हिन्दी बोलने का प्रयास करें - उर्दू शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दों का प्रयोग

Sooraj Krishna Shastri
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इस लेख में हमने उर्दू मूल के शब्दों की जगह संस्कृतनिष्ठ या तत्सम हिन्दी शब्दों के प्रयोग का जो प्रयास किया है, वह निःसंदेह भाषा और संस्कृति-संरक्षण की दिशा में एक जागरूक पहल है। आइए, इसे एक व्यवस्थित, प्रेरक और प्रचार-योग्य जनजागरण लेख के रूप में प्रस्तुत करें जिससे इसे व्यापक स्तर पर साझा किया जा सके।

हिन्दी बोलने का प्रयास करें - उर्दू शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दों का प्रयोग
हिन्दी बोलने का प्रयास करें - उर्दू शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दों का प्रयोग



🪔हिन्दी बोलने का प्रयास करें - उर्दू शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दों का प्रयोग

उर्दू शब्दों के स्थान पर हिन्दी शब्दों का प्रयोग करें


🔆 "भाषा वही जो आत्मा से जुड़ी हो..."

हम प्रतिदिन अनेक ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं जो हमारे मूल संस्कृति और राजभाषा हिन्दी से भिन्न हैं। इनमें से कई शब्द उर्दू मूल के होते हैं जो समय के साथ हमारे व्यवहार में ऐसे घुलमिल गए हैं कि हम उनका हिन्दी विकल्प भूल चुके हैं।

👉 अब समय है, सावधान होकर पुनः अपनी भाषा की शुद्धता की ओर लौटने का।


📝 उर्दू शब्दों के स्थान पर ये हिन्दी शब्द अपनाएं —

उर्दू शब्द हिन्दी विकल्प उर्दू शब्द हिन्दी विकल्प
ईमानदार निष्ठावान शहीद बलिदानी
इंतजार प्रतीक्षा यकीन विश्वास
इस्तकबाल स्वागत इस्तेमाल प्रयोग/उपयोग
किताब पुस्तक मुल्क देश
कर्ज़ ऋण तारीफ़ प्रशंसा
तारीख तिथि/दिनांक इल्ज़ाम आरोप
गुनाह अपराध शुक्रिया धन्यवाद
सलाम नमस्कार मशहूर प्रसिद्ध
अगर यदि ऐतराज़ आपत्ति
सियासत राजनीति इज्ज़त प्रतिष्ठा
इलाका क्षेत्र एहसान उपकार
मसला समस्या इम्तेहान परीक्षा
मजबूर विवश जवाब उत्तर
जिंदगी जीवन किस्मत भाग्य
फतह विजय धोखा छल
कामयाब सफल इलाज उपचार
हुक्म आदेश शक संदेह
ख्वाब स्वप्न तब्दील परिवर्तन
कसूर दोष जश्न उत्सव
मुबारक बधाई निकाह विवाह
माशूका प्रेमिका रूह आत्मा
खु़दकुशी आत्महत्या फर्ज़ कर्तव्य
वक्त समय ज़रूरत आवश्यकता
करिश्मा चमत्कार बेहद असीम

(सूची को और भी विस्तार दिया जा सकता है।)


📣 संदेश –

🪔 हिन्दी मात्र भाषा नहीं, संस्कार की संवाहिका है।
🪔 शब्द केवल संप्रेषण का माध्यम नहीं, चेतना के बीज हैं।
🪔 यदि हम हिन्दी में संस्कृतनिष्ठ शुद्ध शब्दावली का प्रयोग करते हैं, तो हम न केवल भाषा को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय मूल्यों को भी संरक्षित करते हैं।


⚠️ ध्यान देने योग्य बातें –

  • उर्दू शब्दों का प्रयोग गलत नहीं है, परन्तु यदि हिन्दी विकल्प सुलभ और उपयुक्त हो तो उसका प्रयोग करना चाहिए।

  • हमें यह समझना चाहिए कि भाषा को नस्लीय या धार्मिक आधार पर नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जड़ों की रक्षा के रूप में देखा जाना चाहिए।

  • टीवी, सिनेमा, मीडिया आदि हिन्दी के स्थान पर फारसी-उर्दू मिश्रित भाषा को बढ़ावा देते हैं, जिससे नई पीढ़ी में मातृभाषा की शुद्धता लुप्त होती जा रही है।


📜 हिन्दी हमारी मातृभाषा भी है और राजभाषा भी।

इसका सम्मान करना और उसे शुद्ध रूप में प्रयोग में लाना हमारा कर्तव्य है।

👉 यह सूची केवल शब्दों का संकलन नहीं, संस्कृति की पुकार है।


✍️ समापन में:

🔅 “धर्मो रक्षति रक्षितः”
यदि आप अपने धर्म, संस्कृति, और भाषा की रक्षा करेंगे, तो वह भी आपकी रक्षा करेंगे।


🔔 जनजागृति हेतु इस सूची को अधिक से अधिक साझा करें।

भाषा बचेगी तो संस्कृति बचेगी। संस्कृति बचेगी तो भारत बचेगा।

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