वाजश्रवा कुश्री और सुश्रुवा कौश्य संवाद(शत० ब्रा० १०/५/५/१)

Sooraj Krishna Shastri
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वाजश्रवा कुश्री और सुश्रुवा कौश्य संवाद
वाजश्रवा कुश्री और सुश्रुवा कौश्य संवाद

 वाजश्रवा कुश्री ने अग्नि का चयन किया। 

कौश्य सुश्रुवा ने उससे कहा- 'गौतम' | तुमने जो यह अग्नि का चयन किया है वह प्राडमुख, प्रत्यङमुख, अवाडमुख और उतानमुख चयन क्यो किया? 

  जो प्राङ्मुख अग्नि का चयन किया है। यह तो वैसे ही है जैसे पूर्वाभिमुखासीन व्यक्ति को कोई पीछे से भोजन रखे। अग्नि तुम्हारे हविष्य को ग्रहण नहीं करेगा। यदि तुमने अग्नि का प्रत्यङ्मुख चयन किया तो उसकी पूंछ भी पश्चिम की ओर क्यों किया। जो यह तुमने अग्नि का अवाङ् चयन किया तो यह वैसे ही है जैसे कोई अधोमुख होने वाले के पीठ परे भोजन रख दे। तुम्हारा हविष्य अग्नि नहीं ग्रहण करेगा। जो यह तुमने उत्तानमुख होकर चयन किया तो पक्षी उत्तानमुख होकर स्वर्गलोक को जाते हैं। यह उत्तानमुख होकर तुम्हारे द्वारा किया गया अग्निचयन अस्वर्ग्य है। वाजश्रवा कुश्रि ने कहा, मैने प्राङ्मुख प्रत्यङ्मुख, अवाङ्मुख तथा उत्तानमुख होकर अग्नि का चयन किया है। अतः मैने सभी दिशाओं में अग्नि चयन किया है।

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