यह कहावत कैसे बनी कि "हर पुरुष की कामयाबी की पीछे महिला का हाथ होता है"

Sooraj Krishna Shastri
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आचार्य सूरज कृष्ण शास्त्री
आचार्य सूरज कृष्ण शास्त्री


 एक कम्पनी का बॉस अपने स्टॉफ के कामकाज से इतना खुश हुआ कि, एक विदेशी टूर परिवार सहित सबको गिफ्ट किया । परिवार के सदस्यों के साथ, जब स्टॉफ नदी के मझधार में था तभी बॉस ने कहा कि जो सदस्य, मगरमच्छों से भरी इस नदी को तैर कर पर करेगा उसे 5 करोड़ का ईनाम मिलेगा और हां यदि जान चली गई तो, आश्रितों को 2 करोड़ दिये जायेंगे।

  सबको सांप सूंघ गया, सभी के हाथ पांव सुन्न हो गए, गला सूखा और बोलती बंद थी, सब एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। तभी यह क्या, एक पुरुष झटके से नदी में कूदा और फटाफट, तैरते हुए नदी की धार को पार कर, किनारे जा लगा। सभी हक्के-बक्के थे। सभी उसकी हिम्मत की दाद दे रहे थे, तथा उसे करोड़पति बनने की बधाई दे रहे थे, कोई भविष्य का प्लान पूछ रहा था, तो कोई जानना चाह रहा था, कि वह अब कम्पनी की नौकरी करेगा या नहीं?

पर उसकी पत्नी खामोश थी। उधर नदी पार करने वाले की सांस, धीमी होने का नाम ही नहीं ले रही थी। वह जानना चाह रहा था कि आखिर उसे नाव से नदी में..."धक्का"....किसने दिया ? और जब धक्का देने वाले के बारे में पता चला।

तभी से यह कहावत बनी कि..... 

"हर पुरुष की कामयाबी की पीछे महिला का हाथ होता है"...!!!😊

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