Pandit Advice in Sanskrit Shlok: गुण पहचानने वाले को ही करें सेवा | Barren Land Analogy Explained
Sanskrit Shlok on बुद्धिमान व्यक्ति की सेवा: Why a wise person should avoid serving those who fail to value गुण | Learn with barren land example.
प्रस्तुत श्लोक अत्यंत महत्वपूर्ण नीति का बोध कराता है। यह हितोपदेश और नीतिशतक जैसे ग्रंथों में वर्णित व्यावहारिक जीवन-सिद्धान्तों से मेल खाता है। आइए इसे व्यवस्थित रूप से देखें—
1. श्लोक
संस्कृत (देवनागरी):
यो न वेत्ति गुणान्यस्य न तं सेवेत पण्डितः ।न हि तस्मात्फलं किञ्चित्सुकृष्णादूषरादिव ॥
IAST (Transliteration):
yo na vetti guṇāny asya na taṁ seveta paṇḍitaḥ ।
na hi tasmāt phalaṁ kiñcit sukṛṣṇād ūṣarād iva ॥
2. शाब्दिक अर्थ
- यः – जो (व्यक्ति)
- न वेत्ति – नहीं जानता, नहीं पहचानता
- गुणान् – गुणों को
- यस्यम् – जिसका
- न तम् सेवेत – उसकी सेवा न करे
- पण्डितः – विद्वान व्यक्ति, बुद्धिमान
- न हि – क्योंकि नहीं
- तस्मात् – उससे
- फलम् – फल, लाभ
- किञ्चित् – कुछ भी
- सुकृष्णात् – अच्छी तरह जोती हुई भूमि से
- ऊषरात् – बंजर भूमि (जिसमें उपज नहीं)
- इव – के समान
3. भावार्थ (हिन्दी अनुवाद)
“बुद्धिमान व्यक्ति को उस व्यक्ति की सेवा नहीं करनी चाहिए जो उसके गुणों को पहचानने में असमर्थ है। ऐसे अज्ञानी स्वामी की सेवा से कुछ भी फल प्राप्त नहीं होता, जैसे कि बंजर भूमि को भले ही अच्छे से जोता जाए, वहाँ फसल नहीं उगती।”
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4. आधुनिक सन्दर्भ
यह श्लोक जीवन, नौकरी और संबंधों में गहरी सीख देता है—
- Talent Recognition (प्रतिभा की पहचान): यदि कोई संगठन, मालिक या समाज किसी की प्रतिभा को नहीं पहचानता, तो वहाँ सेवा या श्रम करना व्यर्थ है।
- Self-Respect (आत्मसम्मान): अपनी क्षमताओं का अपमान करने वाली जगह पर रुकना स्वयं के साथ अन्याय है।
- Right Environment (सही वातावरण): जैसे बीज को उपजाऊ भूमि चाहिए, वैसे ही प्रतिभा को पोषक वातावरण चाहिए।
- Modern Example: अगर एक कुशल इंजीनियर को ऐसे स्थान पर रखा जाए जहाँ उसकी प्रतिभा का मूल्य न हो, तो उसका विकास नहीं होगा।
5. नीति-कथा (संवादात्मक शैली)
कथा – “दो किसान और बंजर भूमि”
👨🌾 पहला किसान: “मैंने इस बंजर खेत को कई बार जोता है, पर फसल नहीं हुई।”
👨🌾 दूसरा किसान: “भाई! तू चाहे कितना भी श्रम करे, यह भूमि उपजाऊ ही नहीं है। क्यों न अपनी मेहनत उस उपजाऊ खेत पर कर जहाँ तेरी मेहनत रंग लाएगी?”
संदेश: जैसे बंजर भूमि से अन्न नहीं मिलता, वैसे ही मूर्ख या अयोग्य स्वामी की सेवा से कोई फल नहीं मिलता।

