पितृ कर्मो के लिये प्रसिद्ध भारत के प्रमुख तीर्थ

Sooraj Krishna Shastri
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पितृ कर्मो के लिये प्रसिद्ध भारत के प्रमुख तीर्थयह रहा चित्र: इसमें एक व्यक्ति तीर्थ स्थल पर पिण्डदान करते हुए दिखाया गया है। नदी के किनारे, पवित्र वातावरण और दूर मंदिर का दृश्य इसे और अधिक आध्यात्मिक बनाता है।

पितृ कर्मो के लिये प्रसिद्ध भारत के प्रमुख तीर्थयह रहा चित्र: इसमें एक व्यक्ति तीर्थ स्थल पर पिण्डदान करते हुए दिखाया गया है। नदी के किनारे, पवित्र वातावरण और दूर मंदिर का दृश्य इसे और अधिक आध्यात्मिक बनाता है। 




पितृ कर्मो के लिये प्रसिद्ध भारत के प्रमुख तीर्थ

  गया ही नहीं, बल्कि देश मे अन्य कई तीर्थ है जहां तर्पण, पिंडदान आदि पितरों से सम्बंधित कर्म प्रमुखता से किये जाते है इन तीर्थ पर श्राद्ध कर्म को प्राथमिकता दि जाती है।

  हमारे शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष में तीर्थ स्थलों पर जाकर अपने पितरों की आत्मशांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म करने का विशेष महत्व बतायागया है। अधिकतर परिजन अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने गया जी, बोधगया, प्रयागराज, अयोध्या, पुष्कर व हरिद्वार आदि स्थानों पर जाते हैं। लेकिन, हमारे शास्त्रों में कई ऐसे तीर्थ स्थानों का उल्लेख है, जिनके बारे में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं है। ये वे तीर्थ है, जहां जाकर तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करके अपने पितृ ऋण से उऋण हो सकते हैं। इन तीर्थ स्थलों पर शास्त्रों के अनुसार किया गया पिंड, दान और श्राद्ध कर्म सबसे ज्यादा मान्य है।

1. देव प्रयाग, उत्तराखंड

 यह भागीरथी एवं अलखनन्दा का संगम है। यहां पितृों के निमित्त श्राद्ध तर्पण आदि किया जाता है।

2. त्रियूगीनारायण या सरस्वती कुंड, उत्तराखंड

 रूद्र प्रयाग के समीप इस तीर्थ पर भगवान नारायण, भू-देवी एवं लक्ष्मी देवी विराजमान हैं। यहां सरस्वती नदी पर स्थित रूद्र कुण्ड स्नान, विष्णु कुण्ड मार्जन, ब्रह्मकुण्ड आश्वन और सरस्वती कुण्ड तर्पण के लिए हैं।

3. मदमहेश्वर या मध्यमेश्वर उत्तराखंड

 केदारधाम पर स्थित इस तीर्थ पर भगवान शंकर की नाभि प्रतिष्ठित है। यह तीर्थ पंच केदार में शामिल द्वितीय केदार है।

4. रूद्रनाथ 

यह तीर्थ पंच केदार में से एक तुंगनाथ के समीप स्थित है।

5. बद्रीनाथ (ब्रह्म कपाल शिला)

 अलखनन्दा नदी के किनारे ब्रह्म कपाल (कपाल मोचन) तीर्थ है। यहां पिण्डदान किया जाता है।

6. हरिद्वार (हरि की पैड़ी)

 यहां सप्त गंगा, त्रि-गंगा और शक्रावर्त में विधिपूर्वक देव ऋषि एवं पितृ तर्पण करने वाला पुण्यलोक में प्रतिष्ठित होता है। तदन्तर कनखल में पवित्र स्नान किया जाता है।

7. कुरूक्षेत्र (पेहेवा)

 हरयाणा के कुरुक्षेत्र जिले में सरस्वती के दाहिने तट पर स्थित इस तीर्थ को अधिक पुण्यमय माना जाता है।

