5.2 परिकल्पना के स्रोत
(Sources of Hypothesis)
प्रस्तावना: परिकल्पना आसमान से नहीं टपकती। शोधकर्ता के मन में किसी विचार (Idea) के आने के पीछे कई कारण होते हैं। एक अच्छी परिकल्पना अनुभव, अध्ययन और सूझबूझ का मिश्रण होती है।
जिस प्रकार एक विशाल नदी कई छोटी-छोटी धाराओं (स्रोतों) से मिलकर बनती है, उसी प्रकार एक परिकल्पना कई अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न होती है। कभी यह अनुभव से आती है, तो कभी पुरानी किताबों से।
A. परिकल्पना के मुख्य स्रोत (Major Sources)
(Review of Literature)
उदा: "पुराने शोध कहते हैं X सही है, लेकिन मुझे लगता है Y सही है।"
(Personal Experience)
(Analogies)
उदा: "पशुओं पर दवा काम कर रही है (Observation), तो शायद मनुष्यों पर भी करेगी (Hypothesis)।"
(Scientific Theories)
उदा: "यदि डार्विन का विकासवाद सही है, तो इंसानों का व्यवहार जानवरों जैसा होना चाहिए।"
B. संस्कृति और परंपरा (Culture & Tradition)
क्या संस्कृति परिकल्पना का स्रोत हो सकती है?
जी हाँ। समाजशास्त्र (Sociology) में अधिकतर परिकल्पनाएं हमारी लोक कथाओं, मुहावरों और मान्यताओं से निकलती हैं।
- मान्यता: "संयुक्त परिवार में बच्चे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।"
- परिकल्पना: "क्या संयुक्त परिवार के बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य एकल परिवार के बच्चों से बेहतर है?"
कभी-कभी तर्क काम नहीं करता। अचानक से दिमाग में एक 'Flash' आता है (जैसे आर्किमिडीज़ का 'यूरेका' क्षण)। हालांकि विज्ञान सबूत मांगता है, लेकिन कई महान खोजों की शुरुआत एक 'Gut Feeling' से ही हुई थी।
निष्कर्ष: "एक शोधकर्ता को खुले दिमाग का होना चाहिए। परिकल्पना कहीं से भी आ सकती है—एक किताब के पन्ने से या फिर बस की खिड़की से बाहर देखते हुए।"
