यमुनोत्री धाम यात्रा : एक पावन तीर्थ की ओर

Sooraj Krishna Shastri
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यमुनोत्री धाम यात्रा : एक पावन तीर्थ की ओर, yamunotri dham
यमुनोत्री धाम यात्रा : एक पावन तीर्थ की ओर, yamunotri dham


 प्रस्तुत यमुनोत्री धाम का विवरण अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रेरणादायक है। मैं इसे व्यवस्थित, क्रमबद्ध तथा भावपूर्ण रूप में विस्तार से प्रस्तुत कर रहा हूँ, ताकि यह एक उपयोगी, पठनीय और प्रेरक के रूप में प्रयुक्त हो सके —


🚩 यमुनोत्री धाम यात्रा : एक पावन तीर्थ की ओर 🚩

🛕 धार्मिक यात्रा का आरंभ

चारधाम यात्रा का शुभारंभ यमुनोत्री धाम से होता है। यह तीर्थ देवी यमुना और भगवान यमराज को समर्पित है तथा इसे 'यमुना प्रभव तीर्थ' कहा जाता है।


🌄 भौगोलिक स्थिति एवं पहुँच

  • 📍 स्थान : उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित
  • 🗺️ ऊँचाई : समुद्र तल से 3,293 मीटर (10,804 फीट)
  • 🛣️ निकटतम रेलवे स्टेशन : देहरादून (126 किमी)
  • 🛕 मंदिर तक की यात्रा : जानकीचट्टी से 6 किमी ट्रेक

🌊 यमुना नदी का उद्गम

  • 🏔️ बंदरपूंछ चोटी (6315 मीटर) के उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत (4421 मीटर) से यमुना का उद्गम होता है।
  • ❄️ यहाँ चंपासर ग्लेशियर एवं एक बर्फ से ढँकी झील से यमुना प्रवाहित होती हैं।
  • 🌊 इसलिए यमुना को “कालिंदी” भी कहा जाता है।
  • 🕉️ सप्तऋषि कुंड नामक झील को यमुनोत्री का प्रतीकात्मक स्रोत माना जाता है।

🌍 यमुना नदी का प्रवाह मार्ग

👉 कुल लंबाई: 1,376 किमी (855 मील)
मार्ग:
बंदरपूंछ → गढ़वाल → यमुनानगर → दिल्ली → फरीदाबाद → शेरगढ़ → वृंदावन → मथुरा → आगरा → इटावा → कालपी → हमीरपुर → प्रयागराज (गंगा संगम)


🔱 धार्मिक महत्व एवं पुराणों में वर्णन

  • यमुनोत्री का उल्लेख कूर्म पुराण, केदारखण्ड, ब्रह्मांड पुराण, और ऋग्वेद आदि में हुआ है।
  • इस तीर्थ को "यमुना प्रभव तीर्थ" कहा गया है।

🌺 श्लोक के माध्यम से यमुनोत्री की महिमा:

सर्वलोकस्य जननी देवी त्वं पापनाशिनी।
आवाहयामि यमुने त्वं श्रीकृष्ण भामिनी।।

तत्र स्नात्वा च पीत्वा च यमुना तत्र निस्रता।
सर्व पाप विनिर्मुक्तः पुनात्यासप्तमं कुलम्।।

📖 भावार्थ :
जहाँ से यमुना उदित होती है वहाँ स्नान और जल सेवन करने से मनुष्य स्वयं के पापों से मुक्त हो जाता है और उसके सातों पीढ़ियाँ पवित्र हो जाती हैं।


📜 पौराणिक कथाएँ

ऋषि असित मुनि की कथा

  • यमुनोत्री में असित मुनि का आश्रम था।
  • वे प्रतिदिन गंगा और यमुना दोनों में स्नान करते थे।
  • वृद्धावस्था में गंगोत्री नहीं जा पाने के कारण उन्हें यमुनोत्री से गंगा की एक धारा के दर्शन हुए, जो आज भी दिव्य गंगा धार के रूप में मानी जाती है।

महाभारत कालीन प्रसंग

  • पाण्डवों ने अपनी हिमालय यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से की थी।
  • इसके पश्चात वे गंगोत्री → केदारनाथ → बद्रीनाथ गए।
  • तभी से चारधाम यात्रा की यह परंपरा चली आ रही है।

🌟 यमुनोत्री धाम की विशेषताएँ

✅ देवी यमुना को भगवान सूर्य की पुत्री तथा यमराज की बहन माना जाता है।
✅ यहाँ पिंडदान का विशेष महत्व होता है।
✅ श्रद्धालु सप्तऋषि कुंड के दर्शन करते हैं।
✅ मंदिर के पास गरम जल कुंड (सूर्यकुंड) है, जहाँ श्रद्धालु चावल बाँधकर पकाते हैं और उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।


📅 तीर्थ यात्रा का समय

  • 🚪 कपाट खुलने की तिथि : वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया
  • 🚪 कपाट बंद होने की तिथि : कार्तिक शुक्ल द्वितीया (भैया दूज)

तीर्थयात्रा की अवधि : मात्र 6 महीने
(शेष समय बर्फ से ढकी रहने के कारण मंदिर बंद रहता है।)


🙏 निष्कर्ष

यमुनोत्री धाम केवल एक तीर्थस्थल नहीं, अपितु आस्था, प्रकृति और पौराणिक परंपराओं का संगम है। देवी यमुना के उद्गम की यह भूमि मोक्ष का द्वार मानी जाती है। यहाँ की यात्रा न केवल शारीरिक तपस्या है, अपितु आध्यात्मिक उन्नयन का भी माध्यम है।


🕉️ यमुनोत्री यात्रा मंगलमय हो!

📿 जय माँ यमुना!
📿 हर हर महादेव!


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