शरीरस्य गुणानां च दूरमत्यन्तमन्तरम् ।
शरीरं क्षणविध्वंसि कल्पान्तस्थायिनो गुणाः ॥
शरीरं क्षणविध्वंसि कल्पान्तस्थायिनो गुणाः ॥
Śarīrasya guṇānāṃ ca dūramatyantamantaram |
Śarīraṃ kṣaṇavidhvaṃsi kalpāntasthāyino guṇāḥ ||
Śarīraṃ kṣaṇavidhvaṃsi kalpāntasthāyino guṇāḥ ||
📝 अनुवाद (Translation)
हिन्दी: हमारे शरीर और हमारे गुणों के बीच बहुत बड़ा (अत्यंत) अंतर है। हमारा शरीर क्षणभंगुर है (एक पल में नष्ट होने वाला), जबकि हमारे गुण कल्पान्त (युगों) तक रहने वाले हैं।
English: There is a vast difference between the body and virtues. The body is perishable in a moment, whereas virtues endure until the end of time (Kalpa).
English: There is a vast difference between the body and virtues. The body is perishable in a moment, whereas virtues endure until the end of time (Kalpa).
🔍 शब्दार्थ (Word Analysis)
| संस्कृत | अर्थ (Hindi) | Meaning (English) |
|---|---|---|
| शरीरस्य | शरीर का | Of the body |
| गुणानां | गुणों का | Of virtues/merits |
| अत्यन्तम् अन्तरम् | बहुत बड़ा अंतर | Extreme difference |
| क्षणविध्वंसि | क्षण में नष्ट होने वाला | Perishable in a moment |
| कल्पान्तस्थायिनो | कल्प के अंत तक रहने वाले | Lasting till end of eon |
📚 व्याकरण (Grammar)
1. संधि: दूरमत्यन्तमन्तरम् = दूरम् + अत्यन्तम् + अन्तरम्।
2. समास: क्षणविध्वंसि = क्षणेन विध्वंसि (तृतीया तत्पुरुष)।
🌍 आधुनिक संदर्भ (Modern Context)
- सोशल मीडिया: हम शरीर पर समय बर्बाद करते हैं जो 'क्षणविध्वंसि' है। लेकिन हमारा व्यवहार (गुण) ही असली पहचान है।
- विरासत: महान लोगों को हम उनके शरीर के लिए नहीं, बल्कि उनके विचारों के लिए याद करते हैं।
🗣️ संवादात्मक नीति कथा
शीर्षक: मूर्ति या विद्यालय?
👑 राजा प्रताप:
"गुरुदेव! मैं चाहता हूँ कि मेरे मरने के बाद भी लोग मुझे याद रखें। क्या मैं अपनी 100 फुट ऊँची मूर्ति बनवा दूँ?"
🙏 गुरु:
"राजन! मूर्ति टूट सकती है (क्षणविध्वंसि)। तुम विद्यालय बनवाओ। जब तक ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाएगा, तुम्हारे 'गुण' जीवित रहेंगे।"
राजा समझ गया कि कर्मों की नींव 'कल्पान्त' तक रहती है।
💡 निष्कर्ष
शरीर साधन है, साध्य नहीं। आईने में चेहरा देखने से ज्यादा वक्त गुणों को निखारने में लगाएं।
