
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥ (रामचरितमानस की चौपाइयों का विशिष्ट विश्लेषण) मोह सकल ब्याधिन…
मोह सकल ब्याधिन्ह कर मूला। तिन्ह ते पुनि उपजहिं बहु सूला॥ (रामचरितमानस की चौपाइयों का विशिष्ट विश्लेषण) मोह सकल ब्याधिन…
अखिल बिस्व यह मोर उपाया। सब पर मोहि बराबरि दाया।। अखिल बिस्व यह मोर उपाया । सब पर मोहि बराबरि दाया।। तिन्ह महँ जो …
देखी माया सब बिधि गाढ़ी। अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी॥ देखी माया सब बिधि गाढ़ी। अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी॥ देखा जीव नचावइ …
एहिं जग जामिनि जागहिं जोगी।परमारथी प्रपंच बियोगी॥ एहिं जग जामिनि जागहिं जोगी। परमारथी प्रपंच बियोगी॥ जानिअ …
तुम्ह त्रिकाल दरसी मुनिनाथा। बिस्व बदर जिमि तुम्हरें हाथा ॥ तुम्ह त्रिकाल दरसी मुनिनाथा। बिस्व बदर जिमि तुम्हरें …
छिति जल पावक गगन समीरा । पंच रचित यह अधम शरीरा ।। अर्थात्, पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, इन पांचों तत्वों से मिलकर बना…
जनम मरन सब दुख सुख भोगा। हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥ "जनम मरन सब दुख सुख भोगा। हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥ काल …
सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं॥ सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न स…
जौं सपनें सिर काटै कोई। बिनु जागें न दूरि दु:ख होई॥ एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई। जदपि असत्य देत दु:ख अ…
सुखी मीन जे नीर अगाधा। जिमि हरि सरन न एकऊ बाधा।। अर्थात् , जो मछलियाँ अथाह जल में हैं, वे सुखी हैं, जैसे श्री हरि क…