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- विद्यालय और विश्वविद्यालय के बीच 'इंटरमीडिएट कॉलेज' की सिफारिश।
- महिला शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा।
- शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों का विकास भी हो।
▶️ प्रभाव:
- उच्च शिक्षा को व्यावसायिक और अधिक लचीला बनाने की दिशा में प्रयास हुए।
🔷 4. विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (Radhakrishnan Commission) – 1948–49
▶️ अध्यक्ष: डॉ. एस. राधाकृष्णन
▶️ उद्देश्य:
- स्वतंत्र भारत के लिए एक सुदृढ़ विश्वविद्यालय शिक्षा नीति बनाना।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- UGC (University Grants Commission) की स्थापना की सिफारिश।
- विश्वविद्यालयों को स्वायत्तता दी जाए।
- उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नैतिक शिक्षा पर बल।
- शिक्षकों के वेतन, योग्यता और प्रशिक्षण में सुधार।
▶️ प्रभाव:
- 1953 में UGC की स्थापना हुई।
🔷 5. माध्यमिक शिक्षा आयोग (Mudaliar Commission) – 1952–53
▶️ अध्यक्ष: डॉ. ए. लक्ष्मणस्वामी मुदालियर
▶️ उद्देश्य:
- माध्यमिक शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- 10+2+3 शिक्षा प्रणाली की रूपरेखा।
- व्यावसायिक और सामान्य शिक्षा को अलग-अलग प्रवाह में बांटना।
- नैतिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा और शारीरिक शिक्षा को अनिवार्य बनाना।
▶️ प्रभाव:
- माध्यमिक शिक्षा को दो चरणों में विभाजित करने की परंपरा की नींव पड़ी।
🔷 6. कोठारी आयोग (Kothari Commission) – 1964–66
▶️ अध्यक्ष: डॉ. डी. एस. कोठारी (यूनेस्को वैज्ञानिक)
▶️ उद्देश्य:
- संपूर्ण भारतीय शिक्षा प्रणाली का समग्र मूल्यांकन।
▶️ प्रमुख अनुशंसाएँ:
- सामान्य विद्यालय प्रणाली (Common School System) – सभी बच्चों को समान गुणवत्ता की शिक्षा।
- शिक्षा में खर्च को GDP का 6% तक ले जाने की अनुशंसा।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने की आवश्यकता।
- सातवीं कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा।
- शिक्षा में मूल्यबोध, राष्ट्रीयता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समावेश।
▶️ प्रभाव:
- 1968 में भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 1968) का निर्माण इसी आयोग की सिफारिश पर हुआ।
🔷 7. राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 1986
▶️ पृष्ठभूमि:
बदलते सामाजिक और आर्थिक परिवेश के अनुरूप शिक्षा प्रणाली को अद्यतन करने की आवश्यकता महसूस हुई।
▶️ उद्देश्य:
- समानता, गुणवत्ता और पहुँच (Equity, Quality, Access) सुनिश्चित करना।
▶️ प्रमुख पहल:
- शिक्षा का सार्वभौमिकरण (Universalisation of Education)।
- प्रौढ़ शिक्षा, महिला शिक्षा, अनुसूचित जाति-जनजाति की शिक्षा पर विशेष बल।
- District Primary Education Programme (DPEP) जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत।
🔷 8. प्रोग्राम ऑफ एक्शन – 1992
▶️ उद्देश्य:
- NEP 1986 की अनुशंसाओं को क्रियान्वयन रूप देना।
▶️ प्रमुख पहल:
- शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को सुदृढ़ करना।
- शिक्षा के व्यावसायीकरण को नियंत्रित करना।
🔷 9. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 (NEP 2020)
▶️ पृष्ठभूमि:
21वीं सदी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए व्यापक जनसुनवाई और रिपोर्टिंग के बाद 2020 में नीति घोषित की गई।
▶️ प्रमुख विशेषताएँ:
- नई संरचना: 5+3+3+4 (Foundational to Secondary)
- तीसरी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा
- एकाधिक विषयों में पढ़ाई (Multidisciplinary)
- प्रवेश/निकास लचीलापन (Multiple Entry/Exit in Higher Education)
- राष्ट्रीय शैक्षिक मूल्यांकन केंद्र (PARAKH)
- राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (NRE)
- उच्च शिक्षा में Gross Enrollment Ratio बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य (2035 तक)
✳️ सारांश (Summary Table):
क्रम | आयोग / नीति | वर्ष | अध्यक्ष / संस्था | मुख्य योगदान |
---|---|---|---|---|
1. | वुड्स डिस्पैच | 1854 | चार्ल्स वुड | आधुनिक शिक्षा की नींव |
2. | हंटर आयोग | 1882 | विलियम हंटर | प्राथमिक शिक्षा पर बल |
3. | सैडलर आयोग | 1917 | माइकल सैडलर | उच्च शिक्षा सुधार |
4. | राधाकृष्णन आयोग | 1948 | डॉ. राधाकृष्णन | UGC की सिफारिश |
5. | मुदालियर आयोग | 1952 | डॉ. मुदालियर | माध्यमिक शिक्षा प्रणाली |
6. | कोठारी आयोग | 1964 | डॉ. कोठारी | सम्पूर्ण शिक्षा नीति |
7. | NEP | 1986 | भारत सरकार | समानता, गुणवत्ता, पहुँच |
8. | POA | 1992 | मानव संसाधन मंत्रालय | कार्यान्वयन |
9. | NEP | 2020 | भारत सरकार | समग्र, लचीली शिक्षा नीति |