संस्कृत श्लोक: "परिच्छेदो हि पाण्डित्यं यदापन्ना विपत्तयः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
By -
0

 

संस्कृत श्लोक: "परिच्छेदो हि पाण्डित्यं यदापन्ना विपत्तयः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "परिच्छेदो हि पाण्डित्यं यदापन्ना विपत्तयः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

संस्कृत श्लोक: "परिच्छेदो हि पाण्डित्यं यदापन्ना विपत्तयः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

श्लोक:
परिच्छेदो हि पाण्डित्यं यदापन्ना विपत्तयः।
अपरिच्छेदकर्तॄणां विपदः स्युः पदे पदे॥

अर्थ:
जब संकट उत्पन्न होते हैं, तब सूझ-बूझ से निर्णय लेना ही बुद्धिमानी (पाण्डित्य) कहलाता है। जो लोग बिना विचार किए कार्य करते हैं, उन्हें प्रत्येक कदम पर विपत्तियों का सामना करना पड़ता है।


शाब्दिक विश्लेषण

  1. परिच्छेदः – विचारपूर्वक निर्णय (विवेक)
  2. हि – निश्चय ही
  3. पाण्डित्यं – बुद्धिमत्ता, विद्वत्ता
  4. यदा – जब
  5. आपन्नाः – प्राप्त हुए, आए हुए
  6. विपत्तयः – संकट, आपत्तियाँ
  7. अपरिच्छेदकर्तॄणां – बिना विचार किए कार्य करने वालों के लिए (षष्ठी विभक्ति)
  8. विपदः – संकट
  9. स्युः – होते हैं
  10. पदे पदे – प्रत्येक कदम पर

व्याकरणीय विश्लेषण

  • परिच्छेदः (पुल्लिंग, प्रथम विभक्ति, एकवचन) – विवेकपूर्वक निर्णय।
  • पाण्डित्यं (नपुंसकलिंग, द्वितीया विभक्ति, एकवचन) – बुद्धिमत्ता।
  • यदा...तदा (कालवाचक अव्यय युग्म) – जब...तब।
  • विपत्तयः (स्त्रीलिंग, बहुवचन) – संकट, विपत्तियाँ।
  • अपरिच्छेदकर्तॄणां (षष्ठी विभक्ति बहुवचन) – बिना सोच-विचार कार्य करने वालों का।
  • स्युः (लृट् लकार, प्रथम पुरुष, बहुवचन) – होते हैं।

आधुनिक संदर्भ में व्याख्या

यह श्लोक हमें सिखाता है कि किसी भी संकट के समय जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए। विवेक और धैर्य से विचार करने वाले व्यक्ति ही बुद्धिमान कहलाते हैं।

  1. व्यक्तिगत जीवन में:

    • कठिन परिस्थितियों में जल्दबाजी से कोई कदम नहीं उठाना चाहिए।
    • शांत चित्त से समस्या का विश्लेषण करने पर ही सही निर्णय लिया जा सकता है।
  2. प्रबंधन एवं नेतृत्व में:

    • सफल नेता वही होता है जो संकट के समय सूझ-बूझ से काम ले।
    • जल्दबाजी में निर्णय लेने से संगठन को भारी नुकसान हो सकता है।
  3. नीतिशास्त्र में:

    • जीवन में आने वाली कठिनाइयों का समाधान सोच-विचार करके ही निकाला जा सकता है।
    • जो बिना सोचे कार्य करता है, वह बार-बार संकटों में फँसता है।

संक्षिप्त निष्कर्ष

यह श्लोक हमें सिखाता है कि संकट के समय विवेक और धैर्य से निर्णय लेना ही सच्ची बुद्धिमत्ता है। जो लोग बिना सोचे-समझे कदम उठाते हैं, वे बार-बार समस्याओं में फँसते हैं।

Post a Comment

0 Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!