Apṛṣṭo'pi Hitaṃ Brūyāt Shloka का सही अर्थ जानें। यह श्लोक बताता है कि सच्चा मित्र बिना पूछे भी हित की बात कहता है। Read Sanskrit to Hindi/English translation.
Discover the meaning of Apṛṣṭo'pi Hitaṃ Brūyāt. एक सज्जन व्यक्ति का धर्म क्या है? Detailed word-to-word analysis, grammar, and moral in Hindi & English.
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| सच्चा मित्र कौन? Apṛṣṭo'pi Hitaṃ Brūyāt Shloka Meaning & Analysis |
🌼 श्लोक की नीति और व्यावहारिक महत्ता
1️⃣ श्लोक एवं लिप्यंतरण
(Shloka & Transliteration)
🔹 संस्कृत (Devanagari):
🔹 IAST (English Transliteration):
2️⃣ शब्दार्थ
(Word-for-Word Meaning)
- अपृष्टः (Apṛṣṭaḥ): बिना पूछे (Unasked)
- अपि (Api): भी (Even)
- हितं (Hitaṃ): भलाई की बात / कल्याणकारी वचन (Beneficial words/Welfare)
- ब्रूयात् (Brūyāt): बोलना चाहिए (Should speak)
- यस्य (Yasya): जिसका (Whose)
- न (Na): नहीं (Not)
- इच्छेत् (Icchet): चाहे / कामना करे (Should wish/Desire)
- पराभवम् (Parābhavam): हार, विनाश या अपमान (Defeat, Downfall, or Ruin)
- एष (Eṣa): यह (This)
- एव (Eva): ही (Only/Alone)
- सतां (Satāṃ): सज्जनों का / सत्पुरुषों का (Of the virtuous/good people)
- धर्मः (Dharmaḥ): कर्तव्य / स्वभाव (Duty/Nature)
- विपरीतम् (Viparītam): इसके विपरीत / उल्टा (Opposite)
- अतः (Ataḥ): इससे (Than this)
- अन्यथा (Anyathā): दूसरा (The other way/Wickedness)
3️⃣ अनुवाद
(Translation)
🔹 हिन्दी अनुवाद:
जिस व्यक्ति की आप पराजय, विनाश या अहित नहीं चाहते हैं, उसे बिना पूछे भी हितकारी (भले की) बात कहनी चाहिए। यही सज्जन पुरुषों का धर्म (कर्तव्य) है। इससे विपरीत आचरण करना (अर्थात् चुप रहना या अहित होने देना) दुष्टता या असज्जनता है।
🔹 English Translation:
One should speak beneficial words—even if unasked—to the person whose downfall or defeat one does not wish. This alone is the duty of the virtuous. Acting otherwise (remaining silent or letting them fail) is the opposite of dharma.
4️⃣ व्याकरणात्मक विश्लेषण
(Grammatical Analysis)
🔹 सन्धि (Sandhi):
- अपृष्टोऽपि (Apṛṣṭo'pi): अपृष्टः + अपि (विसर्ग सन्धि - उत्व)।
- नेच्छेत् (Necchet): न + इच्छेत् (गुण सन्धि)।
- मतोन्यथा (Matonyathā): मतः + अन्यथा (विसर्ग सन्धि)।
🔹 लकार (Verb Forms):
- ब्रूयात् (Brūyāt): 'ब्रू' धातु (बोलना), विधिलिङ् लकार (चाहिए के अर्थ में), प्रथम पुरुष, एकवचन।
- इच्छेत् (Icchet): 'इष्' धातु (चाहना), विधिलिङ् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन।
🔹 विभक्ति (Case):
- सताम् (Satāṃ): 'सत्' शब्द, षष्ठी विभक्ति, बहुवचन (सज्जनों का)।
5️⃣ आधुनिक सन्दर्भ
(Modern Context)
- व्यापार में: यदि एक कर्मचारी देखता है कि उसका बॉस या सहकर्मी कोई बड़ी गलती करने जा रहा है जिससे कंपनी का नुकसान (पराभव) होगा, तो उसे बिना पूछे भी चेतावनी देनी चाहिए।
- मित्रता में: यदि आपका मित्र किसी गलत आदत का शिकार हो रहा है, तो वह आपसे सलाह नहीं मांगेगा। लेकिन, यदि आप उसका अहित नहीं चाहते, तो आपको कड़वा सच बोलना ही होगा।
सज्जन व्यक्ति वह नहीं है जो केवल "हाँ में हाँ" मिलाए, बल्कि वह है जो "अप्रिय लेकिन हितकारी" सत्य बोले।
6️⃣ संवादात्मक नीति कथा
(Conversational Parable)
🔹 विषय: विभीषण की सलाह (रामायण संदर्भ)
चूँकि आपने जय श्री राम का उद्घोष किया है, तो रामायण का यह प्रसंग इस श्लोक का सबसे उत्तम उदाहरण है।
लंकापति रावण महाशक्तिशाली था। जब उसने माता सीता का हरण किया, तो लंका में किसी की हिम्मत नहीं थी कि रावण को गलत कहे। रावण ने किसी से सलाह नहीं मांगी थी कि "क्या मैंने सही किया?"
परंतु, विभीषण ने यह श्लोक चरितार्थ किया।
विभीषण ने बिना पूछे हित की बात कही क्योंकि वे रावण का विनाश नहीं चाहते थे (शुरुआत में)।
इसके विपरीत, रावण के मंत्री (जैसे माल्यवान को छोड़कर बाकी चाटुकार) चुप रहे या रावण की प्रशंसा करते रहे। परिणाम क्या हुआ? रावण का सर्वनाश।
सीख: जो बिना पूछे आपको सही राह दिखाए, वही आपका सच्चा हितैषी है।
7️⃣ निष्कर्ष
(Conclusion)
यह श्लोक हमें "निष्क्रिय अच्छे व्यक्ति" (Passive Good Person) बनने से रोकता है। केवल बुरा न करना ही धर्म नहीं है, बल्कि अपनों को बुराई से बचाना भी धर्म है।
अगर आप किसी की परवाह करते हैं (यस्य नेच्छेत् पराभवम्), तो संकोच छोडिए और सही बात कहिए—भले ही वह सामने वाले को उस क्षण बुरी लगे।
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