4.1 समस्या की पहचान एवं परिभाषा
(Identifying and Defining the Problem)
— चार्ल्स केटरिंग (Charles Kettering)
प्रस्तावना: शोध यात्रा का पहला कदम 'विषय' (Topic) चुनना नहीं, बल्कि 'समस्या' (Problem) को पहचानना है। जब तक हमारे पास एक स्पष्ट प्रश्न नहीं होगा, हम उत्तर किसकी तलाश करेंगे?
शोधकर्ता एक डॉक्टर की तरह होता है।
डॉक्टर यह नहीं कहता कि "रोगी बीमार है" (यह तो Topic है)।
डॉक्टर सटीक निदान करता है: "रोगी को वायरल फीवर के कारण 102°F बुखार है।" (यह Problem Definition है)।
सटीक परिभाषा ही सही इलाज (शोध) की ओर ले जाती है।
A. समस्या चयन की फनल तकनीक (The Funnel Technique)
हम सीधे समस्या पर नहीं पहुँचते। हम एक व्यापक क्षेत्र से शुरू करते हैं और उसे छानते (Filter) हुए विशिष्ट प्रश्न तक पहुँचते हैं:
उदा: शिक्षा (Education)
उदा: ऑनलाइन शिक्षा (Online Education)
उदा: छात्रों पर ऑनलाइन शिक्षा का प्रभाव
"क्या ऑनलाइन कक्षाएं 10वीं के छात्रों में मानसिक तनाव बढ़ाती हैं?"
B. विषय बनाम समस्या (Topic vs. Problem)
नए शोधकर्ता अक्सर 'विषय' को ही 'समस्या' मान लेते हैं। यह एक बड़ी गलती है। अंतर देखें:
C. समस्या के स्रोत (Where to find problems?)
- व्यक्तिगत अनुभव (Experience): जो समस्याएं आप अपने कार्यक्षेत्र या समाज में रोज देखते हैं।
- साहित्य समीक्षा (Literature Review): पुरानी थीसिस के अंत में दिए गए "सुझाव" (Suggestions for future research)।
- सिद्धांतों में कमी (Gaps in Theory): जब कोई सिद्धांत वर्तमान स्थिति को समझाने में विफल हो रहा हो।
- विरोधाभासी परिणाम (Conflicting Results): जब दो पुराने शोध अलग-अलग बातें कह रहे हों।
D. अच्छी समस्या की कसौटी (FINER Criteria)
हर प्रश्न शोध का विषय नहीं बन सकता। एक अच्छी समस्या को FINER (फाइनर) होना चाहिए:
(संभव) समय और बजट में हो सके।
(रोचक) शोधकर्ता की रूचि हो।
(नवीन) कुछ नया जोड़े (Copy न हो)।
(नैतिक) किसी को नुकसान न हो।
(प्रासंगिक) समाज के लिए उपयोगी हो।
सारांश: "समस्या की परिभाषा स्पष्ट, विशिष्ट और प्रश्नवाचक रूप में होनी चाहिए। अस्पष्ट समस्या पर किया गया शोध एक भटका हुआ तीर है।"
