"लृङ् लकार" का परिचय

Sooraj Krishna Shastri
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गम धातु, लृङ् लकार का रूप
गम धातु, लृङ् लकार का रूप

लृङ् लकार का विस्तारपूर्वक परिचय

लृङ् लकार संस्कृत व्याकरण में उन क्रियाओं को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होता है, जो भूतकाल में संभावना, इच्छा, या शंका को व्यक्त करती हैं। इसे संदेहात्मक भूतकाल या आकांक्षा वाचक भूतकाल भी कहा जाता है। यह काल भूतकालीन संदर्भ में भविष्य की घटनाओं की संभावना या आकांक्षा को दर्शाता है।


लृङ् लकार का स्वरूप

लृङ् लकार का निर्माण धातु में भूतकाल के संकेत और संभावना/इच्छा के विशेष प्रत्ययों को जोड़कर किया जाता है। इसका उपयोग भूतकालीन संदर्भ में कार्य की शंका, इच्छा, या संभावना व्यक्त करने के लिए होता है।


लृङ् लकार के रूप निर्माण के नियम

लृङ् लकार में मुख्यतः निम्नलिखित रूपांतरण होता है:

  • धातु + इष् विकरण प्रत्यय + लकार के अनुरूप परस्मैपद/आत्मनेपद प्रत्यय

संरचना:

धातु + इष् (भूतकाल सूचक) + लकार प्रत्यय


लृङ् लकार के प्रत्यय

लृङ् लकार के अंत में जो प्रत्यय जुड़ते हैं, वे इस प्रकार हैं:

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष -इष्यत् -इष्यताम् -इष्यन्
मध्यम पुरुष -इष्यः -इष्यतम् -इष्यत
उत्तम पुरुष -इष्यम् -इष्याव -इष्याम

उदाहरण: 'गम्' (जाना)

गम् धातु का लृङ् लकार रूप:

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष अगमिष्यत् अगमिष्यताम् अगमिष्यन्
मध्यम पुरुष अगमिष्यः अगमिष्यतम् अगमिष्यत्
उत्तम पुरुष अगमिष्यम् अगमिष्याव अगमिष्याम

लृङ् लकार के प्रयोग के भाव

  1. संभावना व्यक्त करने के लिए:
    भूतकाल में किसी घटना के घटने की संभावना।

    • उदाहरण: रामः वनं अगमिष्यत्।
      अर्थ: "राम वन गया होगा।"
  2. इच्छा व्यक्त करने के लिए:
    भूतकाल में किसी कार्य को करने की इच्छा।

    • उदाहरण: बालः पाठं पठिष्यत्।
      अर्थ: "बालक ने पाठ पढ़ना चाहा होगा।"
  3. शंका व्यक्त करने के लिए:
    भूतकाल में किसी घटना के घटित होने पर संदेह।

    • उदाहरण: सीता जलं पीतुम् अगमिष्यत्।
      अर्थ: "सीता जल पीने गई होगी।"

अन्य उदाहरण:

पठ् (पढ़ना)

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष अपठिष्यत् अपठिष्यताम् अपठिष्यन्
मध्यम पुरुष अपठिष्यः अपठिष्यतम् अपठिष्यत्
उत्तम पुरुष अपठिष्यम् अपठिष्याव अपठिष्याम
  • उदाहरण:
    • बालकः पाठं अपठिष्यत्।
      (बालक ने पाठ पढ़ा होगा।)

लिख् (लिखना)

पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन
प्रथम पुरुष अलिखिष्यत् अलिखिष्यताम् अलिखिष्यन्
मध्यम पुरुष अलिखिष्यः अलिखिष्यतम् अलिखिष्यत्
उत्तम पुरुष अलिखिष्यम् अलिखिष्याव अलिखिष्याम
  • उदाहरण:
    • लेखकः ग्रन्थं अलिखिष्यत्।
      (लेखक ने ग्रंथ लिखा होगा।)

लृङ् लकार के वाक्य प्रयोग

  1. संभावना (भूतकाल):

    • रामः वनं अगमिष्यत्।
      "राम वन गया होगा।"
  2. इच्छा (भूतकाल):

    • बालकः गृहम् अगमिष्यत्।
      "बालक ने घर आना चाहा होगा।"
  3. शंका (भूतकाल):

    • सीता फलम् आनयितुम् अगमिष्यत्।
      "सीता फल लाने गई होगी।"

लृङ् लकार के विशेष उपयोग

  1. साहित्य में:
    इसका प्रयोग अक्सर शंका, संभावना या आकांक्षा व्यक्त करने के लिए होता है।

    • उदाहरण: कवियों द्वारा घटनाओं की कल्पना या भविष्यवाणी व्यक्त करते समय।
  2. कथा और इतिहास में:
    इतिहास और कथाओं में भूतकालीन संदर्भ में घटनाओं की संभावना व्यक्त करने के लिए।


निष्कर्ष

लृङ् लकार एक अनूठा लकार है, जो भूतकालीन संदर्भ में संभावना, शंका, और इच्छा को व्यक्त करता है। इसका संस्कृत साहित्य, काव्य और भाषण में विशेष महत्व है।

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