8. पिण्डास्क पेहोवा और कुरुक्षेत्र के बीच (हरियाणा)

 इसे पिण्ड तारक तीर्थ भी कहते हैं। यहां स्नान करके पितृ तर्पण किया जाता है।

9. मथुरा (ध्रुवघाट)

 मथुरा में यमुना किनारे 24 प्रमुख घाटों में से एक ध्रुव घाट है। इसके पास धु्रव टीले पर छोटे मंदिर में ध्रुव जी का विग्रह है। इसे पितृ तर्पण के लिए प्रधान माना जाता है।

10. नैमिषारण्य (उत्तर प्रदेश)

 बालामऊ जंक्शन के पास नैमिषारण्य में तपस्या, श्राद्ध, यज्ञ, दान इत्यादि की पूजा एंव क्रिया सात जन्मों के पापों को दूर करती है।

11. धौतपाप (हत्याहरण तीर्थ)

 निमिषारण्य से लगभग 13 किमी दूर गोमती नदी के किनारे स्थित इस तीर्थ पर स्नान एवं श्राद्ध तर्पण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं।

12. बिठूर (ब्रह्मावर्त)

 कानपुर के निकट बिठूर नामक स्थान है, यहां गंगा जी के कई घाटों में प्रमुख ब्रह्मा घाट है।

13. प्रयागराज, इलाहाबाद

 यहां श्राद्ध एवं पितृ तर्पण करने से बहुत अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।

14. काशी (मणिकर्णिका घाट)

यह पुरी भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसी हुई है और प्रलय में भी इसका नाश नहीं होता है। यहां श्राद्ध एवं पितृ तर्पण करने से पितृ तृप्त होकर सभी सुख प्रदान करते हैं।

15. अयोध्या

 सप्त पुरियों में अयोध्या को प्रथम पुरी माना गया है। यहां सरयू नदी पर पितृ तर्पण एवं श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।

16. गया, बिहार

 यह भारत का प्रमुख पितृ तीर्थ है। पुराणों के अनुसार पितृ कामना करते हैं कि उनके वंश में कोई ऐसा पुत्र हो जो गया जाकर उनका श्राद्ध करे। गया में पिण्डदान से पितृों को अक्षय तृप्ति प्रदान होती है।

17. बोधगया, बिहार

 यहां भगवान बुद्ध का विशाल मंदिर है। यहां पितृ तर्पण एवं श्राद्धकर्म का विशेष महत्व है।

18. राजगृह, बिहार

 यह हिन्दू, बौद्ध एवं जैन तीनों धर्मों का तीर्थ स्थल है। यहां पुरूषोत्तम मास में श्राद्ध करने से पितृ तृप्त होते हैं।

19. परशुराम कुण्ड, असम

 पूर्वकाल में इसे श्राद्धकर्म के लिए बहुत पवित्र माना जाता था।

20. याजपुर, ओडिशा

 यहां श्राद्ध एवं तर्पण आदि का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि यहां ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था।

21. भुवनेश्वर, ओडिशा

 यहां काशी के समान अत्यधिक शिव मंदिर हैं। इसे उत्कल-वाराणसी और गुप्त काशी भी कहा जाता है। श्राद्ध एवं पितृ तर्पण के लिए यह पवित्र स्थान है।

22. जगन्नाथपुरी, ओडिशा

 भारत के पावन चार धामों में से एक जगन्नाथपुरी है। यह क्षेत्र श्राद्ध एवं पितृकर्म के लिए अत्यन्त पावन माना जाता है।

23. उज्जैन, मध्यप्रदेश

यहां बहती शिप्रा नदी भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न मानी जाती है, जिस पर कई घाट पर मंदिर बने हैं, महाकाल के इस स्थान पर श्राद्ध करने से पितृ पूर्ण तृप्त होते हैं।

24. अमर कण्टक, मध्यप्रदेश

 ऐसा माना जाता है कि सरस्वती का जल तीन दिन में, यमुना का एक सप्ताह में तथा गंगा का जल छूते ही पवित्र कर देता है।

