हिन्दी कविता
कायरता, सत्ता और समाज का सच | Nehru Gandhi Par Kavita – मेरा हिन्दुस्तान कहाँ है?

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कायरता, सत्ता और समाज का सच | Nehru Gandhi Par Kavita – मेरा हिन्दुस्तान कहाँ है? "इस लेख में कायरता और सत्ता के स…

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 शबरी गीत: पथरीली गीली आँखों में भावों की सरयू लहराई

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पथरीली  गीली आँखों में भावों की सरयू लहराई जब शबरी की पर्णकुटी में अवधी में बोले रघुराई हमका भूख लगी है माई !  छोटा  सा…

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हिन्दी कविता: इंसान से इंसानियत के चिह्न सारे मिट गए

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हिन्दी कविता: इंसान से इंसानियत के चिह्न सारे मिट गए इंसान से इंसानियत के चिह्न सारे मिट गए, आत्मा तो मर गई बस खोल ढोते…

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कविता "नए अछूत" और उसका विश्लेषण

कविता "नए अछूत" और उसका विश्लेषण

कविता "नए अछूत" और उसका विश्लेषण  यह शीर्षक ही स्वयं में एक तीव्र सामाजिक पीड़ा और विरोधाभास को उद्घाटित करत…

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हिन्दी कविता: अब भी कोई गीत बचा क्या प्रियवर तुम्हें सुनाने को।

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