श्री हनुमत-स्तोत्रम् (श्री नीतिप्रवीण स्तोत्रम्), हिन्दी अनुवाद सहित
प्रस्तुत "हनुमत स्तोत्र" एक अत्यंत शक्तिशाली प्रार्थना है जो श्री हनुमानजी महाराज की स्तुति करती है, और जिसका श्रवण अथवा पठन करने मात्र से मनुष्य पर एक दिव्य अभेद्य कवच बन जाता है जो कलियुग की समस्त बाधाओं, दुष्ट आत्माओं, तंत्र-बाधाओं और सांसारिक दुखों को दूर करने में सहायक होता है।
यह स्तोत्र भगवान स्वामिनारायण के महान भक्त, समाधि-निष्ठ संत – नंदसंत शतानन्द स्वामी (जो मैत्रेय ऋषि के अवतार माने जाते हैं) द्वारा रचित है। यह स्तोत्र श्री कष्टभंजन हनुमानजी महाराज को समर्पित है जिनकी मूर्ति सारंगपुर (गुजरात) में गोपालनंद स्वामी द्वारा प्रतिष्ठित की गई थी। वहाँ आज भी हनुमानजी की कृपा से अनेक अद्भुत चमत्कार घटित होते हैं।
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श्री हनुमत-स्तोत्रम् (श्री नीतिप्रवीण स्तोत्रम्), हिन्दी अनुवाद सहित |
हनुमत् स्तोत्रम्
(श्रीशतानन्द मुनि विरचितम्)
नीतिप्रवीण ! निगमागमशास्त्रबुद्धे !
राजाधिराजरघुनायकमन्त्रिवर्य !
सिन्दूरचर्चितकलेवर नैष्ठिकेन्द्र !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ १ ॥
सीतानिमित्तजरघुत्तमभूरिकष्ट–
प्रोत्सारणे काकसहाय हतास्त्रपौघ !
निर्दग्ध यातुपतिहाटकराजधानी !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ २ ॥
दुर्वार्यरावणविसर्जितशक्तिघात–
कण्ठासुलक्ष्मणसुखाहृतजीववल्ले !
द्रोणाचलानयननन्दितरामपक्ष !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ३ ॥
रामागमोक्तितरितारितबन्ध्वयोग–
दुःखाब्धिमग्नभरतार्पितपारिबर्ह !
रामाङ्घ्रिपद्ममधुपी भवदन्तरात्मन् !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ४ ॥
वातात्मकैसरीमहाकपिराट्तदीय–
भार्याञ्जनीपुरुतपःफलपुत्रभाव !
तार्क्ष्योपमोचितवपुर्बलतीव्रवेग !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ५ ॥
नानाभिचारिकविसृष्टसवीरकृत्या–
विद्रावणारुणसमीक्षणदुःप्रधर्ष्य !
रोगघ्नसत्सुतदवित्तदमन्त्रजाप !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ६ ॥
यन्नामधेयपदकश्रुतिमात्रतोऽपि
ये ब्रह्मराक्षसपिशाचगणाश्च भूताः ।
ते मारिकाश्च सभयं ह्यपयान्ति सत्त्वं !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ७ ॥
त्वं भक्तमानससमीप्सितपूर्तिशक्तो
दीनस्य दुर्मदसपत्नभयार्तिभाजः ।
इष्टं ममापि परिपूरय पूर्णकाम !
श्रीरामदूत ! हनुमन् ! हर संकटं मे ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीशतानन्दमुनिविरचितं श्रीहनुमत्स्तोत्रं समाप्तम् ॥
यहाँ श्री शतानन्द मुनि विरचित श्री हनुमत् स्तोत्र का श्लोक सहित भावपूर्ण हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है। यह स्तोत्र संकटों को हरने वाले श्री हनुमानजी महाराज की स्तुति में रचा गया है।
❖ श्री हनुमत् स्तोत्रम् (श्रीशतानन्द मुनि विरचितम्) 🌺 श्लोक एवं हिन्दी भावार्थ 🌺
(1)
🔸 नीतिप्रवीण! निगमागमशास्त्रबुद्धे!
राजाधिराजरघुनायकमन्त्रिवर्य!
सिन्दूरचर्चितकलेवर नैष्ठिकेन्द्र
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ १ ॥
🪔 अनुवाद:
हे नीति में निपुण, वेद-शास्त्रों के ज्ञानी! हे रघुकुलनायक श्रीराम के श्रेष्ठ मंत्री!
सिंदूर से सुशोभित शरीर वाले, व्रती श्रेष्ठ हनुमानजी!
