
भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा॥
भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा॥ संसार रूपी सागर का पार पाना चाहते हो तो उसके लिए तो श्री राम जी की कथ…
भव सागर चह पार जो पावा। राम कथा ता कहँ दृढ़ नावा॥ संसार रूपी सागर का पार पाना चाहते हो तो उसके लिए तो श्री राम जी की कथ…
सीता राम चरन रति मोरें। अनुदिन बढ़उ अनुग्रह तोरें॥ स्वयं श्री रामचंद्रजी भी भले ही मुझे कुटिल समझें और लोग मुझे गुरुद्र…
सो सुखु करमु धरमु जरि जाऊ। जहँ न राम पद पंकज भाऊ॥ सो सुखु करमु धरमु जरि जाऊ। जहँ न राम पद पंकज भाऊ॥ जोगु कुजोगु ग्यान…
यह अत्यंत भावपूर्ण, ज्ञानमयी एवं प्रेरणास्पद प्रस्तुति है। इसे एक प्रवचनात्मक शैली में, शीर्षकों के अंतर्गत सुव्यवस्थित…
जासु बिरहँ सोचहु दिन राती। रटहु निरंतर गुन गन पाँती॥ रघुकुल तिलक सुजन सुखदाता। आयउ कुसल देव मुनि त्राता॥ जासु बिरहँ सो…
गोस्वामी तुलसीदासजी की इस एक चौपाई — "सुनु सेवक सुरतरु सुरधेनू" — में भक्तवत्सल प्रभु श्रीराम के प्रति भक्त …
Ramcharitamanas, bhojan karia tripit hit lagi. Tulsidas, chaupai, भोजन करिअ तृपिति हित लागी जिमि सो असन पचवै जठरागी अ…
कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई॥ ramcharitamanas, sundarkand कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन…
"ढोल गँवार शूद्र पशु नारी" — एक प्रसंग-सम्मत एवं सांकेतिक व्याख्या प्रस्तुत चौपाई "ढोल गंवार शूद्र पशु न…
"जे श्रद्धा संबल रहित नहिं संतन्ह कर साथ। तिन्ह कहुँ मानस अगम अति जिन्हहि न प्रिय रघुनाथ॥" "जे श्रद्धा स…
करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी। जिमि बालक राखइ महतारी॥ करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी। जिमि बालक राखइ महतारी॥ करउँ सदा तिन्ह कै रखव…