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संस्कृत श्लोक: "चलत्येकेन पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
संस्कृत श्लोक: "चलत्येकेन पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
श्लोक:
चलत्येकेन पादेन तिष्ठत्येकेन बुद्धिमान्।
नासमीक्ष्य परं स्थानं पूर्वमायतनं त्यजेत्॥
अर्थ:
बुद्धिमान व्यक्ति वही है, जो एक पैर आगे बढ़ाता है, जबकि दूसरा पैर पीछे टिकाए रखता है। अर्थात, जब तक अगला स्थान सुनिश्चित न हो, तब तक पूर्व स्थान को नहीं छोड़ना चाहिए।
शाब्दिक विश्लेषण
- चलति – चलता है
- एकेन पादेन – एक पैर से
- तिष्ठति – खड़ा रहता है
- एकेन बुद्धिमान् – दूसरा पैर टिकाए रखता है, यह बुद्धिमानी है
- न – नहीं
- असमीक्ष्य – बिना देखे (सोचे-विचारे)
- परं स्थानं – अगले स्थान को
- पूर्वमायतनं – पहले का ठिकाना
- त्यजेत् – छोड़ना चाहिए
व्याकरणीय विश्लेषण
- चलति, तिष्ठति, त्यजेत् – ये सभी क्रियाएँ लट् (वर्तमान काल) और लोट् (आग्या) लकार में प्रयुक्त हुई हैं।
- एकेन पादेन – तृतीया विभक्ति (करण कारक) में प्रयुक्त हुआ है।
- बुद्धिमान् – विशेषण रूप में प्रयोग हुआ है।
- नासमीक्ष्य – ‘न’ + ‘असमीक्ष्य’ (अव्यय रूप), जिसमें ‘असमीक्ष्य’ का अर्थ है बिना देखे।
- परं स्थानं – ‘परं’ विशेषण और ‘स्थानं’ (नपुंसकलिंग, द्वितीया विभक्ति) संज्ञा के रूप में प्रयोग हुआ है।
आधुनिक संदर्भ में व्याख्या
यह श्लोक किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले सावधानी बरतने की सीख देता है। इसे विभिन्न दृष्टिकोणों से समझा जा सकता है—
-
व्यक्तिगत जीवन में:
- बिना दूसरी नौकरी सुनिश्चित किए पहली नौकरी न छोड़ें।
- किसी भी बड़े बदलाव से पहले उसके सभी पक्षों को समझ लें।
-
व्यापार एवं प्रबंधन में:
- नए निवेश से पहले पुराने संसाधनों को तुरंत न छोड़ें।
- किसी नए बाजार में प्रवेश करने से पहले उसकी संभावनाओं का अध्ययन करें।
-
नीतिशास्त्र में:
- जीवन में आगे बढ़ना आवश्यक है, परंतु बिना योजना के परिवर्तन करना हानिकारक हो सकता है।
- धैर्य और दूरदर्शिता सफलता की कुंजी है।
संक्षिप्त निष्कर्ष
यह श्लोक निर्णय लेने की नीति सिखाता है कि जब तक अगला कदम स्पष्ट न हो, तब तक पहले स्थान को नहीं छोड़ना चाहिए। यह व्यवहारिक जीवन, नीति, व्यवसाय और नेतृत्व में अत्यंत प्रासंगिक है।