कथा: सम्राट सोलोमन और इथियोपिया की रानी
यह प्रेरक कथा सम्राट सोलोमन और इथियोपिया की रानी के मध्य घटित एक अत्यंत मधुर संवाद और परीक्षा की कहानी है, जो बुद्धिमत्ता, संवेदनशीलता और प्रेम के अद्भुत समन्वय को उजागर करती है। इसे हम निम्नलिखित शीर्षकों में व्यवस्थित और विस्तारपूर्वक प्रस्तुत कर सकते हैं—
1. कथा का प्रारंभ: सम्राट सोलोमन का दरबार
प्राचीन समय की यह कथा सम्राट सोलोमन के जीवन से जुड़ी हुई है, जिन्हें संसार का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था। उनके दरबार में एक दिन एक अत्यंत सुंदर स्त्री आई। वह इथियोपिया की रानी थी।
रानी की अभिलाषा
वह सम्राट सोलोमन से प्रेम करना चाहती थी। परंतु उसका विश्वास था कि वह केवल उसी पुरुष से प्रेम करेगी जो वास्तव में संसार का सर्वश्रेष्ठ बुद्धिमान हो। वह केवल सौंदर्य से प्रभावित नहीं थी, वह विवेक, समझ और गहन अंतर्दृष्टि से युक्त प्रेम चाहती थी।
2. बुद्धिमत्ता की परीक्षा: एक विलक्षण प्रयोग
इथियोपिया की रानी ने सोलोमन की बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेने के लिए कई प्रयोग किए। उनमें से एक अत्यंत रोचक और सूक्ष्म प्रयोग यह था:
नकली फूल की परीक्षा
“मेरे हाथ में जो फूल है, क्या आप दूर से यह बता सकते हैं कि वह असली है या नकली?”
3. सोलोमन की युक्ति: मधुमक्खी का संकेत
सोलोमन ने बड़ी सहजता से उत्तर देने की बजाय एक उपाय अपनाया। उन्होंने कहा:
“प्रकाश पर्याप्त नहीं है और मेरी दृष्टि भी इतनी तीव्र नहीं है। कृपया खिड़कियां खोल दीजिए।”
प्राकृतिक परीक्षण
जब खिड़कियां खुली तो कुछ देर प्रतीक्षा करने के बाद उन्होंने उत्तर दिया:
“यह फूल नकली है।”
“यह फूल असली है।”
पूरे दरबार में विस्मय छा गया। रानी भी चकित रह गई कि यह रहस्य कैसे सुलझा?
4. रहस्य का उद्घाटन: प्रेमयुक्त सूक्ष्मता
जब लोगों ने सम्राट सोलोमन से इसका कारण पूछा, तो उन्होंने अत्यंत शांत स्वर में उत्तर दिया:
“मैंने खिड़कियां इसलिए खुलवाईं ताकि मधुमक्खियां भीतर आ सकें।नकली फूल की ओर कोई मधुमक्खी नहीं गई, परंतु जैसे ही असली फूल लाया गया, मधुमक्खियां तुरंत उसकी ओर आकर्षित हो गईं।असली और नकली की पहचान उन्होंने कर दी।”
यह उत्तर केवल बुद्धिमत्ता की ही नहीं, बल्कि एक संवेदनशील, प्रेमपूर्ण, और पर्यावरण-सम्बद्ध दृष्टिकोण की भी मिसाल बन गया।
5. प्रेम का अतीन्द्रिय गुण
इस कथा का गहन भावार्थ यह है कि:
प्रेम की सूक्ष्म चेतना एक प्रकार का अतीन्द्रिय ज्ञान देती है।
जैसे मधुमक्खी मीलों दूर से पुष्प की सुगंध को पहचान लेती है, वैसे ही प्रेम करने वाला व्यक्ति भी अपने प्रेम के स्रोत को पहचान लेता है, चाहे वह कहीं भी हो।
प्रेम एक मार्गदर्शक है
प्रेम केवल भावना नहीं, वह एक दिशा है। जब तुम किसी वस्तु या व्यक्ति से सच्चा प्रेम करते हो, तो तुम बिना देखे, बिना पूछे, बिना रास्ता जाने — वह मार्ग खोज लेते हो जो तुम्हें उस तक ले जाता है।
6. शिक्षाप्रद निष्कर्ष
इस कथा से हमें निम्नलिखित गहन शिक्षाएँ प्राप्त होती हैं:
- बुद्धिमत्ता केवल ज्ञान नहीं, संवेदनशीलता भी है।
- प्रेम में अतीन्द्रिय अनुभव की शक्ति होती है।
- प्रेम ही तुम्हारा पथप्रदर्शक है — वही तुम्हारी दिशा तय करता है।
- अपने प्रेम की पात्रता और प्रकृति के प्रति सजग रहो, क्योंकि वही तुम्हारी स्थिति तय करती है।
- मधुमक्खी की तरह बनो, जो केवल सुगंधित और जीवनदायी फूलों की ओर जाती है — नकली की ओर नहीं।
7. अंत में…
तुम्हारा प्रेम ही तुम्हारी स्थिति है।
जिस वस्तु, कार्य, या व्यक्ति से तुम प्रेम करते हो, अंततः तुम उसी के स्वरूप में ढल जाते हो।
इसलिए अपने प्रेम का चयन बुद्धिमानी से करो — क्योंकि वही तुम्हारी दिशा, दशा और भविष्य दोनों को निर्धारित करेगा।