नग्न सत्य और कपटी झूठ | Naked Truth vs Dressed Lie Philosophy in Hindi

Sooraj Krishna Shastri
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नग्न सत्य और कपटी झूठ | Naked Truth vs Dressed Lie Philosophy in Hindi


एक बार की बात है।
झूठ ने सत्य से कहा –
"चलो, साथ में कुएँ में स्नान करते हैं, पानी बहुत ठंडा और शीतल है।"

सत्य ने मन ही मन संदेह किया, फिर भी उसने पानी की जाँच की। सचमुच पानी बहुत स्वच्छ और ठंडा था। दोनों ने अपने वस्त्र उतार दिए और कुएँ में उतरकर स्नान करने लगे।

परंतु जैसे ही सत्य निश्चिंत हुआ, झूठ चालाकी से पानी से बाहर आया और सत्य के कपड़े पहनकर भाग गया।

नग्न सत्य और कपटी झूठ | Naked Truth vs Dressed Lie Philosophy in Hindi
नग्न सत्य और कपटी झूठ | Naked Truth vs Dressed Lie Philosophy in Hindi



🌸 नग्न सत्य और कपटी समाज

जब सत्य क्रोधित होकर अपने वस्त्र लेने के लिए कुएँ से बाहर निकला तो वह पूर्णत: नग्न था।
दुनिया ने नग्न सत्य को देखकर आँखें फेर लीं। लोग क्रोध, भय और घृणा से भर उठे और सत्य को अस्वीकार कर दिया।

अपमानित सत्य कुएँ में वापस चला गया और अपनी लज्जा को ढँकते हुए वहाँ लंबे समय तक छिपा रहा।


🌸 समाज में झूठ का वर्चस्व

झूठ, सत्य का वस्त्र पहनकर समाज में घूमता रहा। लोग उसे देखकर प्रसन्न होते और स्वीकार करते। क्योंकि झूठ सत्य के लिबास में था, इसलिए समाज ने उसे ही सत्य मान लिया।
धीरे-धीरे मनुष्य इस आदत का इतना आदी हो गया कि उसे नग्न सत्य देखने की इच्छा ही समाप्त हो गई।


🌸 सत्य का पुन: आगमन

बहुत दिनों बाद कुएँ में छिपा सत्य ऊब गया। उसने बाहर निकलकर देखा कि झूठ के पुराने कपड़े वैसे ही पड़े थे।
लाचार होकर सत्य ने वे वस्त्र पहन लिए और संसार में आया।

लेकिन तब एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई—

  • झूठ, सत्य के वस्त्र पहनकर दुनिया में घूम रहा था।
  • और सत्य, झूठ के कपड़े पहनकर संसार में आया।

अब जब झूठ कहता – "मैं सत्य हूँ", तो लोग उसकी वेशभूषा देखकर विश्वास कर लेते।
और जब सत्य कहता – "मैं सत्य हूँ", तो लोग उसके कपड़े देखकर कहते –
"देखो! झूठ अपने आपको सत्य सिद्ध करना चाहता है।"


🌸 गूढ़ संदेश

आज भी यही स्थिति है—

  • झूठ जब सत्य का रूप धरता है तो समाज उसे स्वीकार करता है।
  • सत्य जब नग्न या झूठ के वस्त्रों में आता है, तो समाज उसे ठुकरा देता है।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि दुनिया दिखावे से निर्णय करती है, परंतु वास्तविकता की पहचान करने का साहस और विवेक बहुत कम लोगों में होता है।

👉 इसलिए हमें बाहरी आवरण से परे जाकर सत्य की आत्मा को पहचानने की दृष्टि विकसित करनी चाहिए।

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