5.3 परिकल्पना परीक्षण की त्रुटियां
(Type I and Type II Errors)
प्रस्तावना: शोधकर्ता भगवान नहीं है, वह भी इंसान है। निर्णय लेते समय उससे गलती हो सकती है। सांख्यिकी में, जब हम किसी परिकल्पना (Hypothesis) को स्वीकार या अस्वीकार करते हैं, तो दो तरह की गलतियाँ होने की संभावना रहती है।
A. त्रुटि मैट्रिक्स (The Decision Matrix)
इस टेबल को ध्यान से देखें, यह शोध पद्धति का सार है:
| हमारा निर्णय | वास्तविकता (Reality) | |
| H₀ सच है (No Difference) |
H₀ झूठ है (Difference Exists) |
|
| H₀ को अस्वीकार किया (Reject) |
Type I Error
(α Alpha) "False Positive" |
सही निर्णय (Power of Test) (1 - β) |
| H₀ को स्वीकार किया (Accept/Fail to reject) |
सही निर्णय (Confidence Level) (1 - α) |
Type II Error
(β Beta) "False Negative" |
B. त्रुटियों को याद रखने का आसान तरीका
तकनीकी भाषा को भूल जाइए, इन दो उदाहरणों से इसे हमेशा के लिए याद रखें:
"निर्दोष को सजा"
स्थिति: अदालत में एक व्यक्ति निर्दोष (H₀ True) है।
गलती: जज ने उसे फांसी दे दी (Reject H₀)।
"यह बहुत खतरनाक गलती है। इसे False Positive कहते हैं।"
"गुनेहगार का छूट जाना"
स्थिति: व्यक्ति वास्तव में अपराधी (H₀ False) है।
गलती: जज ने सबूतों के अभाव में उसे छोड़ दिया (Accept H₀)।
"यह कम खतरनाक है, पर गलती है। इसे False Negative कहते हैं।"
- Type I (False Positive): आग नहीं लगी है, फिर भी घंटी बज गई। (लोग डर गए - नुकसान हुआ)।
- Type II (False Negative): आग लग गई है, लेकिन घंटी नहीं बजी। (सब जल गया - बड़ा नुकसान)।
C. संतुलन (Trade-off)
एक शोधकर्ता दोनों गलतियों को एक साथ पूरी तरह खत्म नहीं कर सकता।
- यदि हम Type I Error (α) को कम करने की कोशिश करते हैं (जैसे 5% से 1% पर जाना), तो Type II Error (β) अपने आप बढ़ जाता है।
- शोध में आमतौर पर Type I Error (निर्दोष को सजा) को ज्यादा गंभीर माना जाता है, इसलिए हम 'Significance Level' (α) को पहले से तय करते हैं (0.05 या 0.01)।
यह शोध की "ताकत" है। इसका सूत्र है: Power = 1 - β
इसका अर्थ है: "एक झूठी परिकल्पना को सही ढंग से खारिज करने की क्षमता।" अच्छी रिसर्च में Power कम से कम 0.80 (80%) होनी चाहिए।
