Maa Durga Weapons: देवी माँ को अस्त्र-शस्त्र किसने और क्यों दिए?
🙏 देवी माँ को अस्त्र-शस्त्र किसने और क्यों प्रदान किए?
देवी दुर्गा केवल शक्ति की प्रतीक ही नहीं हैं, बल्कि वे सम्पूर्ण देवताओं की सामूहिक शक्ति का मूर्त रूप हैं। जब महिषासुर नामक असुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाया, तब देवताओं ने मिलकर अपनी-अपनी शक्तियाँ और अस्त्र-शस्त्र उन्हें प्रदान किए। इसी कारण माँ दुर्गा के पास इतने विविध अस्त्र-शस्त्र दिखाई देते हैं। प्रत्येक शस्त्र केवल युद्ध का उपकरण नहीं है, बल्कि किसी न किसी दैवी शक्ति और जीवन-दर्शन का प्रतीक भी है।
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Maa Durga Weapons: देवी माँ को अस्त्र-शस्त्र किसने और क्यों दिए? |
🔱 देवी को प्राप्त अस्त्र-शस्त्र एवं उनके प्रदाता
1. चक्र (भगवान विष्णु से)
- किसने दिया? – भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उत्पन्न कर माता को चक्र प्रदान किया।
- उद्देश्य – यह चक्र अधर्म, अन्याय और अहंकार का विनाश करता है।
- प्रतीकात्मक अर्थ – समय का चक्र अनवरत चलता है; जो धर्म के विरुद्ध जाता है, वह इसका शिकार होता है।
2. त्रिशूल (भगवान शिव से)
- किसने दिया? – भगवान शंकर ने अपने शूल से त्रिशूल निकालकर माँ को भेंट किया।
- उद्देश्य – महिषासुर समेत अनेक असुरों का वध इसी से हुआ।
- प्रतीकात्मक अर्थ – यह त्रिगुण (सत्त्व, रज, तम) पर नियंत्रण और त्रिलोक पर देवी की सत्ता का सूचक है।
3. शंख (वरुण देव से)
- किसने दिया? – वरुण देव ने माँ को दिव्य शंख भेंट किया।
- उद्देश्य – इसकी ध्वनि से आकाश, धरती और पाताल तक असुर कांप जाते थे।
- प्रतीकात्मक अर्थ – शंख नाद सृष्टि के उद्गम ‘ॐ’ का प्रतीक है, जो शत्रु के मनोबल को तोड़ देता है।
4. वज्र (देवराज इंद्र से)
- किसने दिया? – इंद्र ने अपने वज्र से एक दूसरा वज्र निकालकर देवी को दिया।
- उद्देश्य – युद्धभूमि में असुर वज्र की प्रहार-शक्ति से परास्त हो जाते थे।
- प्रतीकात्मक अर्थ – दृढ़ता, अडिग संकल्प और अजेय शक्ति का प्रतीक।
5. दंड (यमराज से)
- किसने दिया? – यमराज ने अपने कालदंड से उत्पन्न दंड देवी को सौंपा।
- उद्देश्य – देवी ने दैत्यों को दंड पाश से बाँधकर पराजित किया।
- प्रतीकात्मक अर्थ – न्याय और दंड व्यवस्था का प्रतीक। अधर्म का अंत सुनिश्चित है।
6. धनुष-बाण (पवन देव से)
- किसने दिया? – पवन देव ने धनुष और तरकश सहित बाण देवी को प्रदान किए।
- उद्देश्य – युद्धभूमि में असुरों को दूर से ही नष्ट करने के लिए।
- प्रतीकात्मक अर्थ – लक्ष्य पर एकाग्रता, दूरदर्शिता और अनुशासन का प्रतीक।
7. तलवार व ढाल (यमराज से)
- किसने दिया? – यमराज ने ही माता को दिव्य तलवार और ढाल दी।
- उद्देश्य – असुरों का संहार कर धर्म की स्थापना।
- प्रतीकात्मक अर्थ – तलवार विवेक का और ढाल सुरक्षा का द्योतक है।
8. घंटा (देवराज इंद्र से)
- किसने दिया? – इंद्र ने अपने ऐरावत हाथी के गले से घंटा उतारकर देवी को दिया।
- उद्देश्य – इसकी ध्वनि से असुर मूर्छित होकर नष्ट हो जाते थे।
- प्रतीकात्मक अर्थ – यह जागरण, चेतना और असुरिक प्रवृत्तियों का दमन करता है।
9. फरसा (विश्वकर्मा से)
- किसने दिया? – विश्वकर्मा जी ने फरसा (कुल्हाड़ा) माता को भेंट किया।
- उद्देश्य – देवी काली ने इसी फरसे से चंड-मुंड का संहार किया।
- प्रतीकात्मक अर्थ – श्रम, सृजन और विनाश की सम्मिलित शक्ति का प्रतीक।
🌸 देवी माँ को अस्त्र-शस्त्र किसने और क्यों प्रदान किए?
क्रमांक | अस्त्र-शस्त्र | किसने प्रदान किया | उद्देश्य (युद्ध में उपयोग) | प्रतीकात्मक अर्थ |
---|---|---|---|---|
1 | चक्र | भगवान विष्णु | अधर्मियों का संहार | समय का चक्र, धर्म की रक्षा |
2 | त्रिशूल | भगवान शिव | महिषासुर व अन्य असुरों का वध | तीन गुणों (सत्त्व-रज-तम) पर नियंत्रण |
3 | शंख | वरुण देव | ध्वनि से असुरों को भयभीत करना | ‘ॐ’ नाद, सृष्टि व चेतना का प्रतीक |
4 | वज्र | इंद्र देव | प्रहार से शत्रुओं को नष्ट करना | दृढ़ता व अडिग शक्ति |
5 | दंड | यमराज | दैत्यों को बांधना व दंडित करना | न्याय व दंड व्यवस्था का द्योतक |
6 | धनुष-बाण | पवन देव | दूर से शत्रुओं का नाश | लक्ष्य पर एकाग्रता व अनुशासन |
7 | तलवार-ढाल | यमराज | असुरों का संहार व आत्मरक्षा | विवेक (तलवार) और सुरक्षा (ढाल) |
8 | घंटा | इंद्र (ऐरावत से) | ध्वनि से असुर मूर्छित | जागरण व चेतना का प्रतीक |
9 | फरसा | विश्वकर्मा | चंड-मुंड का वध | श्रम, सृजन और विनाश की शक्ति |
✨ इस प्रकार, माँ दुर्गा के प्रत्येक अस्त्र-शस्त्र में केवल युद्ध की शक्ति ही नहीं, बल्कि गहन आध्यात्मिक और दार्शनिक संदेश भी छिपा है।
✨ सार्थक निष्कर्ष
देवी दुर्गा के हाथों में धारण किए गए प्रत्येक अस्त्र-शस्त्र केवल भौतिक युद्ध के उपकरण नहीं हैं, बल्कि जीवन-दर्शन, न्याय, साहस, विवेक, लक्ष्य-निष्ठा और समय की अपरिहार्यता के द्योतक हैं। जब हम माँ की उपासना करते हैं, तो इन अस्त्रों के माध्यम से हमें यह स्मरण कराया जाता है कि—
- धर्म की रक्षा हेतु शक्ति आवश्यक है।
- अन्याय और अहंकार का अंत निश्चित है।
- साहस, विवेक और समर्पण ही विजय की कुंजी हैं।