"आए हैं तो जाना तय है..."जीवन के अंतिम पड़ाव के लिए तैयारी

Sooraj Krishna Shastri
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"आए हैं तो जाना तय है..."जीवन के अंतिम पड़ाव के लिए तैयारी
"आए हैं तो जाना तय है..."जीवन के अंतिम पड़ाव के लिए तैयारी


जीवन का कड़वा सच

"आए हैं तो जाना तय है..."

जीवनसाथी होने के नाते दोनों ही इस सत्य से परिचित हैं—किसी एक को पहले जाना है।

पति की चिंता—

पत्नी को बैंकिंग, बिल भुगतान, बीमा, डाकघर आदि की जानकारी नहीं है।
ऑनलाइन बैंकिंग नहीं आती,
बाहरी दुनिया के कामों में वह सहज नहीं,
कैसे संभालेगी यह सब...?

पत्नी की चिंता—

पति को सुबह उठते ही अदरक-इलायची वाली चाय चाहिए,
"Nice" बिस्कुट के बिना उनकी सैर अधूरी है,
कपड़े तक खुद नहीं खोज पाते,
नाश्ता, दोपहर का भोजन, शाम का विशेष मेनू—सब व्यवस्थित चाहिए।
अगर मैं न रही, तो कैसे होगा उनका जीवन...?

समाधान की ओर पहला कदम...

  • पति ने पत्नी को बैंक ले जाना शुरू किया,
    • ATM से पैसे निकलवाना सिखाया,
    • शादी की तारीख को पिन बनाया।
  • पत्नी भी एक दिन झूठ-मूठ बीमार बनी,
    • पति से चाय-नाश्ता बनवाया,
    • तारीफ कर उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया।
  • अब पति पत्नी को
    • गैस बुकिंग,
    • बिल भुगतान,
    • अन्य आवश्यक कार्य सिखाने लगा।
  • उधर, पति ने भी
    • दाल-चावल, खिचड़ी बनाना सीखा,
    • अब दोनों कुछ निश्चिंत हुए।

और फिर...
दोनों ने काल (मृत्यु) को संबोधित किया—
"अब आओ, हम तैयार हैं!"


जीवन के अंतिम पड़ाव के लिए तैयारी जरूरी है

क्योंकि किसका नंबर पहले आएगा, यह कोई नहीं जानता।

कुछ इसे "संन्यासाश्रम" कहते हैं,
कुछ इसे "वानप्रस्थाश्रम" कहते हैं,
पर मैं इसे "आनंदाश्रम" कहता हूँ!

बुढ़ापे को कैसे आनंदमय बनाएं?

✔ घर को एक "आश्रम" जैसा बनाएं,
✔ आश्रम में रहें तो उसे "घर" जैसा महसूस करें,
✔ पुरानी यादों में न उलझें,
✔ "हमारे समय में..." जैसी बातें दोहराने से बचें,
✔ अपमान होने पर प्रतिक्रिया न दें,
✔ छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लें,
✔ नए दोस्त बनाते रहें,
✔ क्रोध और लालच से दूर रहें,
✔ खुद को व्यस्त रखें।

आनंदमय वृद्धावस्था के कुछ सूत्र—

  • लेंस प्रत्यारोपण से साफ दिखाई देगा,
  • नए दांतों से ठीक से चबा सकेंगे,
  • श्रवण यंत्र से स्पष्ट सुन सकेंगे।
तो फिर...

✅ पार्क तक जाएं, लौटकर आएं,
✅ मंदिर जाएं, भजन गाएं,
✅ टीवी देखें, सीरियल का आनंद लें,
✅ बच्चों के सामने कम बोलें,
✅ पोते-पोतियों के साथ खेलें,
✅ पत्नी से झगड़ा कम करें,
✅ दोस्तों के साथ चैट करें,
✅ घूमने निकलें,
✅ पत्नी का सामान उठाएं।

समय मिले तो—

  • अकेले में नाच लें, कोई देखे तो कहें—व्यायाम कर रहा हूँ!
  • ऊब जाएं तो सो जाएं,
  • थक जाएं तो आराम करें।

घर में अकेले हों तो—
✔ रसोई में जाएं, मलाई साफ करें,
✔ बच्चों का नाश्ता टेस्ट करें,
✔ पुरानी शर्ट पहनें,
✔ दर्पण में देखें और कहें—"आईना झूठा है!"
✔ कोई न हो तो दर्पण के सामने मुँह भी बिगाड़ लें।

और अंत में...

  • जीवन का स्वाद लेते-लेते,
  • सराहना करते-करते,
  • तृप्त मन से आनंद लेते-लेते,
  • एक पका पत्ता बनकर,
  • बिना आवाज़ के चुपचाप खिसक जाना...!

"जीवन का सच्चा सार—पूर्णता के साथ विदा लेना।"


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