ईश्वर कैसे दिखता है ? : 6 अंधे आदमी कथा

Sooraj Krishna Shastri
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Here is the updated illustration featuring six blind men standing around an elephant, each interacting with a different part. The scene focuses solely on the characters and the elephant to convey the essence of the parable. Let me know if further modifications are needed!

Here is the updated illustration featuring six blind men standing around an elephant, each interacting with a different part. The scene focuses solely on the characters and the elephant to convey the essence of the parable. Let me know if further modifications are needed!



 बहुत समय पहले की बात है, किसी गावं में 6 अंधे आदमी रहते थे. एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया, “अरे, आज गांव में हाथी आया है.” उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था. उन्होंने ने निश्चय किया, “भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते, पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना?” और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहाँ हाथी आया हुआ था।

 सभी ने हाथी को छूना शुरू किया
“मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है”, पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा.
“अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है.” दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा.
“मैं बताता हूँ, ये तो पेड़ के तने की तरह है.”, तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा.
“तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है.”, चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया.
“नहीं-नहीं, ये तो एक दीवार की तरह है.”, पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा.
“ऐसा नहीं है, हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है.”, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी.
और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए... उनकी बहस तेज होती गयी और ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे.
तभी वहां से एक बुद्धिमान व्यक्ति गुजर रहा था. वह रुका और उनसे पूछा, “क्या बात है तुम सब आपस में झगड़ क्यों रहे हो?”
“हम यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर हाथी दिखता कैसा है.”, उन्होंने ने उत्तर दिया.
और फिर बारी बारी से उन्होंने अपनी बात उस व्यक्ति को समझाई.
बुद्धिमान व्यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला, “तुम सब अपनी-अपनी जगह सही हो. तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है क्योंकि तुम सबने हाथी के अलग-अलग भाग छुए हैं, पर देखा जाए तो तुम लोगों ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती हैं.”
“अच्छा ! ऐसा है.” सभी ने एक साथ उत्तर दिया. उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे।
 ईश्वर के वास्तविक रूप को जानना अत्यन्त दुष्कर है। जो जितना जान सका उसका भी वर्णन वह मुश्किल से कर पाया। अन्ततः वे सभी एक ही ईश्वर का वर्णन कर रहे होते हैं।

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