जल्दबाज़ी का फैसला

Sooraj Krishna Shastri
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   एक गरीब युवक, अपनी गरीबी से परेशान होकर,अपना जीवन समाप्त करने नदी पर गया, वहां एक साधू ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।

  साधू ने, युवक की परेशानी को सुन कर कहा, कि मेरे पास एक विद्या है, 

  जिससे ऐसा जादुई घड़ा बन जायेगा जो भी इस घड़े से मांगोगे, ये जादुई घड़ा पूरी कर देगा, पर जिस दिन ये घड़ा फूट गया, उसी समय, जो कुछ भी इस घड़े ने दिया है, वह सब गायब हो जायेगा।

  अगर तुम मेरी 2 साल तक सेवा करो, तो ये घड़ा मैं तुम्हे दे सकता हूँ और, अगर 5 साल तक तुम मेरी सेवा करो, तो मैं, ये घड़ा बनाने की विद्या तुम्हे सिखा दूंगा, बोलो तुम क्या चाहते हो, युवक ने कहा, महाराज मैं तो 2 साल ही आप की सेवा करना चाहूँगा, मुझे तो जल्द से जल्द, बस ये घड़ा ही चाहिए, मैं इसे बहुत संभाल कर रखूँगा, कभी फूटने ही नहीं दूंगा।

  इस तरह 2 साल सेवा करने के बाद, युवक ने वो जादुई घड़ा प्राप्त कर लिया, और अपने घर पहुँच गया। उसने घड़े से अपनी हर इच्छा पूरी करवानी शुरू कर दी, महल बनवाया, नौकर चाकर मांगे, सभी को अपनी शान शौकत दिखाने लगा, सभी को बुला-बुला कर दावतें देने लगा और बहुत ही विलासिता का जीवन जीने लगा, उसने शराब भी पीनी शुरू कर दी और एक दिन नशें में घड़ा सर पर रख नाचने लगा और ठोकर लगने से घड़ा गिर गया और घड़ा फूट गया. घड़ा फूटते ही सभी कुछ गायब हो गया। 

  अब युवक सोचने लगा कि काश मैंने जल्दबाजी न की होती और घड़ा बनाने की विद्या सीख ली होती, तो आज मैं फिर से कंगाल न होता।

"ईश्वर हमें हमेशा 2 रास्ते पर रखता है, एक आसान -जल्दी वाला और दूसरा थोड़ा लम्बे समय वाला, पर गहरे ज्ञान वाला, ये हमें चुनना होता है की हम किस रास्ते पर चलें"

  कोई भी काम जल्दी में करना अच्छा नहीं होता, बल्कि उसके विषय में गहरा ज्ञान आपको अनुभवी बनाता है।

बड़ा कि छोटा कुछ काम कीजै। 

परंतु पूर्वापर सोच लीजै।।

बिना विचारे यदि काम होगा । 

कभी ना अच्छा परिणाम होगा।। 

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