9.3 अवलोकन विधि (Observation Method)

Sooraj Krishna Shastri
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9.3 अवलोकन विधि
(Observation Method)

प्रस्तावना: विज्ञान की शुरुआत अवलोकन (देखने) से ही हुई है। शोध में अवलोकन का मतलब केवल 'आंखों से देखना' नहीं है, बल्कि एक उद्देश्य के साथ घटनाओं को सावधानीपूर्वक देखना और रिकॉर्ड करना है। यह व्यवहार (Behavior) को मापने का सबसे अच्छा तरीका है।

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वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर का उदाहरण:

एक जंगल का फोटोग्राफर जानवरों को उनके प्राकृतिक माहौल में देखता है।
अगर वह शोर मचाएगा, तो जानवर भाग जाएंगे या व्यवहार बदल लेंगे। उसे या तो छिपकर देखना होगा (असहभागी) या उनके बीच घुल-मिल जाना होगा (सहभागी)।

A. अवलोकन के प्रकार (Types of Observation)

शोधकर्ता खुद को समूह में कितना शामिल करता है, इस आधार पर दो मुख्य प्रकार हैं:

🤝 1. सहभागी (Participant)

"उनके जैसा बन जाना।"
शोधकर्ता उस समूह का सदस्य बन जाता है जिसका वह अध्ययन कर रहा है। वह उनके साथ रहता है, खाता है और काम करता है।

(उदा: एक शोधकर्ता का आदिवासियों के साथ रहकर उनकी संस्कृति समझना।)

🔭 2. असहभागी (Non-Participant)

"दूर से देखना।"
शोधकर्ता समूह से अलग रहता है। वह केवल एक दर्शक (Observer) की भूमिका निभाता है, हस्तक्षेप नहीं करता।

(उदा: कक्षा के पीछे चुपचाप बैठकर छात्रों के व्यवहार को नोट करना।)

⚠️ हाथोर्न प्रभाव (Hawthorne Effect)

अवलोकन विधि की सबसे बड़ी कमी।
जब लोगों को पता चलता है कि "कोई उन्हें देख रहा है", तो वे अपना व्यवहार बदल लेते हैं और अच्छा बनने का नाटक करते हैं। इसे ही हाथोर्न प्रभाव कहते हैं। इससे शोध का डेटा गलत हो सकता है।

B. सहभागी बनाम असहभागी (Comparison)

आधार सहभागी (Participant) असहभागी (Non-Participant)
गहराई (Depth) बहुत गहरी जानकारी मिलती है (Inside View)। सतही जानकारी मिलती है (Outside View)।
निष्पक्षता (Bias) भावनात्मक जुड़ाव के कारण पक्षपात हो सकता है। अधिक निष्पक्ष और वैज्ञानिक रहता है।
समय और पैसा बहुत समय लगता है (सालों लग सकते हैं)। कम समय में पूरा हो जाता है।
प्राकृतिकता व्यवहार पूरी तरह प्राकृतिक रहता है। हाथोर्न प्रभाव (कृत्रिम व्यवहार) का डर रहता है।
एक और वर्गीकरण:
  • संरचित (Structured): पहले से तय होता है कि क्या देखना है (जैसे चेकलिस्ट: कितनी बार छात्र हाथ उठाते हैं)।
  • असंरचित (Unstructured): कुछ तय नहीं होता, जो भी महत्वपूर्ण लगता है उसे नोट कर लिया जाता है।

निष्कर्ष: "अवलोकन विधि हमें वह बताती है जो लोग 'करते' हैं, न कि वह जो वे 'कहते' हैं कि वे करते हैं। क्योंकि करनी और कथनी में अक्सर अंतर होता है।"

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