पांच वस्तु ऐसी है ,जो अपवित्र होते हुए भी पवित्र है।

Sooraj Krishna Shastri
By -
1

 पांच वस्तु ऐसी है ,जो अपवित्र होते हुए भी पवित्र है

उच्छिष्टं शिवनिर्माल्यं वमनं शवकर्पटम् ।

काकविष्टा ते पञ्चैते पवित्राति मनोहरा॥ 


1. उच्छिष्ट — गाय का दूध 

गाय का दूध पहेले उसका बछडा पीकर उच्छिष्ट करता है।फिर भी वह पवित्र ओर शिव पर चढता हे ।

2. शिव निर्माल्यं - गंगा का जल

गंगा जी का अवतरण स्वर्ग से सीधी शिव जी के मस्तक पे आई नियमानुसार शिव जी पर चढायी हुइ हर चीज़ निर्माल्य यानि (प्रवाहित करने योग्य) है पर गंगाजल पवित्र है.

3. वमनम्—उल्टी — शहद..

  मधुमक्खी जब फूलो का रस लेके अपने छल्ले पे आती है , तब वो अपने मुख से उसे निकालती है ,जिससे शहद बनता है ,जो पवित्र कार्यो मे लिया जाता है.

4. शव कर्पटम्— रेशमी वस्त्र

  धार्मिक कार्यो को संपादित करने के लिये पवित्रता की आवश्यकता रहती है , रेशमी वस्त्र को पवित्र माना गया है , पर रेशम को बनाने के लिये रेशमी किडें को उबलते पानी मे डाला जाता है ,ओर उसकी मौत हो जाती है उसके बाद रेशम मिलता है तो हुआ शव कर्पट फिर भी पवित्र है ।

5. काक विष्टा— कौए का मल

  कौवा पीपल वगेरे पेडो के फल खाता है ,ओर उन पेडो के बीज अपनी विष्टा मे इधर उधर छोड देता है ,जीसमे से पेडोकी उत्पत्ति होती है ,आपने देखा होगा की कही भी पीपल के पेड उगते नहि हे बल्कि पीपल काक विष्टा से उगता है ,फिर भी पवित्र है। 

Post a Comment

1 Comments

  1. बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट🙏🙏

    ReplyDelete
Post a Comment

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!