Sundarkand में हनुमान जी ने कौन से 9 बड़े कार्य किए? जानिए सुरसा प्रसंग, लंका दहन, अक्षय कुमार वध और सीता खोज की पूरी कहानी, प्रसिद्ध चौपाइयों (Chaupai) के साथ।
Sundarkand: हनुमान जी के 9 बड़े पराक्रम | Hanuman Ji's 9 Major Feats in Lanka (With Chaupai)
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| Sundarkand: हनुमान जी के 9 बड़े पराक्रम | Hanuman Ji's 9 Major Feats in Lanka (With Chaupai) |
🚩 सुंदरकांड: चौपाइयों के संग, हनुमान जी के ९ अद्भुत प्रसंग 🚩
यह अत्यंत आनंद का विषय है। श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की चौपाइयों के साथ हनुमान जी के इन ९ पराक्रमों का वर्णन न केवल कथा को सजीव बनाता है, बल्कि मन में भक्तिभाव भी जगाता है।
यहाँ हनुमान जी के ९ प्रमुख कार्यों का वर्णन गोस्वामी तुलसीदास जी रचित चौपाइयों के साथ प्रस्तुत है।
जामवंत जी के वचनों को सुनकर हनुमान जी ने विशाल रूप धारण किया और ‘रघुपति’ का नाम लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में और लंका में उन्होंने जो पराक्रम किए, उनका सुंदरकांड के आधार पर वर्णन निम्न प्रकार है:
१. सुरसा से सामना और बुद्धि-परीक्षा
देवताओं ने हनुमान जी के बल और बुद्धि की परीक्षा लेने हेतु नागमाता सुरसा को भेजा। हनुमान जी ने बुद्धि का प्रयोग कर उसके मुँह में प्रवेश किया और तुरंत बाहर आ गए।
चौपाई:
"जस जस सुरसा बदन बढ़ावा।तासु दून कपि रूप दिखावा॥सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥"
२. सिंहिका (छाया पकड़ने वाली राक्षसी) का वध
समुद्र में एक राक्षसी थी जो आकाश में उड़ते पक्षियों की परछाईं पकड़कर उन्हें खा जाती थी। हनुमान जी ने उसका छल जाना और उसका संहार किया।
चौपाई:
"ताहि मारि मारुतसुत बीरा।बारिधि पार गयउ मतिधीरा॥"
३. विभीषण से मैत्री
लंका में प्रवेश कर हनुमान जी ने एक ऐसा भवन देखा जहाँ हरि का नाम जपा जा रहा था। उन्होंने विभीषण से ब्राह्मण रूप में भेंट की और रामकाज के लिए उनसे मित्रता की।
चौपाई:
"तेहि सन हटि करिहउँ पहिचानी।साधु ते होइ न कारज हानी॥"
४. सीता माता का शोक निवारण (मुद्रिका प्रसंग)
अशोक वाटिका में जब सीता माता अत्यंत दुखी थीं, तब हनुमान जी ने वृक्ष के ऊपर से श्रीराम की अंगूठी नीचे गिराई, जिसे देखकर माता का शोक कम हुआ।
चौपाई:
"तब देखी मुद्रिका मनोहर।राम नाम अंकित अति सुंदर॥चकित चितव मुदरी पहिचानी।हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी॥"
५. अशोक वाटिका विध्वंस
माता से आज्ञा लेकर हनुमान जी ने फल खाए और फिर वृक्षों को उखाड़कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन शुरू किया, जिससे राक्षस भयभीत हो गए।
चौपाई:
"खाए फल अरु बिटप उपारे।रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे॥"
६. अक्षय कुमार का वध
रावण के पुत्र अक्षय कुमार को जब हनुमान जी को मारने भेजा गया, तो हनुमान जी ने एक ही क्षण में उसका वध कर दिया।
चौपाई:
"कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि।कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि॥"
(इसके बाद अक्षय कुमार आया)
"ताहि निपाति महाधुनि गर्जा।"
७. मेघनाद से युद्ध और ब्रह्मपाश
अक्षय कुमार के वध के बाद मेघनाद आया और उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। हनुमान जी ब्रह्मास्त्र का मान रखने के लिए स्वयं बंध गए।
चौपाई:
"ब्रह्म अस्त्र तेहि साँधा कपि मन कीन्ह बिचार।जौं न ब्रह्मसर मानउँ महिमा मिटइ अपार॥"
८. लंका दहन
रावण द्वारा पूँछ में आग लगाने के आदेश के बाद हनुमान जी ने अपना विकराल रूप दिखाया और सोने की लंका को जलाकर राख कर दिया।
चौपाई:
"हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास॥"
"जरि नगर भा लोग बिहाला।झपट लपट बहु कोटि कराला॥"
९. चूड़ामणि और श्रीराम से मिलन
लंका दहन के बाद हनुमान जी ने सीता माता से उनकी निशानी (चूड़ामणि) ली और वापस आकर श्रीराम को वह मणि दी।
चौपाई:
"चूड़ामनि उतारि तब दयऊ।हरष समेत पवनसुत लयऊ॥"
(वापस आकर)
"नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी।सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी॥"
🌺 उपसंहार 🌺
"सुमिरि पवनसुत पावन नामू।अपने बस करि राखे रामू॥"
🚩 जय सियाराम | जय वीर हनुमान 🚩
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