कायरता, सत्ता और समाज का सच | Nehru Gandhi Par Kavita – मेरा हिन्दुस्तान कहाँ है?
"इस लेख में कायरता और सत्ता के सच का गहन विश्लेषण किया गया है। अंत में एक प्रभावशाली कविता प्रस्तुत है जिसमें नेहरू-गांधी से सवाल किया गया है – मेरा हिन्दुस्तान कहाँ है?"
कायरता, सत्ता और समाज का सच
प्रस्तावना
मानव इतिहास में साहस और कायरता दोनों प्रवृत्तियाँ समानांतर चलती रही हैं। जहाँ वीर व्यक्ति सत्य और न्याय के लिए प्राणों की आहुति देते हैं, वहीं कायर लोग केवल सत्ता के पलड़े के साथ खड़े होते हैं। कायरता का सबसे बड़ा दोष यही है कि यह समाज से वीरवृत्ति को नष्ट करती है और कायरों को सत्ता का सहायक बना देती है।
कायर और सत्ता
कायर व्यक्ति हमेशा सत्ता का मुखापेक्षी होता है। वह देखता है कि किसका पलड़ा भारी है और उसी का अनुयायी बन जाता है। जब सत्ता बदलती है तो उसकी निष्ठा भी तुरंत बदल जाती है। लेकिन सबसे खतरनाक स्थिति तब उत्पन्न होती है जब कायर स्वयं सत्ता पर काबिज हो जाता है। तब उसका सबसे बड़ा भय यही होता है कि कहीं उसकी सत्ता उससे छिन न जाए।
ऐसा कायर समाज के सच्चे वीरों और संभावित नेतृत्वकर्ताओं को अपनी साजिशों के जाल में फँसाकर कमजोर करता है। इससे समाज में साहस का ह्रास होता है और कायरता का प्रसार।
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कायरता, सत्ता और समाज का सच | Nehru Gandhi Par Kavita – मेरा हिन्दुस्तान कहाँ है? |
समाज पर प्रभाव
जब वीरवृत्ति दबा दी जाती है तो समाज की शक्ति समाप्त हो जाती है। लोग डर के कारण सत्य के साथ खड़े नहीं हो पाते। धीरे-धीरे राष्ट्र भी अपमान और अधोगति की ओर चला जाता है।
समाधान और आह्वान
यदि हमें इस स्थिति से बाहर निकलना है तो आवश्यक है कि हम कायरता को पहचानें और उसका प्रतिकार करें। हमें अपने भीतर की वीरता को जगाना होगा, चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न सहना पड़े। इतिहास में हमेशा साहसी लोग ही परिवर्तन के वाहक बने हैं।
"जिस पर था सर्वस्व लुटाया" कविता
लेख के अंत में यह कविता समाज की पीड़ा और प्रश्नों को गहराई से व्यक्त करती है—
जिसपर था सर्वस्व लुटाया, मेरा वो अरमान कहां है?
बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है?सैंतालीस में भारत बांटा, 'उनको' पाकिस्तान दे दिया;"दो गालों पे थप्पड़ खा लो" मुझे फालतू ज्ञान दे दिया;मुझे बताओ यही ज्ञान तुम, 'उनको' भी तो दे सकते थे;नहीं बंटेगी भारत माता, ये निर्णय तुम ले सकते थे;मगर देश को छिन्न-भिन्न कर, दुनिया भर की सीख दे गए,हिन्दू को दो-फाड़ कर दिया, आरक्षण की भीख दे गए!एक अरब हिन्दू लावारिस, कहो हमारा मान कहां है?बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है?'सेकुलर' राष्ट्र बनाना था तो, बिन बंटवारे भी संभव था;छद्म-धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र, बिन भारत हारे भी संभव था;'उन्हें' पालना ही था तो, क्यों टुकड़े भारत के कर डाले?मुझे बताओ किस की ख़ातिर, डाके अपने ही घर डाले?एक चीन क्या कम दुश्मन था, बाजू पाकिस्तान बिठाया;कदम-कदम पर इसी पाक से, हम सब ने फिर धोखा खाया;जितनी सस्ती जान हमारी, उतनी सस्ती जान कहां है?बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है?मुस्लिम की ज़िद पूरी कर दी, हिन्दू का अधिकार भुलाया;भूले सावरकर की पीड़ा, और बोस का प्यार भुलाया;धूल-धूसरित, जग में लज्जित, भारत का सम्मान कर दिया;दो लोगों की पदलोलुपता, पे भारत बलिदान कर दिया !उधम सिंह को पागल बोला, मरने दिया भगत को तुमने;चापलूस के हैं पौ-बारह, दिखला दिया जगत को तुमने;जो जीते उनको हरवाया, 'वल्लभ' का सम्मान कहाँ है?बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है?टूटा -फूटा जैसा भी था, सैंतालिस में भारत पाया;पर मुझको भी हक़ मिल जाये, ये तुमको हरगिज़ ना भाया;मुल्लों की तनख्वाह बांध दी, मंदिर लूटे तुमने जी भर;सेकुलर की परिभाषा गढ़ दी, उन्हें सब्सिडी हिन्दू पे कर !ना पुराण ना वेद पढ़ाये, जाने क्या बकवास पढ़ाया;शिक्षा में घोटाला कर के, अधकचरा इतिहास पढ़ाया;पूछे हिन्दू इस भारत में, हिन्दू की पहचान कहां है?बोलो नेहरू बोलो गांधी, मेरा हिन्दुस्तान कहां है?