संस्कृत श्लोक: "वेधक्लेशो वहनक्लेशः कर्णस्य कुण्डलग्रहणे" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद
🙏 जय श्री राम 🌷सुप्रभातम् 🙏
प्रस्तुत नीति-श्लोक रूपक (allegory) के माध्यम से जीवन का गहरा और यथार्थ दृष्टिकोण प्रकट करता है — "एक का कष्ट, दूसरे का सौंदर्य या लाभ बन सकता है।"
आइए इसका एक-एक पक्ष से विश्लेषण करें —
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संस्कृत श्लोक: "वेधक्लेशो वहनक्लेशः कर्णस्य कुण्डलग्रहणे" का अर्थ और हिन्दी अनुवाद |
📜 श्लोक:
वेधक्लेशो वहनक्लेशः कर्णस्य कुण्डलग्रहणे ।शोभा तु कपोलस्य हि परस्य कष्टेऽपरस्य सन्तोषः॥
🧾 1. शाब्दिक विश्लेषण:
पद | अर्थ |
---|---|
वेधक्लेशः | छेदने (छेदन) की पीड़ा |
वहनक्लेशः | धारण करने की पीड़ा (भार उठाने का कष्ट) |
कर्णस्य | कान का |
कुण्डल-ग्रहणे | कुण्डल (झुमका) पहनने में |
शोभा तु | शोभा तो |
कपोलस्य | कपोल (गाल) की |
परस्य कष्टे | किसी के कष्ट से |
अपरस्य सन्तोषः | दूसरे को सुख, संतोष |
💡 2. भावार्थ:
कर्ण (कान) को कुण्डल पहनने में छेदन और भार उठाने का कष्ट सहना पड़ता है, परंतु शोभा तो गालों को मिलती है।इसी प्रकार, किसी एक व्यक्ति के कष्ट से किसी अन्य को लाभ, सुन्दरता या संतोष मिल सकता है।
🔍 3. गूढ़ व्याख्या:
यह नीति-वचन दो स्तरों पर कार्य करता है:
1. व्यावहारिक रूप में:
- जीवन में अक्सर ऐसा होता है कि परिश्रम कोई और करता है, लाभ किसी और को मिलता है।
- जैसे —
- सैनिक सीमा पर जान जोखिम में डालते हैं, पर देश में शांति और गौरव आम नागरिकों को मिलता है।
- माता-पिता कष्ट सहकर बच्चों का भविष्य संवारते हैं।
- श्रमिक निर्माण करते हैं, पर भवन की शोभा मालिक को मिलती है।
2. दर्शन और सामाजिक नीति के रूप में:
- यह "सामाजिक विषमता" और "त्याग-सम्मान" के विषय को भी छूता है।
- समाज में त्याग करने वालों की पीड़ा की उपेक्षा कर केवल फल भोगने वालों की प्रशंसा करना – यह अनुचित है।
🧘 4. आधुनिक संदर्भ:
क्षेत्र | उदाहरण |
---|---|
शिक्षा | शिक्षक का परिश्रम, लेकिन सफलता का श्रेय विद्यार्थी या संस्था को। |
प्रशासन | नीति कार्यान्वयन की कठिनाइयाँ कर्मचारियों को, पर श्रेय मंत्री या नेता को। |
कार्यस्थल | एक टीम का सदस्य रातभर मेहनत करता है, पर प्रमोशन दूसरे को मिलता है। |
🎭 5. संवादात्मक शैली में प्रस्तुति (नीति कथा)
👧 छात्रा: "मम्मी, आज सबने मेरी पोशाक की बहुत तारीफ़ की।"
👩🦰 माँ: "बहुत अच्छा बेटा! पर याद है, इस पोशाक को सिलने के लिए दर्ज़ी ने कितनी मेहनत की?"
👧: "हाँ, मुझे अब समझ आया — मेरी शोभा किसी और की मेहनत का परिणाम है।"
🌼 6. सार-सूत्र वाक्य:
"जिस परिश्रम में पीड़ा हो, उसकी शोभा को सम्मान देना सीखो।"
"त्याग की नींव पर ही शोभा की इमारत खड़ी होती है।"
🧾 7. नैतिक शिक्षा:
- त्याग को पहचानो।
- श्रेय और सम्मान केवल फल के लिए नहीं, परिश्रम के लिए भी होना चाहिए।
- जिसकी पीड़ा से तुम्हें शोभा मिले, उसका आदर करो।