25. नासिक, महाराष्ट्र

 यहां बहने वाली गोदावरी नदी भारत की प्रसिद्ध सात नदियों में से एक है। यहां पितृों की संतुष्टि हेतु स्नान तर्पण आदि कर्म किये जाते हैं।

26. त्र्यम्बकेश्वर, महाराष्ट्र

 यहां महर्षि गौतम ने तपस्या कर शिव जी को प्रसन्न किया था। पितृ दोष शान्ति का यह प्रमुख स्थान है।

27. पंढरपुर महाराष्ट्र

 यहां भीमा नदी है, जिसे चन्द्रभागा भी कहा जाता है। यहां भगवान श्री बिट्ठल का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जोकि पितृकर्म के लिए अत्यन्त श्रेष्ठ माना गया है।

28. लोहार्गल, सीकर राजस्थान

 यहां देशभर के लोग अस्थि विसर्जन के लिए आते हैं। यहां मुख्य तीन पर्वत से निकलने वाली सात धारायें हैं।

29. पुष्कर, अजमेर राजस्थान

 यहां अधिकतर लोग हरिद्वार आदि तीर्थ में अस्थि विसर्जन के बाद पुष्कर में आकर पिण्डदान करते हैं।

30. तिरूपति, तमिलनाडू

 यह श्राद्ध के लिए अत्यन्त पवित्र माना जाता है। यहां कपिल तीर्थ में स्नान, बैंकटाचल पर बालाजी दर्शन के बाद ऊपर के अन्य तीर्थ दर्शन के बाद तिरूपति में गोविन्दराज आदि के दर्शन किये जाते हैं।

31. शिवकांची, सर्वतीर्थ सरोवर तमिलनाडू

 मोक्षदायिनी सप्त पुरियों में शामिल कांची हरिहरात्मकपुरी है। इसके शिवकांची और विष्णुकांची दो भाग हैं। भगवान शिव और विष्णु का क्षेत्र एंव शक्ति सति स्थान होने के कारण इसे अत्यन्त पावन पितृ तीर्थ माना गया है।

32. कुम्भ कोणम, केरल

 कावेरी नदी के तट पर स्थित यहां मुख्य तीर्थ महामघम सरोवर है।

33. रामेश्वरम, लक्ष्मणतीर्थ

 यहां पर पिण्डदान करने से पितृगण पूर्ण रूप से संतुष्ट होते हैं।

34. दर्भशयनम्

 यहां भगवान राम ने दर्भशय्या पर शयन किया था। इसे भी श्राद्ध आदि के लिए मुख्य तीर्थ माना जाता है।

35. सिद्धपुर, गुजरात

 यहां श्राद्ध करने से पितृों को पूर्ण तृप्ति प्राप्त होती है।

36. द्वारकापुरी, गुजरात

 श्रीकृष्ण का धाम होने के कारण यहां श्राद्ध करने से पितृों को पूर्ण तृप्ति प्राप्त होती है। 

37. नारायणसर, गुजरात

 यहां आदि नारायण, लक्ष्मी नारायण, गोबर्धनन्नाथ आदि के मंदिर हैं। अतः नारायण सरोवर के पास पितृों की तृप्ति का तीर्थ स्थान है।

38. प्रभास-पाटण, वेरावल

 यहां अग्निकुण्ड, ज्योर्तिलिंगसोमनाथ, अहिल्याबाई इत्यादि कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इस क्षेत्र से प्राची त्रिवेणी संगम पर भालक तीर्थ भी है। जहां श्री कृष्ण को पैर में बाण लगा था।

39. शूलपाणी, गुजरात

 नरवदा तट के मुख्य तीर्थों में शामिल शूलपाणी तीर्थ पर शूलपाणी महादेव का मंदिर है। 

 पितृ कर्मों के लिये प्रसिद्ध भारत के प्रमुख तीर्थों की सूची है। इसके अलावा पिंडदान के लिए चाणोद, श्रीरंगम, और रीवा भी प्रमुख स्थान हैं।

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