ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व)

Sooraj Krishna Shastri
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ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व

 प्रस्तुत विषय ज्योतिष शास्त्र के लिए अत्यंत सुंदर, रोचक और उपयोगी है — ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व) — जो वैदिक-ज्योतिष, पौराणिक ज्ञान और भारतीय दर्शन के मूल तत्वों को एकत्र करता है।

ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व) jyotish
ग्रहों का वर्ण, देवता एवं लिंगभाव (पुं-स्त्री-नपुंसकत्व)


ये ज्योतिष शास्त्र तथा पौराणिक विज्ञान के अत्यंत गूढ़ सूत्र हैं। इसमें ग्रहों के वर्ण (रंग), अधिदैवता (देवता), लिंगस्वरूप (Gender), तथा पंचमहाभूत तत्त्व (Element) का स्पष्ट उल्लेख है।

आइए इन्हें एक सुंदर, संगठित और गहराईपूर्ण रूप में चार उपशीर्षकों में क्रमबद्ध करते हैं—


🌞 १. ग्रहों के वर्ण (रंग)

📜 श्लोक (7-8):

रक्तश्यामो दिवाधीशो गौरगात्रो निशाकरः।
नात्युच्चांगः कुजो रक्तो दूर्वश्यामो बुधस्तथा ॥

गौरगात्रो गुरुज्ञेयः शुक्रः श्यावस्तथेव च।
कृष्णदेहो रवेः पुत्रो ज्ञायते द्विजसत्तम ॥

📘 सारणीबद्ध रूप में ग्रहों के वर्ण:

ग्रह संस्कृत वर्णन वर्ण (रंग) विवरण
सूर्य रक्तश्यामः लाल+श्याम = सिंदूरी/लाख जैसा उष्मा का प्रतीक
चन्द्र गौरगात्रः गौर (श्वेत) शीतल, शुद्ध
मंगल रक्तः गहरा लाल पराक्रमी
बुध दूर्वश्यामः दूर्वा तुल्य हरा-श्याम रंग सौम्य और चपल
गुरु गौरगात्रः हल्का पीला/गौर वर्ण ज्ञानयुक्त
शुक्र श्यावः चितकबरा/श्वेत-श्याम मिश्रित आकर्षक, रसीला
शनि कृष्णदेहः कृष्ण वर्ण (पूर्ण काला) न्यायी, गम्भीर

🕉️ २. ग्रहों के अधिदैवत (देवता)

📜 श्लोक (9):

वहन्यम्बुशिखिजा विष्णुविडौजःशचिका द्विज ।
सूर्यादीनां खगानां च देवा ज्ञेयाः क्रमेण च ॥

🔢 अनुवाद:
हे द्विजश्रेष्ठ! सूर्य आदि सात ग्रहों के क्रमशः अधिदेवता हैं —
अग्नि (वह्नि), जल, कार्तिकेय (शिखिज), विष्णु, इन्द्र, इन्द्राणी, ब्रह्मा।

📘 सारणी रूप में:

ग्रह अधिदेवता प्रकृति
सूर्य अग्नि तेज, आत्मा
चन्द्र जल (वरुण) मन, रस
मंगल कार्तिकेय साहस, युद्ध
बुध विष्णु विवेक, सन्तुलन
गुरु इन्द्र दिव्य ज्ञान
शुक्र इन्द्राणी काम, सौंदर्य
शनि ब्रह्मा सृष्टि, विधि

⚖️ ३. ग्रहों का लिंगस्वरूप (Gender Nature)

📜 श्लोक (20):

क्लीबौ द्वौ सौम्यसौरी च युवतीन्‍न्दुभृगू द्विज।
नराः शेषाश्च विज्ञेया भानुर्भामो गुरुस्तथा॥

📘 ग्रहों का लिंग निर्धारण:

ग्रह लिंग गुण-स्वभाव
बुध नपुंसक द्वैधस्वभाव, तर्कशील
शनि नपुंसक स्थिर, कठोर, अनुशासक
चन्द्र स्त्री भावनात्मक, ग्रहणशील
शुक्र स्त्री रति, रस, आकर्षण
सूर्य पुरुष आत्मबल, तेज
मंगल पुरुष पराक्रम, उग्रता
गुरु पुरुष धर्म, ज्ञान, आस्था

🌬️ ४. ग्रहों के पंचमहाभूत तत्त्व (Elemental Nature)

📜 श्लोक (2):

अग्नि भूमिनभस्तोयवायवः क्रमतो द्विज।
भौमादीनां ग्रहाणां च तत्त्वानीति यथाक्रमम् ॥

📘 क्रमशः ग्रहों के तत्त्व:

ग्रह तत्त्व अर्थ
मंगल अग्नि उष्मा, क्रिया, रक्त
बुध पृथ्वी स्थायित्व, यथार्थता
गुरु आकाश विस्तार, ज्ञान
शुक्र जल रसानुभूति, सौंदर्य
शनि वायु गति, परिवर्तन, अनुशासन

📌 सूर्य और चन्द्रमा की चर्चा पिछले श्लोक "वहन्यम्बु..." में होती है —

  • सूर्य = अग्नि तत्त्व,
  • चन्द्रमा = जल तत्त्व

🔚 निष्कर्ष :

🔷 ग्रह केवल खगोलीय पिंड नहीं हैं, वे मानसिक, दैविक, तात्त्विक और आध्यात्मिक शक्तियों के प्रतीक हैं।

🔷 उनके वर्ण, देवता, लिंग और तत्त्व का ज्ञान सही फलादेश, उपासना, यंत्र-साधना, और औषधीय उपयोग में भी सहायक होता है।


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