संस्कृत श्लोक: "अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

🙏 जय श्री राम 🌷सुप्रभातम् 🙏
 प्रस्तुत यह नीति-श्लोक अत्यंत गूढ़ अर्थों से युक्त है, जिसमें विभिन्न वर्गों की इच्छाओं की सीढ़ी प्रस्तुत की गई है। आइए इस श्लोक का हम शाब्दिक विश्लेषण, व्याकरण, भावार्थ, और आधुनिक संदर्भ में विस्तृत विवेचन करें —
Thought of the day Sanskrit
संस्कृत श्लोक: "अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद



📜 श्लोक

अधना धनमिच्छन्ति वाचं चैव चतुष्पदाः ।
मानवाः स्वर्गमिच्छन्ति मोक्षमिच्छन्ति देवताः ॥


🧾 1. शाब्दिक विश्लेषण

पद अर्थ
अधनाः निर्धन लोग
धनम् इच्छन्ति धन की कामना करते हैं
वाचं वाणी (बोलने की शक्ति)
चैव और भी
चतुष्पदाः चार पांवों वाले प्राणी (पशु)
मानवाः मनुष्य
स्वर्गम् इच्छन्ति स्वर्ग की कामना करते हैं
मोक्षम् इच्छन्ति मोक्ष (मुक्ति) की कामना करते हैं
देवताः देवता

🔤 2. व्याकरणिक पक्ष

  • इच्छन्ति – √इष् धातु (चाहना) से वर्तमानकाल, प्रथम पुरुष, बहुवचन
  • वाचं, धनं, स्वर्गं, मोक्षं – सभी पुल्लिंग एकवचन द्वितीया विभक्ति में हैं (काम्य वस्तु के रूप में)।
  • चतुष्पदाःचतु: + पद (चार पैर वाले); पुंलिंग बहुवचन।

🧠 3. भावार्थ

यह श्लोक बताता है कि —

  • निर्धन व्यक्ति धन की कामना करता है, क्योंकि उसी के माध्यम से उसकी ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं।
  • पशु वाणी की कामना करते हैं, क्योंकि वे संवाद नहीं कर सकते।
  • मनुष्य स्वर्ग की आकांक्षा रखते हैं, क्योंकि वे पुण्यफल की कल्पना करते हैं।
  • देवता मोक्ष की कामना करते हैं, क्योंकि वे भी पुनर्जन्म और चक्र से मुक्त होना चाहते हैं।

यह क्रम "इच्छाओं के उत्क्रमण" का परिचायक है — जो जिस स्थिति में है, वह उससे श्रेष्ठ की चाह करता है।


🪷 4. आध्यात्मिक व्याख्या

स्थिति इच्छा कारण
अधना (निर्धन) धन जीवन-निर्वाह
पशु (चतुष्पद) वाणी अभिव्यक्ति की क्षमता
मनुष्य स्वर्ग सुखमय जीवन की कल्पना
देवता मोक्ष चिरशांति, जन्म-मरण से मुक्ति

यहाँ संकेत है कि "संसार में कोई भी पूर्ण नहीं है, सभी कुछ न कुछ चाहते हैं।"


🧘‍♂️ 5. दर्शनशास्त्र से सम्बंधित

  • कामना (इच्छा) का अस्तित्व सभी जीवों में है — यह जीवन का स्वभाव है।
  • किन्तु कामना की दिशा ही जीवन के स्तर को निर्धारित करती है
    • निचली इच्छाएं – भौतिक हैं।
    • ऊँची इच्छाएं – आत्मिक या मोक्षदायक होती हैं।

🌐 6. आधुनिक सन्दर्भ

वर्ग वर्तमान यथार्थ
गरीब नौकरी, आजीविका, सुविधा
जनवरी जीव (पशुवत जीवन जीने वाले) अपनी बात कहने की स्वतंत्रता
आम मनुष्य आराम, सुख, प्रतिष्ठा, वैभव
ज्ञानी, योगी आत्मज्ञान, परमशांति, मोक्ष

“आज का मनुष्य जो चाहता है, वह उसकी स्थिति नहीं, उसकी संभावना को दर्शाता है।”


🧑‍🏫 7. संवादात्मक प्रस्तुति (संक्षिप्त नीति कथा)

👦 शिष्य: “गुरुदेव! क्या देवता भी कुछ चाहते हैं?”
👨‍🦳 गुरु: “हाँ पुत्र! जब मनुष्य स्वर्ग चाहता है, तब देवता मोक्ष चाहते हैं।”
👦: “तो इच्छा कभी समाप्त नहीं होती?”
👨‍🦳: “नहीं पुत्र, इच्छा की दिशा बदलती है — जैसे चंद्रमा की कला।


📌 8. नैतिक शिक्षा

  • जो तुम्हारे पास नहीं है, उसकी इच्छा स्वाभाविक है; परंतु सोचो — क्या उसकी पूर्ति से तुम पूर्ण हो जाओगे?
  • आकांक्षा का क्रम हमें यह सिखाता है कि "सबसे ऊँची इच्छा ही अंतिम लक्ष्य है — मोक्ष!"

🪔 9. सार-सूत्र

"इच्छाएँ स्थितिनुसार बदलती हैं, पर मुक्ति ही अंतिम स्थिति है जहाँ इच्छा भी शांत हो जाती है।"

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