9.2 साक्षात्कार विधि
(Interview Method)
प्रस्तावना: साक्षात्कार केवल "बात करना" नहीं है, बल्कि एक "उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप" (Purposeful Conversation) है। इसमें शोधकर्ता सीधे उत्तरदाता के सामने (Face-to-Face) या फोन पर जानकारी एकत्र करता है।
एक अच्छे पॉडकास्ट (जैसे Ranveer Allahbadia या Rajat Sharma) के बारे में सोचें।
एंकर (शोधकर्ता) मेहमान (उत्तरदाता) से सवाल पूछता है ताकि उसके मन की बात, अनुभव और भावनाओं को बाहर निकाला जा सके। प्रश्नावली में हम केवल "शब्द" पाते हैं, लेकिन साक्षात्कार में हम "भावनाएं" (Emotions) और "हाव-भाव" (Body Language) भी पढ़ते हैं।
A. साक्षात्कार के प्रकार (Types of Interview)
साक्षात्कार कितना कठोर या लचीला है, इसके आधार पर इसके तीन मुख्य प्रकार हैं:
"जैसे स्क्रिप्ट पढ़ना।"
इसमें प्रश्न, उनकी भाषा और क्रम पहले से तय होते हैं। शोधकर्ता अपनी मर्जी से नया सवाल नहीं पूछ सकता। यह मात्रात्मक (Quantitative) शोध के लिए अच्छा है।
"जैसे दोस्तों से गपशप।"
इसमें केवल टॉपिक तय होता है, सवाल नहीं। बातचीत जिस दिशा में जाए, शोधकर्ता वैसे सवाल पूछता है। यह गुणात्मक (Qualitative) शोध के लिए बेस्ट है।
"सामूहिक चर्चा।"
जब एक साथ 6-10 लोगों का इंटरव्यू लिया जाता है ताकि उनके बीच की बहस से नए विचार निकल सकें।
साक्षात्कार की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि शोधकर्ता कितनी जल्दी उत्तरदाता के साथ "भरोसे का रिश्ता" (Trust) बना पाता है। यदि सामने वाला आप पर भरोसा नहीं करेगा, तो वह सच नहीं बोलेगा। इसे ही 'Rapport' कहते हैं।
B. गुण और दोष (Merits & Demerits)
| गुण (Advantages) 👍 | दोष (Disadvantages) 👎 |
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निष्कर्ष: "साक्षात्कार, जानकारी की 'सोने की खान' (Gold Mine) है, लेकिन उसे खोदने के लिए शोधकर्ता को एक कुशल बातचीत करने वाला (Communicator) होना चाहिए।"
