संस्कृत श्लोक: "यो न निर्गत्य निश्शेषां विलोकयति मेदिनीम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

Sooraj Krishna Shastri
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संस्कृत श्लोक: "यो न निर्गत्य निश्शेषां विलोकयति मेदिनीम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
संस्कृत श्लोक: "यो न निर्गत्य निश्शेषां विलोकयति मेदिनीम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद


संस्कृत श्लोक: "यो न निर्गत्य निश्शेषां विलोकयति मेदिनीम्" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद

🌸जय श्री राम! सुप्रभातम्!🌸
यह श्लोक अत्यंत प्रेरणादायक और जीवन दृष्टिकोण को विस्तृत करने वाला है। आइए इसे शाब्दिक, व्याकरणिक, भावात्मक और आधुनिक सन्दर्भ में विस्तार से समझते हैं:


श्लोक

यो न निर्गत्य निश्शेषां विलोकयति मेदिनीम् ।
अनेकाद्भुतवृत्तांतां स नरः कूपदर्दुरः ॥


शाब्दिक अनुवाद

  • यः – जो
  • न निर्गत्य – बाहर नहीं निकलकर
  • निःशेषां मेदिनीम् – सम्पूर्ण पृथ्वी को
  • विलोकयति – नहीं देखता / नहीं अवलोकन करता
  • अनेक-अद्भुत-वृत्तांताम् – अनेक अद्भुत घटनाओं से युक्त
  • स नरः – वह मनुष्य
  • कूप-दर्दुरः – कुएँ का मेंढक है

हिन्दी भावार्थ

जो व्यक्ति बाहर निकलकर इस अद्भुत घटनाओं से भरी हुई पूरी धरती को देखने और समझने का प्रयास नहीं करता, वह मनुष्य केवल कुएँ के मेंढक के समान है—सीमित दृष्टि वाला, संकीर्ण सोच वाला।


व्याकरण

  • योसंबंधवाचक सर्वनाम (प्रथमा एकवचन)
  • निर्गत्यकृदन्त, ‘नि + गम्’ धातु से, ल्यप् प्रत्यय (सप्तमी विभक्ति का कारक कारण)
  • निःशेषांविशेषण, संपूर्ण
  • मेदिनीम्स्त्रीलिंग संज्ञा, द्वितीया एकवचन
  • विलोकयतिलट् लकार, प्रथम पुरुष एकवचन
  • कूपदर्दुरःसमास – बहुव्रीहि समास (जिसका आशय 'कुएँ में रहने वाला मेंढक' है)

आधुनिक सन्दर्भ

यह श्लोक जिज्ञासा, यात्रा, अनुभव और सीखने की भावना को प्रेरित करता है।

  • आज के युग में जो व्यक्ति केवल अपनी सीमित जानकारी, अपने छोटे से परिवेश में ही सिमटा रहता है और बाहर की दुनिया को देखने, समझने या स्वीकारने से डरता है, वह ‘कूपमंडूक’ बन जाता है।
  • शिक्षा, यात्रा, संवाद, और विभिन्न संस्कृतियों का अनुभव—इन सबसे व्यक्ति की दृष्टि विस्तृत होती है।

बाल कथा रूपांतरण हेतु प्रेरणा

यदि चाहें तो इसी श्लोक पर "कुएँ का मेंढक और समंदर की मछली" जैसी बच्चों की कहानी भी बनाई जा सकती है।

यदि आप चाहें, तो मैं इसी पर एक सुंदर पोस्टर या बाल कथा भी तैयार कर सकता हूँ। बताइए, आप किस रूप में चाहेंगी?


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