4.2 संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण
(Review of Related Literature)
प्रस्तावना: अनुसंधान कभी भी शून्य (Vacuum) में नहीं होता। आप जिस विषय पर काम कर रहे हैं, उस पर दुनिया में किसी न किसी ने पहले कुछ काम जरूर किया होगा। उन पुराने कार्यों का अध्ययन करना ही 'साहित्य समीक्षा' कहलाता है।
जिस प्रकार दूसरी मंजिल बनाने से पहले पहली मंजिल का होना जरूरी है, उसी प्रकार नया शोध (New Research) करने से पहले पुराने शोध (Old Research) को समझना जरूरी है। साहित्य समीक्षा आपके शोध की 'नींव' है।
A. शोध अंतराल (The Research Gap)
साहित्य समीक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य 'शोध अंतराल' (Research Gap) खोजना है। इसका मतलब है वह चीज़ जो अभी तक नहीं खोजी गई है।
(What is Known)
(अंतराल)
(Your Research)
"Gap भरने के लिए ही रिसर्च की जाती है।"
B. साहित्य के स्रोत (Sources of Literature)
शोधकर्ता को जानकारी कहाँ से मिलेगी? इसके स्रोतों को दो भागों में बांटा गया है:
ये वे दस्तावेज हैं जहाँ शोध पहली बार प्रकाशित हुआ। ये सबसे विश्वसनीय होते हैं।
- शोध पत्रिकाएं (Research Journals)
- शोध प्रबंध (Thesis / Dissertation)
- सम्मेलन पत्र (Conference Papers)
- सरकारी रिपोर्ट (Census, Reports)
ये वे पुस्तकें हैं जो प्राथमिक स्रोतों का सारांश प्रस्तुत करती हैं। ये शुरुआती समझ के लिए अच्छे हैं।
- पाठ्य पुस्तकें (Text Books)
- विश्वकोश (Encyclopedias)
- अखबार और मैगजीन (Newspapers)
- समीक्षा लेख (Review Articles)
C. साहित्य समीक्षा के उद्देश्य (Objectives)
हम इतनी किताबें क्यों पढ़ते हैं? इसके पीछे मुख्य 4 कारण हैं:
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पुनरावृत्ति से बचाव (Avoid Repetition): कहीं आप वही काम दोबारा तो नहीं कर रहे जो पहले हो चुका है? "पहिए का आविष्कार दोबारा मत करो" (Don't reinvent the wheel)।
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विधि का ज्ञान (Methodology): दूसरों ने उस समस्या को कैसे हल किया? कौन से टूल्स यूज किए? इससे आपको रास्ता मिलता है।
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तुलना करने के लिए (Comparison): अंत में आप अपने परिणामों की तुलना पुराने शोधकर्ताओं के परिणामों से कर सकते हैं।
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विशेषज्ञता (Expertise): विषय पर आपकी पकड़ मजबूत होती है और आप विशेषज्ञ बन जाते हैं।
सारांश: "साहित्य समीक्षा केवल 'नकल' (Copy-Paste) करना नहीं है, बल्कि पुराने ज्ञान का आलोचनात्मक विश्लेषण (Critical Analysis) करना है ताकि नए ज्ञान के लिए जगह बनाई जा सके।"
