गणपति पूजा: इस विधि से करें गणपति उपासना, कर्ज से शीघ्र मिलेगी मुक्ति

Sooraj Krishna Shastri
By -
0
गणपति पूजा: इस विधि से करें गणपति उपासना, कर्ज से शीघ्र मिलेगी मुक्ति
गणपति पूजा: इस विधि से करें गणपति उपासना, कर्ज से शीघ्र मिलेगी मुक्ति


गणपति पूजा: इस विधि से करें गणपति उपासना, कर्ज से शीघ्र मिलेगी मुक्ति

यदि आप कर्ज से शीघ्र मुक्ति चाहते हैं तो इस विधि से गणपति उपासना करें -

गणेश विनियोग एवं न्यास विधि 


विनियोग


ॐ अस्य श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-मन्त्रस्य सदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजं, गं शक्तिः, गों कीलकं, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगः।


ऋष्यादि-न्यास


सदा-शिव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवतायै नमः हृदि, ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये, गं शक्तये नमः पादयो, गों कीलकाय नमः नाभौ, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।


कर-न्यास


ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः, ऋण छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः, वरेण्यं मध्यमाभ्यां नमः, हुं अनामिकाभ्यां नमः, नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः, फट् कर-तल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः।


षडंग-न्यास


ॐ गणेश हृदयाय नमः, ऋण छिन्धि शिरसे स्वाहा, वरेण्यं शिखायै वषट्, हुं कवचाय हुम्, नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्, फट् अस्त्राय फट्।


गणपति ध्यान


ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं, लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।

ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं, सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्।।

‘आवाहन’ आदि कर पञ्चोपचारों से अथवा ‘मानसिक पूजन’ करे।


 गणपति कवच-पाठ


ॐ आमोदश्च शिरः पातु, प्रमोदश्च शिखोपरि।

सम्मोदो भ्रू-युगे पातु, भ्रू-मध्ये च गणाधीपः।

गण-क्रीडश्चक्षुर्युगं, नासायां गण-नायकः‌। 

जिह्वायां सुमुखः पातु, ग्रीवायां दुर्म्मुखः।।

विघ्नेशो हृदये पातु, बाहु-युग्मे सदा मम।

विघ्न-कर्त्ता च उदरे, विघ्न-हर्त्ता च लिंगके।

गज-वक्त्रो कटि-देशे, एक-दन्तो नितम्बके।

लम्बोदरः सदा पातु, गुह्य-देशे ममारुणः।।

व्याल-यज्ञोपवीती मां, पातु पाद-युगे सदा । 

जापकः सर्वदा पातु, जानु-जंघे गणाधिपः।

हरिद्राः सर्वदा पातु, सर्वांगे गण-नायकः।।


गणपति स्तोत्र-पाठ


सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक्, पूजितः फल-सिद्धये। 

सदैव पार्वती-पुत्रः, ऋण-नाशं करोतु मे।।१

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं-शम्भुना सम्यगर्चितः। 

हिरण्य-कश्यप्वादीनां, वधार्थे विष्णुनार्चितः।।२

महिषस्य वधे देव्या, गण-नाथः प्रपूजितः। 

तारकस्य वधात् पूर्वं, कुमारेण प्रपुजितः।।३

भास्करेण गणेशो हि, पूजितश्छवि-सिद्धये। 

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं, पूजितो गण-नायकः।

पालनाय च तपसां, विश्वामित्रेण पूजितः।।४


फल-श्रुति


इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं, तीव्र-दारिद्र्य-नाशनम्

एक-वारं पठेन्नित्यं, वर्षमेकं समाहितः।

दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा, कुबेर-समतां व्रजेत्।।


कर्ज मुक्ति गणपति मन्त्र


“ॐ गणेश ! ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्” (१५ अक्षर)


 उक्त मन्त्र का अन्त में कम-से-कम २१ बार ‘जप करे। २१,००० ‘जप’ से इसका ‘पुरश्चरण’ होता है। वर्ष भर ‘स्तोत्र’ पढ़ने से दारिद्र्य-नाश होता है तथा लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!