6.2 अन्वेषणात्मक अभिकल्प
(Exploratory Research Design)
प्रस्तावना: जब शोधकर्ता के पास किसी समस्या के बारे में बहुत कम या न के बराबर जानकारी होती है, तब इस डिजाइन का उपयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य समस्या को समझना और परिकल्पना (Hypothesis) बनाना है, न कि अंतिम निष्कर्ष निकालना।
कल्पना करें कि आप एक बिल्कुल अंधेरे और अनजान कमरे में घुसते हैं।
आप सबसे पहले क्या करेंगे? आप टॉर्च जलाकर इधर-उधर देखेंगे ताकि कमरे का अंदाजा लग सके।
यही अन्वेषणात्मक शोध है—अंजान विषय पर 'टॉर्च' डालकर उसे थोड़ा समझना ताकि बाद में गहरा अध्ययन किया जा सके।
A. इसका उद्देश्य क्या है? (Objectives)
- समस्या को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।
- नई अंतर्दृष्टि (New Insights) प्राप्त करना।
- शोध के लिए परिकल्पना (Hypothesis) का निर्माण करना।
- यह तय करना कि क्या आगे बड़े पैमाने पर शोध करना संभव है? (Feasibility)।
B. अन्वेषणात्मक शोध की विधियां (Methods)
चूंकि इसमें कोई पुराना डेटा नहीं होता, इसलिए हम इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं:
(Literature Survey)
पुस्तकालय में जाकर पुरानी किताबों, लेखों या रिपोर्टों को खंगालना, ताकि कुछ सुराग मिल सके। यह सबसे सस्ता और आसान तरीका है।
(Experience Survey)
उन विशेषज्ञों (Experts) का इंटरव्यू लेना जिन्हें उस क्षेत्र का व्यावहारिक अनुभव है। (जैसे: नई बीमारी आने पर पुराने डॉक्टरों से बात करना)।
(Analysis of Insight-stimulating Examples)
ऐसी ही किसी पुरानी घटना या मामले का गहराई से अध्ययन करना जो वर्तमान समस्या से मिलती-जुलती हो।
C. मुख्य विशेषताएं (Key Characteristics)
- लचीलापन (Flexible): इसमें कोई कठोर नियम नहीं होते। जैसे-जैसे नई जानकारी मिलती है, शोध की दिशा बदल सकती है।
- अनौपचारिक (Unstructured): इसमें पहले से तय प्रश्नावली (Questionnaire) नहीं होती।
- गुणात्मक (Qualitative): यह आंकड़ों से ज्यादा 'विचारों' और 'शब्दों' पर केंद्रित होता है।
निष्कर्ष: "अन्वेषणात्मक शोध 'अंत' नहीं, बल्कि 'शुरुआत' है। यह मकान की नींव खोदने जैसा है, ताकि बाद में उस पर मजबूत इमारत (वर्णनात्मक शोध) खड़ी की जा सके।"
