
नीतिशतक श्लोक संख्या १३
नीतिशतक श्लोक संख्या १३ येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुविभारभूता …
नीतिशतक श्लोक संख्या १३ येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः । ते मर्त्यलोके भुविभारभूता …
neetishatak 12 साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः । तृणं न खादन्नपि जीवमान- स्तद्भागधेयं प…
नीतिशतक श्लोक संख्या ११ शक्यो वारयितुं जलेन हुतभुक् छत्रेण सूर्यातपौ नागेन्द्रो निशताङ्कुशेन समदो दण्डेन …
यह चित्र भर्तृहरि के नीतिशतक से प्रेरित है, जिसमें एक शांत और प्राचीन भारतीय वन का दृश्य दिखाया गया है। इसमें एक बुद्धि…
neetishatak 8 यदा किञ्चिज्ज्ञोऽहंंद्विप इव मदान्धः समभवं तदा सर्वज्ञोऽस्मीत्यभवदलिप्तं मम मनः । यदा किञ्चित्किञ्चिद् बु…
neetishatak 7 स्वायत्तमेकान्तगुणं विधात्रा विनिर्मितं छादनमज्ञतायाः । विशेषतः सर्वविदां समाजे विभूषणं मौनमपण्डितानाम् ॥…
neetishatak 6 व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोद्धुंसमुज्जृम्भते छेत्तुं वज्रमणिं शिरीषकुसुमप्रान्तेन संनह्यते । माधुर्यं मध…
नीतिशतक श्लोक संख्या ५ लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः । कदाचिदपि पर्यटञ्छशव…
नीतिशतक श्लोक संख्या ४ प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरात् समुद्रमपि सन्तरेत् प्रचलदूर्मिमालाकुलम् । भुजङ्ग…
नीतिशतक श्लोक संख्या ३ अज्ञः सुखमाराध्यः सुखतरमाराध्यते विशेषज्ञः । ज्ञानलवदुर्विदग्धं ब्रह्माऽपि च तं नरं न रञ्जयति …
neetishatak 2 बोद्धारो मत्सरग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः । अबोधोपहताश्चान्ये जीर्णमङ्गे सुभाषितम् ।।२।। हिन्दी अनुवाद …
नीतिशतक श्लोक संख्या १ दिक्कालाद्यनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये । स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे ॥१॥ …
नीतिशतक में छ्न्द प्रयोग नीतिशतक में कवि ने अनेक छन्दों का प्रयोग किया है । यथा- आर्या, अनुष्टुप्, पृथ्वी…
neetishatak भर्तृहरि का नीतिशतक अनेक नैतिक सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाला उत्कृष्ट ग्रंथ है । इसमें प्रतिपादित सभी न…
यह चित्र भर्तृहरि के नीतिशतक से प्रेरित है, जिसमें एक शांत और प्राचीन भारतीय वन का दृश्य दिखाया गया है। इसमें एक बुद…
bhartrihari भर्तृहरि के जीवन परिचय के विषय में जनश्रुतियां ही आधार हैं । इसके आधार पर यह स्वीकार किया जाता है कि महार…
भर्तृहरि का समय निर्धारण प्रचलित भारतीय जनश्रुति महाराज भर्तृहरि को विक्रम संवत् के संस्थापक…
bhartrihari ? स्वनामधन्य संस्कृत कवियों की परंपरा अपने विषय में अपरिचित ही रही है । इसी श्रृंखला में भर्तृहरि जी ने भ…
kavya parampara. काव्य परम्परा एवं मुक्तक काव्य काव्य परम्परा एवं मुक्तक काव्य दृश्य एवं श्र…