वैदिक संवाद
इन्द्र और लोमश ऋषि संवाद

इन्द्र और लोमश ऋषि संवाद

एक बार देवराज इन्द्र ने देव-शिल्पी विश्वकर्माजी को आदेश दिया कि एक ऐसे भवन का निर्माण करो जिसमें कोई दोष न रहे तथा जो…

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उद्दालक, श्वेतकेतु और प्रवाहण जैबल (१४/६/२/१)

उद्दालक, श्वेतकेतु और प्रवाहण जैबल (१४/६/२/१)

केवल कर्म से पितृलोक और ज्ञान संयुक्त कर्म से देव-लोक की प्राप्ति होती है। इस प्रकार कर्मफलभोग के दो मार्ग हैं। यही सम…

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 जनक : याज्ञवल्क्य संवाद (१४/४/१/१)

जनक : याज्ञवल्क्य संवाद (१४/४/१/१)

निरुपाधिक, निरुपारव्य, नेति नेति से निर्देश्य, साक्षात् अपरोक्ष, सर्वान्तिरात्मा, ब्रह्म अक्षर, अन्तर्यामी, प्रशास्ता,…

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याज्ञवल्क्य - शाकल्य संवाद (शत.११/६/३/१, १४/३/९/१)

याज्ञवल्क्य - शाकल्य संवाद (शत.११/६/३/१, १४/३/९/१)

याज्ञवल्क्य - शाकल्य संवाद अनन्त देवों की निविद सख्या विशिष्ट देवों मे अन्तर्भाव है और उनका भी तैंतीस देवो मे और अन्त…

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 याज्ञवल्क्य और भुज्यु लाट्यायनि संवाद (शत. १४ /३/३/१)

याज्ञवल्क्य और भुज्यु लाट्यायनि संवाद (शत. १४ /३/३/१)

याज्ञवल्क्य और भुज्यु लाट्यायनि संवाद    मोक्ष का आरम्भ नहीं होता, वह किसी का कार्य भी नहीं है। वह तो बंधन का ध्वंसमात्…

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 याज्ञवल्क्य और जरत्कारव आर्त्तभाग संवाद (शत.१४/३/३/१)

याज्ञवल्क्य और जरत्कारव आर्त्तभाग संवाद (शत.१४/३/३/१)

याज्ञवल्क्य और जरत्कारव आर्त्तभाग संवाद   इन्द्रिय और उसके विषय ग्रह और अतिग्रह रूप हैं। ये बन्धन हैं अतएव मृत्युरूप है…

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 याज्ञवल्क्य एवं अश्वल संवाद

याज्ञवल्क्य एवं अश्वल संवाद

याज्ञवल्क्य एवं अश्वल संवाद   यज्ञ विविध हैं- अधिदेव, अध्यात्म और ऋत्तिकों के द्वारा सोमपान प्रतीक यज्ञ या अधिमूत यज्ञ।…

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 याज्ञवल्क्य - मैत्रेयी संवाद (शत० १४ / २/४/१ शत० १४/४/५/१)

याज्ञवल्क्य - मैत्रेयी संवाद (शत० १४ / २/४/१ शत० १४/४/५/१)

याज्ञवल्क्य - मैत्रेयी संवाद  ब्रह्म और आत्मा में अभेद है। आत्मा के लिए ही प्रियता, आत्मज्ञान से सब का ज्ञानसभव है। आ…

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दृप्तवाल्मीकि और अजातशत्रु संवाद (१४/३/१/१)

दृप्तवाल्मीकि और अजातशत्रु संवाद (१४/३/१/१)

दृप्तवाल्मीकि और अजातशत्रु संवाद आदित्य, चन्द्र, विद्युत, आकाश, वायु, अग्नि, अप्, आदर्श, शब्द तथा छायामय- व्यस्त पुरू…

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संवत्सर - मीमांसा : प्रीति और उद्दालक शतपथ संवाद (१२/२/२/१४)

संवत्सर - मीमांसा : प्रीति और उद्दालक शतपथ संवाद (१२/२/२/१४)

अग्निहोत्र : जनक श्वेतकेतु सोमशुष्य तथा याज्ञवल्क्य संवाद    यज्ञ की दृष्टि से संवत्सर में १० दिन अधिक महत्त्व के थे। प…

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 अग्निहोत्र : जनक श्वेतकेतु सोमशुष्य तथा याज्ञवल्क्य संवाद

अग्निहोत्र : जनक श्वेतकेतु सोमशुष्य तथा याज्ञवल्क्य संवाद

अग्निहोत्र : जनक श्वेतकेतु सोमशुष्य तथा याज्ञवल्क्य संवाद  अग्निहोत्र याग के विषय में विभिन्न धारणायें थीं, कोई इसे सूर…

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नरलोक और कर्म सिद्धान्त वरुण और भृगु संवाद

नरलोक और कर्म सिद्धान्त वरुण और भृगु संवाद

नरलोक और कर्म सिद्धान्त वरुण और भृगु संवाद  वैदिक साहित्य में नरकलोक सम्बन्धी कल्पना के दर्शन सर्व प्रथम अथर्ववेद में…

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 अग्निहोत्र : प्राचीनयोग्य और उद्दालक संवाद

अग्निहोत्र : प्राचीनयोग्य और उद्दालक संवाद

अग्निहोत्र : प्राचीनयोग्य और उद्दालक संवाद  अग्निहोत्रकर्म देवताविशेष से ही सम्बद्ध न होकर अनेक देवताओं से सम्बद्ध हो…

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 दर्शपौर्णमास : उद्दालक और स्वैदायन शौनक संवाद (११/२/७/१)

दर्शपौर्णमास : उद्दालक और स्वैदायन शौनक संवाद (११/२/७/१)

दर्शपौर्णमास : उद्दालक और स्वैदायन शौनक संवाद    यज्ञ दो प्रकार का होता है एक याकृत यज्ञ जो प्रकृति मे निरन्तर चलता रहत…

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अग्निहोत्र : जनक और याज्ञवल्क्य संवाद

अग्निहोत्र : जनक और याज्ञवल्क्य संवाद

अग्निहोत्र : जनक और याज्ञवल्क्य संवाद   वाणी अग्निहोत्री धेनु है । मन अग्निहोत्री धेनु का वत्स है। ये दोनों परस्पर सम्ब…

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