एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का विम्ब है

SOORAJ KRISHNA SHASTRI
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नव दुर्गा के नौ स्वरूप

1- जन्म ग्रहण करती हुई कन्या शैलपुत्री स्वरूप हो जाती है

2- कौमार्य अवस्था तक ब्रम्हचारिणी स्वरूप हो जाती है 

3- विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा स्वरूप हो जाती है।

4- नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कुष्मांडा स्वरूप हो जाती है

5- संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कंदमाता का स्वरूप हो जाती है।

6- सयंम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी स्वरूप में हो जाती है

7-अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने वाली स्त्री कालरात्रि स्वरूप में हो जाती है

8- संसार ( कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने के लिए स्त्री महागौरी हो जाती है।

9 - धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि (समस्त सुख संपदा) का आशिर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री हो जाती है।

  हर स्त्री अपने आप मे कही न कही माँ जगदम्बे का प्रतिबिम्ब है। नारी शक्ति में विराजमान माँ जगदम्बे को हमारा प्रणाम है।

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