संस्कृत श्लोक: "पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुद्ध्यते" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुद्ध्यते" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुद्ध्यते" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

संस्कृत श्लोक: "पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुद्ध्यते" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

श्लोक:
पटुत्वं सत्यवादित्वं कथायोगेन बुद्ध्यते।
अस्तब्धत्वमचापल्यं प्रत्यक्षेनावगम्यते॥

अर्थ:
किसी व्यक्ति की चतुराई और सत्यनिष्ठा का ज्ञान उसके साथ वार्तालाप करने से होता है, जबकि उसके धैर्य (अस्थिर न होने) और लालच के अभाव को प्रत्यक्ष अनुभव से ही जाना जा सकता है।


शाब्दिक विश्लेषण

  1. पटुत्वं – चतुराई, बुद्धिमत्ता
  2. सत्यवादित्वं – सत्य बोलने की प्रवृत्ति, सच्चाई
  3. कथायोगेन – वार्तालाप के माध्यम से (तृतीया विभक्ति)
  4. बुद्ध्यते – जाना जाता है, समझा जाता है (लट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचन)
  5. अस्तब्धत्वं – धैर्य, स्थिरता (न डगमगाने का स्वभाव)
  6. अचापल्यं – चंचलता का अभाव (स्थिरता)
  7. प्रत्यक्षेन – प्रत्यक्ष अनुभव से (तृतीया विभक्ति)
  8. अवगम्यते – समझा जाता है (लट् लकार, मध्यम पुरुष, एकवचन)

व्याकरणीय विश्लेषण

  • पटुत्वं, सत्यवादित्वं, अस्तब्धत्वं, अचापल्यं – नपुंसकलिंग, एकवचन, कर्ता रूप में।
  • कथायोगेन, प्रत्यक्षेन – तृतीया विभक्ति (करण कारक)।
  • बुद्ध्यते, अवगम्यते – लट् लकार, प्रथम पुरुष, एकवचन (जाना जाता है, समझा जाता है)।

आधुनिक संदर्भ में व्याख्या

यह श्लोक हमें बताता है कि किसी व्यक्ति के गुणों को पहचानने के दो प्रमुख तरीके हैं:

  1. बातचीत द्वारा गुणों की पहचान

    • किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता (पटुत्व) और सत्यनिष्ठा (सत्यवादित्व) का ज्ञान तभी होता है जब हम उसके साथ संवाद करते हैं।
    • उसकी भाषा, तर्कशक्ति, स्पष्टता और विचारशीलता उसके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
  2. व्यवहार द्वारा व्यक्तित्व की पहचान

    • किसी के धैर्य (अस्तब्धत्व) और चंचलता के अभाव (अचापल्यं) को प्रत्यक्ष अनुभव से ही समझा जा सकता है।
    • जब कठिनाइयाँ आती हैं, तब व्यक्ति की असली परीक्षा होती है। तभी हमें पता चलता है कि वह वास्तव में कितना स्थिर, सहनशील और स्वार्थरहित है।

प्रयोगशीलता एवं नेतृत्व में महत्व

  1. व्यक्तिगत जीवन में:

    • किसी व्यक्ति के गुणों को केवल बाहरी दिखावे से नहीं आँकना चाहिए, बल्कि उसके साथ वार्तालाप और व्यवहार से उसकी वास्तविकता को समझना चाहिए।
    • धैर्य और स्थिरता जैसी विशेषताएँ व्यवहार में अनुभव करने पर ही स्पष्ट होती हैं।
  2. नेतृत्व एवं समाज सेवा में:

    • एक अच्छा नेता या मार्गदर्शक वही होता है जिसकी बुद्धिमत्ता और सच्चाई वार्तालाप में प्रकट होती है और जिसका धैर्य और स्थिरता व्यवहार में सिद्ध होती है।
    • केवल भाषण देने से कोई महान नहीं बनता, बल्कि व्यवहारिक रूप से सिद्ध होने पर ही व्यक्ति की योग्यता प्रमाणित होती है।
  3. नीतिशास्त्र में:

    • किसी व्यक्ति के गुणों को केवल सुनकर नहीं मान लेना चाहिए; वार्तालाप और प्रत्यक्ष अनुभव से उसकी वास्तविकता की परख करनी चाहिए।
    • व्यवहार और चरित्र से ही मनुष्य की असली पहचान होती है।

संक्षिप्त निष्कर्ष

बुद्धिमत्ता और सत्यनिष्ठा बातचीत से पहचानी जाती है, जबकि धैर्य और स्थिरता व्यवहार में अनुभव करने से समझ में आती है। किसी भी व्यक्ति के वास्तविक गुणों को जानने के लिए केवल शब्दों पर भरोसा नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे प्रत्यक्ष रूप से परखना आवश्यक है।

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