जयति प्रयागराजराजस्तव ।।
जयति प्रयागराजराजस्तव ।।
जयति प्रयागराजराजस्तव ।।
भागीरथिकालिन्दिविलासः
ज्ञानसरस्वतिभञ्जति त्रासः ।
अघवारिणिजनमोक्षप्रदायि-
न्युरःस्थले क्रीडति त्रिवेणि तव॥
॥१॥ जयति०॥
तव आश्रयणे मुनिवरवासः
विगतवितृष्णश्चाशापाशः ।
हरेः कथायां पुण्यविलासः
विमलजनानां कीर्तिप्रदो भव
॥२॥ जयति ०॥
पुण्यदायकस्तवसंस्मरणं
मरणमङ्गलं मङ्लजननम् ।
भूतानां दुःखदारिदद्रवणं
दुरितदुरन्तीदीप्तद्युतिस्तव
॥३॥ जयति ०॥
रचनाकार:-
आ.सूरज कृष्ण शास्त्री
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स तीर्थराजो जयति प्रयाग:
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