Magadh Samrat Bindusara & Chanakya Niti: सबसे सस्ता भोजन क्या है? (Most Inspiring Story)

Sooraj Krishna Shastri
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मगध सम्राट बिन्दुसार और सस्ता भोजन

जीवन के मूल्य पर एक ऐतिहासिक नीतिकथा

"अक्सर हम चीजों की कीमत पैसों में आंकते हैं, लेकिन क्या किसी के प्राणों की कीमत लगाई जा सकती है? आज की यह कहानी (Magadh Samrat Bindusara Story) शाकाहार और मांसाहार के बीच की बहस को हमेशा के लिए खत्म कर देगी।"
1 राजसभा का प्रश्न

मगध की विशाल राजसभा सजी थी। सम्राट बिन्दुसार ने अपने मंत्रियों और सभासदों के समक्ष एक विचित्र प्रश्न रखा:

👑 सम्राट बिन्दुसार: "देश की खाद्य समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है?"

यह सुनकर पूरी सभा सोच में पड़ गई। चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा—सभी को उपजाने में कड़ी मेहनत लगती है और वे भी प्रकृति की कृपा पर निर्भर हैं। अतः अन्न को सस्ता कहना कठिन था।

2 सामंत का उत्तर

तभी शिकार के शौकीन एक सामंत ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया:

🏹 सामंत: "राजन! सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है। इसे पाने में मेहनत कम लगती है और पौष्टिक भोजन मिल जाता है।"

सभा के अधिकांश लोगों ने सिर हिलाकर इसका समर्थन किया। लेकिन महामंत्री चाणक्य शांत और मौन रहे।

3 चाणक्य की मौन प्रतिज्ञा
👑 सम्राट: "महामंत्री! आपका इस विषय में क्या मत है?"
🚩 चाणक्य: "महाराज, मैं अपने विचार कल आपके समक्ष रखूँगा।"
4 रात्रि की योजना

रात्रि के घने अँधेरे में आचार्य चाणक्य उसी सामंत के महल पहुँचे। इतनी रात को प्रधानमंत्री को अपने द्वार पर देख सामंत घबरा गया।

🚩 चाणक्य: "महाराज सायंकाल अचानक बीमार हो गए हैं। राजवैद्य का कहना है कि यदि किसी बड़े व्यक्ति के हृदय का दो तोला मांस मिल जाए, तो राजा के प्राण बच सकते हैं। मैं आपके हृदय का केवल दो तोला मांस लेने आया हूँ। इसके बदले आप एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ ले लें।"
5 जीवन का मोल

यह सुनते ही सामंत के चेहरे का रंग उड़ गया। वह चाणक्य के चरणों में गिर पड़ा।

🏹 सामंत (कांपते हुए): "आचार्य! मैं अपने प्राण नहीं दे सकता। यह एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ आप रखें और किसी अन्य सामंत के हृदय का मांस खरीद लें।"

चाणक्य एक-एक करके अन्य सामंतों और सेनाधिकारियों के पास गए। उन्होंने सबसे हृदय का दो तोला मांस माँगा। परिणाम? कोई भी तैयार नहीं हुआ। उल्टे अपने प्राण बचाने के लिए किसी ने एक लाख, किसी ने दो लाख, तो किसी ने पाँच लाख स्वर्ण मुद्राएँ चाणक्य को दे दीं।

6 दो करोड़ का 'सस्ता' मांस

सुबह होने से पहले चाणक्य महल लौट आए। अगली सुबह राजसभा में उन्होंने सम्राट के सामने स्वर्ण मुद्राओं का ढेर लगा दिया।

👑 सम्राट (आश्चर्यचकित): "यह सब क्या है महामंत्री?"
🚩 चाणक्य: "राजन! कल रात केवल दो तोला मांस खरीदने के लिए मैं निकला था। उसके बदले इतनी धनराशि इकट्ठी हो गई (लगभग दो करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ), फिर भी दो तोला मांस नहीं मिला।"
"अब आप स्वयं विचार करें राजन — मांस वास्तव में कितना सस्ता है?"
💡 जीवन का अमूल्य संदेश

जिस प्रकार हमें अपनी जान प्रिय है, उसी प्रकार प्रत्येक जीव को अपनी जान उतनी ही प्रिय है।

अंतर केवल इतना है कि मनुष्य बोल सकता है, समझा सकता है, और धन देकर अपने प्राण बचा सकता है।

परन्तु, मूक पशु न बोल सकते हैं, न अपनी व्यथा व्यक्त कर सकते हैं। तो क्या केवल इसी कारण उनसे जीने का अधिकार छीन लिया जाए?

🍃 शुद्ध आहार — शाकाहार | मानव आहार — शाकाहार 🍃

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