प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana

Sooraj Krishna Shastri
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प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana 

"प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध दोहे और छंद पढ़ें, जिनमें Radha Bhakti का रस और Kripa Prapti का मार्ग छिपा है। श्री राधा नाम जप से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और अनंत प्रेम की प्राप्ति होती है।"


🌸 प्रेममयी राधा जी के ८ प्रसिद्ध दोहे और छंद 🌸


📜 दोहा १

╔════════════════════╗
"श्री राधा राधा रटत ही, सब बाधा मिट जाय।
कोटि जनम की आपदा, राधा नाम ते जाय।।"
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📜 दोहा २

╔════════════════════╗
"सब द्वारन कूँ छाँड़ि कै, आयौ तेरे द्वार।
हे वृषभानु की लाड़ली, नैक मेरी ओर निहार।।"
╚════════════════════╝


📜 दोहा ३

╔════════════════════╗
"मात मेरी श्री राधिका, पिता मेरे घनश्याम।
इन दोनों के चरणन में, प्रणवौं बारंबार।।"
╚════════════════════╝


📜 दोहा ४

╔════════════════════╗
"राधे मेरी स्वामिनी, मैं राधे कौ दास।
जनम-जनम मोहि दीजियो, वृन्दावन के वास।।"
╚════════════════════╝


📜 दोहा ५

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"श्री राधे वृषभानुजा, भक्तनि प्राणाधार।
वृन्दा विपिन विहारिणि, प्रणवौं बारंबार।।"
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📜 दोहा ६

╔════════════════════╗
"राधे तू बड़भागिनी, कौन तपस्या कीन।
तीन लोक तारन तरन, सो तेरे आधीन।।"
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📜 छंद ७

╔════════════════════╗
"नाम महाधन है अपनौ, नहिं दूसरी सम्पति और कमानी।
छोड़ अटारी अटा जग के, हमको कुटिया ब्रज माहिं बनानी।।
टूक मिलें ब्रजवासिन के, अरु सेवें सदा जमुना महारानी।
औरन की परवाह नहीं, अपनी ठकुरानी श्री राधिका रानी।।"
╚════════════════════╝


📜 छंद ८

╔════════════════════╗
"जीवन प्राण अब बन रह्यौ, नवल प्रिया सुख धाम।
ब्रज वृन्दावन स्वामिनी, ललितादिक अभिराम।।"
╚════════════════════╝


प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana
प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana 



प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana भावार्थ

 इन सभी दोहों और छंदों में भक्त का समर्पण, दास्य भाव और राधा रानी की महिमा का गान है। जो साधक इन्हें प्रेमपूर्वक जपते हैं, उनके जीवन से दुख, भय और संकट दूर हो जाते हैं तथा राधा-कृष्ण की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।

 यह पदावली वास्तव में श्री राधा जी की महिमा का अद्भुत गुणगान है। इसमें भक्त का संपूर्ण समर्पण, प्रेम और दास्य भाव झलकता है। नीचे मैं इसे एक सुंदर लेखन-रूप में प्रस्तुत कर रहा हूँ, जिससे पाठक राधा रानी की महिमा का गान कर सकें।


श्री राधा जी की महिमा – भक्त का दास्य भाव 

"श्री राधा मेरी स्वामिनी, मैं राधे कौ दास।
जनम-जनम मोहि दीजियो, श्री चरनन कौ वास।।"

भक्त कहता है कि मेरे लिए इस संसार का कोई और सहारा नहीं है। मैं केवल श्री राधा रानी का दास हूँ और यही वर माँगता हूँ कि जन्म-जन्मांतर तक उनके पावन चरणों में मेरा निवास बना रहे।

"सब द्वारन कूँ छाँड़ि कै, आयौ तेरे द्वार।
हे वृषभानु की लाड़ली, नैक मेरी ओर निहार।।"

जब सब द्वार असफल हो जाएँ, तब भक्त अंत में राधा जी के द्वार पर आता है, क्योंकि यही एकमात्र स्थान है जहाँ सच्चा आश्रय और अनंत करुणा प्राप्त होती है। वृषभानु नंदिनी राधिका की एक कृपा-दृष्टि भक्त के सारे जीवन को सफल कर देती है।

"श्री राधा-राधा रटत ही, सब बाधा मिट जाय।
कोटि जनम की आपदा, श्री राधा नाम ते जाय।।"

राधा नाम स्वयं सिद्ध मंत्र है। केवल इसका जप करने मात्र से जीवन की सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं और असंख्य जन्मों का दुःख मिट जाता है।

"जीवन प्राण अब बन रह्यौ, नवल प्रिया सुख धाम।
ब्रज वृन्दावन स्वामिनी, ललितादिक अभिराम।।"

श्री राधा रानी ही जीवन की प्राण-शक्ति और आनंद-धाम हैं। वे ब्रजभूमि की स्वामिनी हैं और ललिता-सखी आदिक संग में सदैव आनंद-विहार करती हैं।


 राधा – भक्त का जीवनाधार

"मात मेरी श्री राधिका पिता मेरे घनश्याम।
इन दोनों के चरणों में प्रणवौं बारंबार।।"

भक्त का जीवन-दर्शन यह है कि माता राधा और पिता श्रीकृष्ण ही उसके सर्वस्व हैं। उनके चरणों में बार-बार प्रणाम करना ही जीवन का परम लक्ष्य है।

"राधे मेरी स्वामिनी मैं राधे कौ दास।
जनम-जनम मोहि दीजियो वृन्दावन के वास।।"

यहाँ भक्त केवल एक वरदान माँगता है—वृन्दावनधाम का वास और राधा रानी की सेवा। यही जीवन का परम पुरुषार्थ है।


🌼 राधा नाम की महिमा

"राधे तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन।
तीन लोक तारन तरन सो तेरे आधीन।।"

भक्त मानता है कि राधा रानी का सौभाग्य असीम है। तीनों लोकों का उद्धार श्रीकृष्ण के हाथों है और वे स्वयं राधा जी की आज्ञा पर चलने वाले हैं। अतः राधा नाम का स्मरण ही जगत-जननी का साक्षात् आशीर्वाद है।


🌸 भक्ति की पराकाष्ठा

"नाम महाधन है अपनौ, नहिं दूसरी सम्पति और कमानी।
छोड़ अटारी अटा जग के, हमको कुटिया ब्रिज माहिं बनानी।।
टूक मिलें ब्रिजवासिन के अरु सेवें सदा जमुना महारानी।
औरन की परवाह नहीं, अपनी ठकुरानी श्री राधिका रानी।।"

भक्त का हृदय केवल राधा नाम को ही अपनी सबसे बड़ी संपत्ति मानता है। संसार के वैभव, धन, अटारियों को छोड़कर वह ब्रज में एक साधारण कुटिया चाहता है, जहाँ ब्रजवासियों का टुकड़ा भोजन और यमुना जी की सेवा मिल सके। उसके लिए अन्य किसी वस्तु का मूल्य नहीं है, केवल अपनी ठकुरानी राधा रानी की सेवा ही परम ध्येय है।

प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana
प्रेममयी राधा जी के प्रसिद्ध 8 दोहे और छंद | Radha Bhakti aur Kripa Prapti ke liye prarthana 

निष्कर्ष
राधा नाम का जप, वृन्दावन में वास और राधा-कृष्ण के चरणों की सेवा—यही सच्चे भक्त का जीवन है। राधा जी की महिमा अपरंपार है; उनके बिना श्रीकृष्ण भी अधूरे हैं।



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