Ya Pure Sansar Mein Ram Naam Ek Saar: Shishupal, Vidurani aur Janakpur ki Adbhut Katha

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

शिशुपाल की 100 गालियां और जनकपुर की मीठी Gari! जानिए Krishna और भक्त के 'Sambahnd' का असली सच। पढ़िए Ram Naam Ek Saar की यह अद्भुत कथा। क्या आपको पता है? भगवान केवल 'Feeling' (भाव) के भूखे हैं। जहाँ शिशुपाल की गाली पर Sudarshan Chakra चला, वहीं जनकपुर की गालियों पर भगवान मुस्कुराते रहे। क्यों? भगवान अमीरी नहीं, प्रेम देखते हैं। Duryodhan के 56 भोग छोड़कर Vidurani के घर साग खाने की यह Story आपकी आंखों में आंसू ला देगी। जय श्री कृष्णा!

Ya Pure Sansar Mein Ram Naam Ek Saar: Shishupal, Vidurani aur Janakpur ki Adbhut Katha

Ya Pure Sansar Mein Ram Naam Ek Saar: Shishupal, Vidurani aur Janakpur ki Adbhut Katha
Ya Pure Sansar Mein Ram Naam Ek Saar: Shishupal, Vidurani aur Janakpur ki Adbhut Katha


भक्त और भगवान का अनूठा सम्बन्ध: राम नाम एक सार

यह प्रसंग भगवान और भक्त के बीच के गहरे प्रेम और 'सम्बन्ध' की महिमा का वर्णन करता है। मुख्य बात यह है कि भगवान केवल भाव के भूखे हैं।

१. सम्बन्ध का महत्व: शिशुपाल का उदाहरण

एक बार एक सज्जन ने कहा, "हम तो भगवान को गाली देते हैं।"

इस पर संत ने समझाया, "पहले भगवान से कोई सम्बन्ध जोड़ो, तब गाली देना। बिना सम्बन्ध के गाली मत देना।"

  • शिशुपाल की कथा: शिशुपाल भगवान (श्री कृष्ण) का बुआ का बेटा था, लेकिन उसने बैर भाव रखा। उसकी माँ ने भगवान से वचन लिया था कि इसकी गलतियां क्षमा करना। भगवान ने कहा, "सौ गालियों तक क्षमा है।"

  • अंत समय: शिशुपाल रोज हिसाब से गाली देता था, लेकिन एक दिन वह आवेश में आ गया। भगवान ने उसे सावधान भी किया—"नब्बे हो गईं... निन्यानवे हो गईं, अब एक बाकी है, रुक जा!"

  • लेकिन अहंकार में भरकर उसने सौवीं गाली भी दी और बोला, "तू क्या करेगा?" तभी सुदर्शन चक्र चला और उसका वध हो गया।

२. जनकपुर का प्रेम: मीठी गालियां

दूसरी ओर, जनकपुर (माता सीता का मायका) का प्रसंग देखिये। वहां विवाह के समय माताएं और सखियाँ भगवान राम को 'गारी' (विवाह के गीत) गाती हैं।

"छैलवा कौ दैहौं मैं चुन-चुन के गारी।"

वहाँ हजार-हजार गालियां दी जाती हैं और भगवान राम उन्हें सुनकर क्रोधित नहीं होते, बल्कि मुस्कुराते हैं। जनकपुर वाले युगों-युगों से यह रीत निभा रहे हैं।

अंतर क्या है? शिशुपाल की गाली में द्वेष था, और जनकपुर की गालियों में सम्बन्ध (रिश्तेदारी) का प्रेम था।

  • एक सखी पूछती है:

    "पुरुषोत्तम को गारी कैसी?"

  • दूसरी उत्तर देती है:

    "गारी बिनु ससुरारी कैसी॥"

३. 'सार' शब्द का अद्भुत अर्थ

सीता जी हमारी बहन और राम जी हमारे बहनोई। एक संत ने बड़े विनोद में कहा, "हम तो राम जी के 'सार' (साले) हैं।"

किसी ने पूछा, "तुम्हें और कोई नाता नहीं मिला?"

संत बोले, "राम जी तो सारे संसार के 'सार' (तत्व/निचोड़) हैं, और हम उनके साले हैं, तो हम सार के भी सार हो गए।"

"या पूरे संसार में राम नाम एक सार।

हमरी समसर को करै हम सारहु के सार॥"

४. विदुर और विदुरानी का प्रसंग: भाव की प्रधानता

भगवान भक्त की जात-पात या अमीरी नहीं देखते, वे केवल प्रेम देखते हैं। दुर्योधन ने भगवान के लिए 56 भोग बनवाए थे, लेकिन उसमें अहंकार था।

"दुर्योधन घर मेवा त्यागी।

साग बिदुर घर खायो॥"

भगवान श्री कृष्ण दुर्योधन का महल छोड़कर विदुर जी की कुटिया में बिना बुलाए पहुँच गए।

  • विदुरानी की दशा: भगवान के आने की खबर सुनकर विदुरानी जी की स्थिति प्रेम में विह्वल हो गई।

    "आज हरि आए बिदुर घर पांवणां...

    भोजन कांईं जिमावणां॥"

  • भक्तवत्सल भगवान: विदुरानी जी स्नान कर रही थीं। भगवान की आवाज सुनी—"काकी! अरी ओ काकी! कपाट खोल!"—तो वे देह-सुध भूल गईं और वैसे ही दरवाजा खोलने दौड़ीं।

  • परन्तु, सर्वान्तर्यामी भगवान ने भक्त की लाज रख ली।

"कांधे सों झपट नागर नट फेंक्यो झट।

पीत पट काकी की कटि सों लिपट गयो॥"

भगवान ने अपना पीतांबर फेंककर माता समान विदुरानी की मर्यादा की रक्षा की।


सार (Conclusion)

अगर कोई सच्चा भक्त है, तो भगवान यह परवाह नहीं करते कि वह क्या बोल रहा है या उसकी स्थिति क्या है। जैसे शबरी के जूठे बेर खा लिए और विदुर का साग खा लिया। भगवान केवल 'सम्बन्ध' और 'स्नेह' के अधीन हैं।


Ram Naam Ek Saar, भक्त और भगवान, Krishna Vidur Story in Hindi, शिशुपाल वध, Janakpur ki Gari, Vidurani Katha, Spiritual Stories, राम नाम महिमा, Bhakti Sangeet, Spiritual Hindi Blog.

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!