"कान कटा गधा" एक गहन व्यंग्यात्मक हिंदी कहानी है जो मूर्खता, धोखे और आत्मविवेक के महत्व को उजागर करती है। इस कथा में शेर, लोमड़ी और गधे के माध्यम से यह बताया गया है कि जो व्यक्ति बार-बार धोखा खाकर भी चेतता नहीं, वह अंततः स्वयं अपने विनाश का कारण बनता है। यह कहानी न केवल हास्यपूर्ण है, बल्कि आज के समाज के लिए गहरी चेतावनी भी देती है — विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो बार-बार झूठे वादों, राजनैतिक चालों या तथाकथित धर्मनिरपेक्षता के जाल में फँस जाते हैं।
यह लेख जीवन में विवेक, जागरूकता और आत्मसम्मान के महत्व को सरल शब्दों में समझाता है।
कान कटा गधा | Kaan Kata Gadha – मूर्खता और धोखे से सीख देने वाली प्रेरक हिंदी कहानी
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कान कटा गधा | Kaan Kata Gadha – मूर्खता और धोखे से सीख देने वाली प्रेरक हिंदी कहानी |
🌿 कान कटा गधा — मूर्खता और धोखे की कथा (प्रेरक दृष्टान्त) 🌿
🦁 १. शेर की भूख और लोमड़ी की चालाकी
एक दिन जंगल का राजा शेर बहुत भूखा था। उसने अपनी चालाक सेविका लोमड़ी को आदेश दिया —
“मेरे लिए कोई शिकार ढूंढ लाओ, वरना मैं तुम्हें ही खा जाऊँगा।”
“गधे भाई! शेर तुम्हें जंगल का राजा बनाना चाहता है। चलो मेरे साथ, वह तुम्हें सिंहासन सौंपना चाहता है।”
🐴 २. गधे की पहली मूर्खता — कान कटना
डरते हुए गधे ने लोमड़ी से कहा —
“तुमने धोखा दिया! शेर ने तो मुझे मारने की कोशिश की!”
लोमड़ी ने मृदु स्वर में कहा —
“अरे मूर्ख! शेर ने तुम्हारे कान इसलिए काटे ताकि तुम्हारे सिर पर राजमुकुट आसानी से चढ़ सके।”
गधा फिर से झांसे में आ गया…
🐾 ३. दूसरी मूर्खता — पूँछ कटना
गधा फिर भागा और चिल्लाया —
“फिर धोखा! इस बार तो मेरी पूँछ भी चली गई!”
लोमड़ी ने फिर मीठा झूठ बोला —
“पूँछ इसलिए काटी गई ताकि जब तुम राजा बनो तो सिंहासन पर बैठने में बाधा न हो।”
गधा फिर मान गया — और तीसरी बार मौत के मुँह में चला गया।
☠️ ४. अंतिम परिणाम — मूर्खता का अंत
“जाओ, इसकी चमड़ी उतारो, दिमाग, हृदय और फेफड़ा मेरे पास लाओ, बाकी मांस तुम खा लेना।”
“इसका दिमाग कहाँ गया?”
लोमड़ी ने उत्तर दिया —
“महाराज! इसके पास दिमाग था ही नहीं।अगर होता, तो क्या यह बार-बार आपके पास लौट आता?”
शेर हँस पड़ा — “सच कहा तुमने, इसके पास दिमाग नहीं था।”
🔥 ५. कथा का व्यंग्यात्मक अर्थ — समाज के लिए चेतावनी
यह “कान कटा गधा” उस व्यक्ति का प्रतीक हैजो बार-बार धोखा खाने के बाद भीउन्हीं झूठे वादों, नेताओं, और विचारों पर भरोसा करता है।
🕉️ ६. धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मूर्खता का प्रतीक
🌸 ७. निष्कर्ष — जागो, मूर्ख मत बनो
“जिसे एक बार धोखा दिया जाए, वह पीड़ित कहलाता है।जिसे बार-बार धोखा दिया जाए, वह मूर्ख कहलाता है।”
🌺 संदेश
“विवेक, धर्म और आत्मगौरव को जगाओ।अन्यथा इतिहास बार-बार तुम्हें गधे की तरह मूर्ख बनाकर मिटा देगा।”
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