हे श्रीराम के दूत! आप मेरे सारे संकट दूर करें।
(2)
🔸 सीतानिमित्तजरघुत्तमभूरिकष्ट–
प्रोत्सारणे काकसहाय हतास्त्रपौघ!
निर्दग्ध यातुपतिहाटकराजधानी
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ २ ॥
🪔 अनुवाद:
हे हनुमानजी! जिन्होंने सीताजी की खोज हेतु भारी कष्ट सहे,
काकभुशुण्डि की सहायता से असंख्य शत्रुओं को पराजित किया,
राक्षसराज रावण की राजधानी को जलाकर भस्म कर दिया —
हे रामदूत! आप मेरे संकट दूर करें।
(3)
🔸 दुर्वार्यरावणविसर्जितशक्तिघात–
कण्ठासुलक्ष्मणसुखाहृतजीववल्ले!
द्रोणाचलानयननन्दितरामपक्ष
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ३ ॥
🪔 अनुवाद:
हे हनुमानजी! आपने रावण की अमोघ शक्ति से घायल लक्ष्मण की
प्राणवायु को पुनः लौटाया,
द्रोणगिरि पर्वत लाकर राम पक्ष को आनन्दित किया —
हे रामदूत! आप मेरे संकट दूर करें।
(4)
🔸 रामागमोक्तितरितारितबन्ध्वयोग–
दुःखाब्धिमग्नभरतार्पितपारिबर्ह!
रामाङ्घ्रिपद्ममधुपी भवदन्तरात्मन्
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ४ ॥
🪔 अनुवाद:
हे हनुमानजी! श्रीराम के आदेश से आपने बन्धु मिलन के हेतु शीघ्र प्रयाण किया,
विरह वेदना में डूबे भरतजी को सन्देश पहुँचाया,
हे राम चरणों के मधु के समान प्रेम करने वाले!
आप मेरे जीवन से सभी क्लेशों को दूर करें।
(5)
🔸 वातात्मकैसरीमहाकपिराट्तदीय–
भार्याञ्जनीपुरुतपःफलपुत्रभाव!
तार्क्ष्योपमोचितवपुर्बलतीव्रवेग
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ५ ॥
🪔 अनुवाद:
हे पवनपुत्र! हे केसरीवंशी महान् कपिराज!
आप माता अञ्जनी के तपस्वी फलस्वरूप प्राप्त दिव्य पुत्र हैं।
गरुड़ के समान तीव्र गति और बल से संपन्न,
हे रामदूत! आप मेरी विपत्तियों का नाश करें।
(6)
🔸 नानाभिचारिकविसृष्टसवीरकृत्या–
विद्रावणारुणसमीक्षणदुःप्रधर्ष्य!
रोगघ्नसत्सुतदवित्तदमन्त्रजाप
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ६ ॥
🪔 अनुवाद:
आपकी दृष्टि से अनेक तांत्रिक, अपशकुन, टोटके और दुष्ट कृत्य दूर भाग जाते हैं।
आपके दर्शन मात्र से अरिष्ट और भयप्रद शक्तियाँ भाग जाती हैं।
रोग नाशक, संतान देने वाले, धनदाता और मन्त्रसिद्ध —
हे रामदूत! आप मेरे संकटों को हरें।
(7)
🔸 यन्नामधेयपदकश्रुतिमात्रतोऽपि
ये ब्रह्मराक्षसपिशाचगणाश्च भूताः ।
ते मारिकाश्च सभयं ह्यपयान्ति सत्त्वं !
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ७ ॥
🪔 अनुवाद:
आपके नाम का श्रवण मात्र करने से ब्रह्मराक्षस, पिशाच, भूत और मारिकाएँ
डरकर भाग जाते हैं।
आपके नाम से ही जीव निर्भय और तेजस्वी हो जाता है।
हे श्रीरामदूत! मेरे जीवन की सब बाधाएँ दूर करें।
(8)
🔸 त्वं भक्तमानससमीप्सितपूर्तिशक्तो
दीनस्य दुर्मदसपत्नभयार्तिभाजः ।
इष्टं ममापि परिपूरय पूर्णकाम !
श्रीरामदूत! हनुमन्! हर संकटं मे ॥ ८ ॥
🪔 अनुवाद:
हे भक्तवत्सल! आप अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में समर्थ हैं।
आप दीनों की रक्षा करते हैं, अत्याचारियों का नाश करते हैं।
मेरी भी इच्छाओं को पूर्ण करें —
हे श्रीरामदूत! मेरे जीवन के संकट हर लें।
॥ इति श्रीशतानन्दमुनिविरचितं श्रीहनुमत्स्तोत्रं समाप्तम् ॥
🙏 श्री कष्टभंजन हनुमानजी महाराज की जय!
🙏 श्रीस्वामिनारायण भगवान की जय!